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जन्मदिन मनाने का मौजूदा तरीका शरीयत के खिलाफ : उस्मान रजा मिस्बाही

नई तहरीक : रायपुर  
आजकल यौमे पैदाईश जोश-ओ-खरोश के साथ मनाने का रिवाज आम होता जा रहा है। बाकायदा महफिल सजाई जाती है। ढोल ताशे बजाए जाते हैं और दोस्तो व रिश्तदोरों को बुलाया जाता है। इन सबके अलावा शराब और नशीली चीजों को खुलेआम इस्तेमाल किया जाता है। 
उस्मान रजा मिस्बाही
    जन्मदिन के मौके पर केक काटा जाता है जिसे खाया कम और फेंका ज्यादा जाता है। बर्थडे विश के नाम पर जो बदतमीजियां होती हैं, वह भी किसी से ढकी छिपी नहीं है। बर्थ-डे ब्वाय (या गर्ल) को उस दिन अच्छे-बुरे सभी तरह के कामों के लिए खासी छूट मिली होती है। 
    ताअज्जुब इस पर है कि मुसलमानों में भी यह चीजें आम हो गई हैं बल्कि गैरों से ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं, जबकि गौर किया जाए तो जन्मदिन खुशी मनाने का नहीं बल्कि फिक्र का सबब है कि जिंदगी का एक साल और हाथ से चला गया।
किसी ने क्या खूब कहा है:
‘एक ईंट और गिर गई दीवारे हयात से, 
नादान कह रहे हैं, नया साल मुबारक।।’

    अगर शरीयत के लिहाज से देखा जाए तो ये सारी बातें सरासर गलत हैं, गाने, बाजे, ढोल, तमाशे, शराब और नशा हर हाल में हराम हैं। केक फेंकना रिज्क की तौहीन और फिजूलखर्ची है जो तंगदस्ती और गरीबी का सबब बनती है। किसी भी बहाने से किसी के साथ बदतमीजी करने की शरीयत में कोई गुंजाइश नहीं, ये सरासर हराम है। 
    दरअसल जन्मदिन हमारी तहजीब में ही नहीं है। बल्कि ये पश्चिम की तहजीब है जो शैताननुमा इंसानों की तरफ से लोगों को सही रास्ते से भटकाने और अल्लाह से दूर करने के लिए पूरी दुनिया में राइज की जा रही है। इस्लाम में इस तरह का कोई तसव्वुर नहीं। जन्मदिन को लेकर इस्लाम में सिर्फ ये है कि पैगंबरे मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम पीर का रोजा रखते थे। आप से इसके बारे में सवाल हुआ तो आपने फरमाया : यह मेरी पैदाईश का दिन है इसलिए अल्लाह का शुक्र बजा लाने मैं रोजा रखता हूं। 
    अब जरा गौर करें कि जिस चीज का शरीयत ने हमें हुक्म नहीं दिया है, उसे करने में हम कितने आगे हैं और जो करना चाहिए उससे कितने दूर हैं। होना तो ये चाहिए था कि जन्मदिन पर हम ये फिक्र करते की गुजरा साल हमें क्या देकर गया। क्या हमने इस साल में अल्लाह को राजी करने की कोशिश की। वालदैन का कितना मान किया। अपने अंदर गलत आदतें तो नहीं आने दीं। कोई ऐसा अमल किया, जिससे मआशरे की इस्लाह हुई हो। मूुल्क की तरक्की के लिए कोई स्कीम बनाई। अगर जवाब हां में हो तो दोगाना अदा करके अल्लाह का शुक्र अदा करें और अगर जवाब न में हो तो अल्लाह की बारगाह में रोते गिड़गिड़ाते दुआ करें कि ये साल गफलत में बीत गया, अब अगला जन्मदिन देखना नसीब होगा भी या नहीं, पक्की नियत करते कि यह साल अल्लाह की इबादत में, वालदैन को खुश करने में, बड़ों का अदब करने में, मआशरे की इस्लाह की कोशिश में और मुल्क की तरक्की की राह में लाने की कोशिश में गुजारेंगे। मुसलमानों खुसूसन नौजवानों से गुजारिश है कि फिक्र करें और आगे से इन हरकतों से बच कर खुद को, समाज को और मुल्क को इज्जत दें।
21 रज्जबुल मुरज्जब 1444 हिजरी
13 फरवरी 2023
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