छुट्टी की इत्तेला उर्दू में दें, कौमी असातिजा तंजीम ने चीफ सेके्रटरी को लिखा खत
मुजफ़्फरपुर : आईएनएस, इंडिया
हुकूमत की कोशिशों के बावजूद सरकारी सतह पर उर्दू जबान का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। साल में एक मर्तबा तातीलनामा (अवकाश सूचना) शाइआ होता है जिसमें मुस्लिम तेहवारों का ख़्याल तो रखा जाता है, लेकिन तातीलनामा उर्दू में शाइआ नहीं किया जाता है। कौमी असातिजा तंजीम (राष्टÑीय शिक्षक संगठन) बिहार के रियासती कन्वीनर मुहम्मद रफी ने सूबा की दूसरी सरकारी जबान उर्दू में तातीलनामा शाइआ कराने से मुताल्लिक चीफ सेक्रेटरी आमिर सुबहानी पटना को एक मकतूब इरसाल किया है। अपने खत में मुहम्मद रफी ने अर्ज किया कि हुकूमत बिहार की कोशिशों के बाद भी सूबा की दूसरी सरकारी जबान उर्दू में सरकारी सतह पर कोई अमल नहीं हो रहा है। ना तो सरकारी इमारात, ना ही चौक चौराहों के शाइन बोर्ड और ना ही किसी और अमल में उर्दू का इस्तिमाल हो रहा है। यहां तक कि साल में एक मर्तबा शाईया होने वाला तातील नामा में भी उर्दू को नजरअंदाज किया जाता है। महिकमा तालीम में खुसूसन आफिसरान से रुजू करने के बाद भी उर्दू में तातील नामा शाइआ नहीं हो पाता है जो तशवीश (चिंता) का बाइस है। मुहम्मद रफी ने जनाब सुबहानी से मोअदबाना गुजारिश की है कि सभी जिÞले के जिÞला तालीमी अफ़्सर को इस सिलसिले में मकतूब इरसाल करने की जहमत करें कि वो हिन्दी के साथ ही उर्दू में भी तातील नामा शाइआ करें और शाइआशुदा कापी मौसूल कराएं। उन्होंने ये भी कहा कि मुजफ़्फरपुर में गुजिश्ता साल अब्दुस्सलाम अंसारी जिÞला तालीमी अफ़्सर थे तो उन्होंने हिन्दी के साथ ही उर्दू में तातील नामा शाइआ करा कर बड़ा काम किया था, जिसके लिए अब तक उर्दू आबादी उनकी शुक्रगुजार है।