गोहाटी : रियासत आसाम के वजीर-ए-आला हेमंता बिस्वा ने अपने एक बयान में कहा कि पूरी मुस्लिम कम्यूनिटी को जिहादी कहना ना इंसाफी है। उनका कहना था कि कुछ मुस्लमान इन सरगर्मियों में मुलव्वस हैं ना कि पूरी मुस्लिम कौम।
उन्होंने मजीद कहा कि हुकूमत की जानिब से चलाए जा रहे इन्सिदाद-ए-दहशतगर्दी (काउंटर टेरेरिज्म) आॅप्रेशन का बुनियादी मकसद मुस्लिम कम्यूनिटी से जिहादियों या बुनियादपरस्त अनासिर (तत्वों) को खत्म करना है।
उन्होंने कहा कि आसाम अब जिहादी सरगर्मियों का मर्कज बन चुका है और बंगला देश में कायम दहशतगर्द तंजीम अंसार उल-इस्लाम के पांच मुबय्यना (तथाकथित) मोडीयूल का गुजिश्ता चंद महीनों में यहां पर्दाफाश किया गया है। रियासत ने ये दावा किया है। उन्होंने एक पे्रस कान्फ्रÞैंस में बताया कि अंसार उल-इस्लाम से ताल्लुक रखने वाले छ: बंगलादेशी शहरी नौजवानों को गुमराह करने के लिए आसाम आए थे और उनमें से एक को इस साल मार्च में गिरफ़्तार किया गया था, जब बारपेटा में पहला मोडीयूल पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि आसाम से बाहर के प्राईवेट मदारिस में तालीम हासिल करने के नाम पर मुस्लिम नौजवानों को फँसाने की कोशिश करना तशवीशनाक (चिंताजनक) है। जिहादी सरगर्मी दहश्तगर्द या इंतिहापसंदाना सरगर्मियों से बहुत मुख़्तलिफ हैं। इसकी शुरूआत कई सालों की हेराफेरी से होती है, जिसके बाद इस्लामी बुनियाद परस्ती के फरोग में फआल (सक्रिय) शिरकत होती है और आखिरकार तखरीबी (विनाशक) सरगर्मियों की तरफ बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि बंगलादेशी शहरियों ने कोरोना वाइरस की वबा के दौरान कई तर्बीयती कैंप लगाए। उन्होंने कहा कि उनमें से अब तक सिर्फ एक बंगला देशी को गिरफ़्तार किया गया है। मैं लोगों से अपील करता हूँ कि अगर रियासत से बाहर से कोई मुदर्रिसा में उस्ताद या इमाम बनता है, तो मुकामी पुलिस को इत्तिला दें। इस मकसद के लिए हमें कम्यूनिटी के तआवुन की जरूरत है। उन्होंने मजीद कहा कि अगर हम जिहादी जैसे अलफाज इस्तिमाल करके मुस्लिम कम्यूनिटी के जजबात को ठेस पहुंचाएंगे तो हमें उनकी हिमायत नहीं मिलेगी। हमें जिहादियों को खत्म करने के लिए मुस्लिम कम्यूनिटी को एतिमाद में लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस और इंटेलीजेंस एजेंसी को आसाम में मुबय्यना (कथित) जिहादी सरगर्मिर्यों के बारे में सिर्फ मुस्लिम अफराद से ही मुस्तनद मालूमात मिल सकती है।