सुप्रीमकोर्ट जमई उलमा हिंद की पिटीशन पर करेगी समाअत, किल्लत वक्त के बाइस नहीं हो सकी बहस
नई दिल्ली : कोरोना वाइरस को मर्कज निजामउद्दीन से जोड़कर तब्लीगी जमात से वाबस्ता लोगों और बिलखसूस मुस्लमानों की शबिया (छवि) को दागदार करने और हिन्दुओं और मुस्लमानों के दरमयान मुनाफिरत फैलाने की दानिस्ता साजिÞश करने वाले टीवी चैनलों और प्रिंट मीडीया के खिलाफ मौलाना सैय्यद अरशद मदनी, सदर जमई उल्मा हिंद की हिदायत पर सुप्रीमकोर्ट में दाखिल पिटीशन पर समाअत अमल में आई लेकिन वक़्त की तंगी की वजह से अदालत समाअत ना कर सकी।
अदालत ने इस मुआमले पर 27 जुलाई को समाअत किए जाने का हुक्म जारी किया है। तीन रुकनी बैंच के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभए अविका और जस्टिस जेबी पारदीवाला को जमाई उल्मा हिंद की जानिब से पेश होते हुए सीनीयर एडवोकेट संजय हेगड़े ने बताया कि केबल टेलीविजन नेटवर्क और आईटी कवानीन फेक न्यूज (जाली खबरें) और नफरत आमेज खबरों पर रोक लगाने में गैर मूसिर साबित हुए हैं। लिहाजा उन कवानीन पर नजर-ए-सानी करने की जरूरत है और किस तरह से जाली और नफरत आमेज खबरों पर रोक लगाई जाए, और खबरें नशर करने वाले इदारों पर कैसे और क्या कार्रवाई की जाये, इस पर मेकानिजम मुरत्तिब करने की जरूरत है।
अदालत ने सीनीयर एडवोकेट संजय हेगड़े और सॉलीसिटर जनरल आफ इंडिया तुषार महित को कहा कि वो इस मुआमले की समाअत 27 जुलाई को करेंगे। दौराने समाअत अदालत में जमई उल्मा हिंद की जानिब से एडवोकेट आन रिकार्ड एजाज मकबूल, सैफ जिÞया और दीगर मौजूद थे।
वाजिह रहे कि मर्कज निजामउद्दीन को बदनाम करने वाले न्यूज चैनलों और अखबारात पर कार्रवाई करने के लिए जमाई उल्मा हिंद ने सुप्रीमकोर्ट में पिटीशन दाखिल की है जिसमें जमई उल्मा महाराष्ट्र कानूनी इमदाद कमेटी के सरबराह गुलजार आजमी मुद्दई बने हैं। मुनाफिरत पर मबनी रिपोर्टिंग करने वाले न्यूज चैनलों और अखबारात की जानिब सुप्रीमकोर्ट की तवज्जा दिलाई है। कहा गया है कि न्यूज चैनलों और अखबारात ने सहाफती उसूलों को तार-तार करते हुए मुस्लमानों की दिल-आजारी और कौमी यकजहती को नुक़्सान पहुंचाने की नापाक साजिÞश रची थी।