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कानपूर : मुहर्रम के मौका पर कानपुर में 225 साल पुराना जुलूस नहीं निकाला जाएगा। ये फैसला गुजिश्ता दिनों गुस्ताखी रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के खिलाफ एहतिजाज में पैदा हुए तशद्दुद के पेशे नजर लिया गया है।
हुकूमती मशीनरी शहर में अमन-ओ-अमान बरकरार रखने के लिए पूरी तरह काम कर रही है। इस दौरान शहर की गंगा जमुनी तहजीब की तस्वीर भी नजर आने लगी है। कानपुर में 3 जून को तशद्दुद हुआ था, तशद्दुद की वजह से शहर का माहौल कशीदा हो गया था। गुजिश्ता एक माह से हुकूमती मशीनरी माहौल को मामूल पर लाने की हर मुम्किन कोशिश कर रही है। इस बार मुंतजमीन ने मुहर्रम के मौका पर जलूस ना निकालने का फैसला किया है। शकील खलीफा के साथ, अच्छे मियां, कानपुर में मीरपुर कैन्ट से जलूस निकालते हैं। अच्छे मियां के जांनशीन कफील कुरैशी के मुताबिक इस बार दोनों टीमों ने शहर में अमन बरकरार रखने के लिए जलूस ना निकालने का फैसला किया है। उन्होंने अवाम से अपील की कि वो भी जलूस ना निकालें। पिछली कई दहाईयों से शहर में ये जलूस निकाले जा रहे हैं। लेकिन इस बार अमन बरकरार रखने के लिए लोगों से दरखास्त की गई कि वो जलूस ना निकालें। ताहम ये भी कहा गया है कि अगले साल जलूस पूरे जोश-ओ-खुरोश के साथ निकाला जाएगा। माना जा रहा है कि उदयपुर वाकिया और इससे पैदा होने वाले माहौल को देखते हुए जलूस के मुंतजमीन ने बड़ा फैसला लिया है।