Top News

आबादी के लिहाज से मुसलमानों की बरतरी महज प्रोपेगंडा : कुरैशी


नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
 

साबिक चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी ने पीर को कहा है कि इस्लाम खानदानी मंसूबा बंदी के तसव्वुर के खिलाफ नहीं है। दरहकीकत ये महज प्रोपेगंडा है कि मुस्लमान आबादी की तादाद के लिहाज से हिन्दुवों को पीछे छोड़ सकते हैं। अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मुस्लमानों की आबादी के बारे में कई किस्म के प्रोपेगंडा फैलाए जा रहे हैं जिसकी वजह से हिन्दुवों में मुस्लमानों के खिलाफ दुश्मनी का जज्बा पैदा हो रहा है। ये बात साबिक चीफ इलेक्शन कमिशनर एसवाई कुरैशी ने अपनी किताब ''दी मिथ: इस्लाम, फैमली-प्लैनिंग एंड पालीटक्स इन इंडिया' पर गुफ़्तगु के दौरान कही। बहस के दौरान उन्होंने कहा कि ये दिखाया गया है कि मुस्लमान बहुत से बच्चे पैदा करते हैं और वो आबादी के धमाके के जिÞम्मेदार हैं। 

साबिक चीफ इलेक्शन कमिशनर ने कहा कि हां, मुस्लमानों में खानदानी मंसूबा बंदी की सबसे कम सतह है। सिर्फ 45;3 फीसद। उनकी टोटल फटीर्लेटी रेट 2;61 है जो कि सबसे ज्यादा है। इस के साथ एसवाई कुरैशी ने ये भी कहा कि हकीकत ये है कि हिंदू भी इस मुआमले में पीछे नहीं हैं लेकिन खानदानी मंसूबा बंदी के मुआमले में हिंदू 54;4 फीसद के साथ दूसरे नंबर पर हैं। जहां शरह पैदाइश 2;13 फीसद है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बहस में कुरैशी ने कहा कि ये भी एक अफसाना है कि मुस्लमानों की आबादी में इजाफा आबादी के तवाजुन को बिगाड़ रहा है। हिन्दोस्तान का आबादी का तनासुब दरअसल मुस्लमानों की तादाद 1951 में 9; 8 फीसद से बढ़कर 2011 में 14; 2 फीसद और हिन्दुओंं की शरह 84;2 फीसद से बढ़कर 79; 8 फीसद तक जाहिर करता है, लेकिन ये 60 सालों में 4;4 फीसद प्वाईंटस का इजाफा है। इसके साथ उन्होंने कहा कि एक और प्रोपेगंडा ये है कि सियासी इकतिदार पर कब्जा करने के लिए मुस्लमानों की तरफ से हिंदू आबादी को जेर करने की मुनज्जम साजिÞश की जा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी मुस्लिम रहनुमा या आलमे दीन ने मुस्लमानों को हिन्दुओं से आगे निकलने के लिए नहीं कहा है। डीयू के साबिक वाइस चांसलर, प्रोफेसर दिनेश सिंह और अजय कुमार के रियाजयाति (गणित) मॉडल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान हिन्दुओं को कभी नहीं पीछे छोड़ सकते।


Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने