मोहर्रम-उल-हराम - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
ह्यजो शख्स ये चाहता है कि उसके रिज्क में इजाफा हो, और उसकी उम्र दराज हो, उसे चाहिए कि रिश्तेदारों के साथ हुस्न सुलूक और एहसान करे।ह्ण
- मिश्कवात शरीफ
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✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीमकोर्ट ने 19 जुलाई को बिल्किस बानो केस के दो मुजरिमों की उबूरी (अंतरिम) ज़मानत पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। मामले में राधे श्याम और राजू भाई ने मुतालिबा किया था कि जब तक गुजरात हुकूमत उनकी रिहाई का फ़ैसला नहीं करती है, उन्हें उबूरी ज़मानत दी जाए।
दरख़ास्त की सदाक़त पर सवाल उठाते हुए अदालत ने उसे सुनने से इनकार कर दिया। केस की समाअत करते हुए संजय कुमार की बेंच ने कहा कि मुजरिमों को ऐसा कोई फ़ायदा नहीं दिया जाएगा। अदालत ने पूछा कि ये दरख़ास्त क्या है, उसे कैसे क़बूल किया जा सकता है, ये बिलकुल ग़लत है। हम (आर्टीकल 32) के तहत अपील पर कैसे ग़ौर कर सकते हैं, इसके बाद दोनों ने अपनी दरख़ास्त वापिस ले ली। दरहक़ीक़त, दोनों मुजरिमों ने इस साल मार्च में सुप्रीमकोर्ट से रुजू किया था और उबूरी ज़मानत के लिए दलील दी थी कि गुजरात हुकूमत के फ़ैसले पर एक ही जजों की दो बेंचों ने मुख़्तलिफ़ मौक़िफ़ इख़तियार किया था।
मुजरिमों ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट की एक बेंच ने महाराष्ट्र हुकूमत को जबकि दूसरी बेंच ने गुजरात हुकूमत को मुनासिब समझा था। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट को ये वाज़िह करना चाहिए कि हुकूमत का कौन सा फ़ैसला दरुस्त होगा। मुजरिमों ने दरख़ास्त में फ़ैसले को मुतज़ाद (विरोधाभाषी) क़रार दिया था और इसलिए उसे लार्जर बेंच को भेजने का मुतालिबा किया था। हालांकि, जुमा 19 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट ने वाज़िह तौर पर इस दरख़ास्त पर समाअत करने से इनकार कर दिया।
काबिल-ए-ज़िक्र है कि इस साल 8 जनवरी को सुप्रीमकोर्ट ने बिल्क़ीस बानो गैंग रेप केस में तमाम मुजरिमों को माफ़ करते हुए गुजरात हुकूमत की तरफ़ से दी गई छूट को मंसूख़ कर दिया था।
जेशा रेप और कत्ल केस : सुप्रीमकोर्ट ने मुल्ज़िम इस्लाम की सज़ा-ए-मौत पर लगाई रोक
नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने आसाम के मुहाजिर मज़दूर मुहम्मद अमीर उल-इस्लाम की सज़ा-ए-मौत पर रोक लगा दी है। उसे केराला में अप्रैल 2016 में दलित क़ानून की तालिबा जेशा सूर्या की इस्मतदरी और क़तल में मुजरिम क़रार दिया गया था।
अदालत ने 16 जुलाई के अपने हुक्म में कहा कि मौजूदा अपील की समाअत और हतमी (अंतिम) फ़ैसले तक मौत की सज़ा पर रोक रहेगी। अदालत मुजरिम की अपील पर ग़ौर कर रही थी जिसमें केराला हाईकोर्ट के 20 मई 2024 के हुक्म को चैलेंज किया गया था, जिसने निचली अदालत की तरफ़ से सुनाई गई मौत की सज़ा की तौसीक़ की थी। 28 अप्रैल 2016 को अरुणा कोलम ज़िला के पैरोमबावर से ताल्लुक़ रखने वाली क़ानून की 30 साला तालिबा जेशा की वहशियाना इस्मतदरी और क़तल कर दिया गया था। इसे लेकर केराला में ज़बरदस्त ग़ुस्सा था। केस के वाहिद मुल्ज़िम इस्लाम को वाकिये के 49 दिन बाद गिरफ़्तार किया गया था।
सुप्रीमकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट से केस का असल रिकार्ड तलब कर लिया है। अदालत ने जेल सुपरीटेंडेंट, सेटर्ल जेल और रीफार्म होम को आठ हफ़्तों का वक़्त दिया है, जहां इस्लाम क़ैद है, जेल में उसके काम की नौईयत और जेल में उसके तर्ज़-ए-अमल और रवैय्ये से मुताल्लिक़ रिपोर्ट पेश करने कहा गया है। बेंच ने गर्वनमेंट मेडीकल कॉलेज, थरेसूर से कहा कि वो मुजरिम का नफ़सियाती जायज़ा लेने और रिपोर्ट पेश करने के लिए एक टीम तशकील दे। अदालत ने हिदायत की कि सज़ा से मुताल्लिक़ मालूमात इकट्ठा करने के मक़सद से उसके साथ ज़ाती इंटरव्यूज़ किए जाएं और मुजरिम की जानिब से उसके एडवोकेट आन रिकार्ड ज़रीये 12 हफ़्तों के अंदर तख़फ़ीफ़ की तहक़ीक़ाती रिपोर्ट पेश की जाए। इसमें कहा गया है कि राज़दारी को यक़ीनी बनाने के लिए इंटरव्यूज़ अलग जगह पर किए जाऐंगे, जहां कोई जेल अहलकार या पुलिस अहलकार मौजूद नहीं होगा।
सूर्या की मस्ख़शुदा लाश उसकी माँ को मिली थी। जब उसके तशद्दुद की तफ़सीलात सामने आई तो केराला में बड़े पैमाने पर ग़म-ओ-ग़ुस्सा फैल गया था और लोग मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर सड़कों पर निकल आए थे।