आसारे-ए-क़दीमा के मिस्री मुहक़्क़िक़ का अहमक़ाना दावा
कुछ रोज़ कब्ल एक मिस्री माहिर आसारे क़दीमा (पुरातत्व विशेषज्ञ) ज़ाही हवास का दिफ़ा (बचाव) करके तनाज़ा (विवाद) खड़ा करने के बाद मिस्री उमूर के माहिर डाक्टर वसीम अलसीसी नए बयानात के साथ फिर सामने आ गए हैं। डाक्टर वसीम ने पहले ज़ाही हवास के उस दावे का दिफ़ा किया था कि हज़रत मूसा अलैहिस-सलाम की मिस्र में मौजूदगी और यहूदियों के ख़ुरूज (पलायन) की कहानी का कोई तारीख़ी सबूत नहीं है।हज़रत मूसा अलैहिस-सलाम की मिस्र में मौजूदगी से इनकार करने के बाद अब डाक्टर वसीम अलसीसी ने वाजेह किया कि साईंसी तौर पर क्या सबूत है कि मिस्र अंबियाओं का मुल्क है। उन्होंने मज़ीद कहा कि क़ुरान-ए-पाक में सूरा मर्यम में हज़रत इदरीस अलैहिस-सलाम का ज़िक्र दो आयात में है। मिस्री उमूर के माहिर ने मज़ीद ये भी कहा कि क़ुरान-ए-पाक में सूरा बनी इसराईल की आयत नंबर 107 क़दीम मिस्रियों के बारे में बात करती है। इस आयत मुबारका की वज़ाहत करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग सज्दे में अपनी ठोढ़ी तक झुकते हैं वो क़दीम मिस्री हैं। उन्होंने कहा, बहुत मिसालें हैं जो क़दीम मिस्रियों को इस पोज़ीशन में सजदा करते हुए दिखाती हैं, जिसका ज़िक्र क़ुरान-ए-पाक में इसी वज़ाहत के साथ किया गया है।
तन्क़ीद की इस लहर, जिसका माहिर आसारे-ए-क़दीमा डाक्टर ज़ाही हवास को सामना करना पड़ा पर तबसरा करते हुए डाक्टर वसीम ने कहा, ज़ाही हवास ने मुक़द्दस किताबों में जो कुछ बयान किया गया है, उसकी तरदीद नहीं की बल्कि कहा है कि तारीख़ एक ऐसी साईंस है जो मौजूदा चीज़ों में तलाश करती है ये चाहे कोई बर्दिया, दीवार, मुजस्समा या कोई ठोस और साबित चीज़ हो। जबकि मज़हब ग़ैब में तलाश करता है। इन दोनों की तहक़ीक़ का एक अलग शोबा है। ये एक दूसरे की नफ़ी नहीं करते।
उन्होंने मज़ीद कहा कि यहूदी उस वक़्त तक मिस्र के अंदर नहीं थे कि उन्हें निकाला जाता। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के बहीरा अह्मर में से रास्ते निकालने की कहानी ग़लत है और मिस्र की सरज़मीन पर इस की मौजूदगी का अभी तक कोई साईंसी सबूत नहीं है।