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दहाईयों पुराने दुश्मन इसराईल और ईरान एक बार फिर आमने-सामने

 शव्वाल -1445 हिजरी

मस्जिद की तरफ कदम बढ़ाने का सवाब

'' हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रदि अल्लाहु अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया, जो शख्स जमात के लिए मस्जिद की तरफ चले तो उसका एक कदम एक गुनाह को मिटाता है और दूसरा कदम उसके लिए एक नेकी लिखता है। जाने में भी और वापस लौटने में भी। '' 

- अहमद तबरानी

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दहाईयों पुराने दुश्मन इसराईल और ईरान एक बार आमने-सामने

✅ न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया

इसराईल और ईरान की मुख़ासमत (संघर्ष) कई दहाईयों पर मुहीत है। अलबत्ता तेहरान ने पहली बार इसराईल को बराह-ए-रास्त (सीधे तौर पर) निशाना बनाया है। दोनों ममालिक पहले भी एक-दूसरे को निशाना बनाने की कोशिश करते रहे हैं। 
    दोनों ममालिक में हालिया महीनों में कशीदगी में बहुत ज़्यादा इज़ाफ़ा हुआ है। इसराईल की फ़ौज ने दावा किया है कि उसने ईरान के दागे़ गए लगभग 300 से ज़ाइद ड्रोन और मिज़ाईल मार गिराए हैं जिसके बाद इसराईली वज़ीर-ए-आज़म बेंजामिन नेतन्याहू ने अज्म ज़ाहिर किया है कि इसराईल को फ़तह मिलेगी। ईरान और इसराईल दहाईयों पुराने हरीफ़ (दुश्मन) हैं। उनके दरमयान हालिया कशीदगी का बाइस एक अप्रैल को शाम के दार-उल-हकूमत दमिशक़ में ईरान के सिफ़ारत ख़ाने (दूतावास) पर इसराईल का मुबय्यना (कथित) हमला है। ये हमला ऐसे मौक़ा पर किया गया, जब ग़ज़ा में भी जंग जारी है, जिसका आग़ाज़ गुजिश्ता बरस अक्तूबर में हुआ था। 
    इसराईल और ईरान मशरिक़ वुसता (मध्य-पूर्व) के ऐसे हरीफ़ हैं, जिनको नाक़ाबिल-ए-तसख़ीर (अजेय) समझा जाता है। दोनों ममालिक की ज़मीनी, बहरी, फ़िज़ाई और साइबर स्पेस के ज़रीये एक-दूसरे पर खुफिया हमलों की तवील तारीख़ है। ईरान के मग़रिब नवाज़ रहनुमा मुहम्मद रज़ा शाह इसराईल को अपना इत्तिहादी समझते थे। रज़ा शाह को ईरान में एक ऐसे इन्क़िलाब के ज़रीये इक़तिदार से अलग किया गया, जिसको 'इस्लामी इन्क़िलाब क़रार दिया जाता है। ये तहरीक इसराईल मुख़ालिफ़ होने के अलावा एक नज़रियाती हुकूमत के कयाम का सबब भी बनी।
    1982:में इसराईल ने जब लेबनान पर हमला किया तो ईरान के पासदारान-ए-इन्क़िलाब ने लेबनान के अहल-ए-तशीअ (शिया) मुस्लमानों के साथ हिज़्बुल्लाह की बुनियाद रखी। इसराईल हिज़्बुल्लाह को अपनी सरहदों पर ख़तरनाक दुश्मन क़रार देता है। 1983 में ईरान की पुश्तपनाही में सरगर्म हिज़्बुल्लाह लेबनान से मग़रिबी अफ़्वाज और इसराईली फ़ोर्सिज़ को निकालने के लिए ख़ुदकुश बमबारों का इस्तिमाल शुरू किया। नवंबर 1983 में धमाकाख़ेज़ मवाद से भरी एक कार इसराईल की फ़ौज के हेडक्वार्टर में घुस गई जिससे धमाका हुआ। इन हमलों के बाद इसराईल लेबनान के ज़्यादातर हिस्सों से दस्तबरदार हो गया और वहां से अपनी अफ़्वाज का इन्ख़िला (निकास) मुकम्मल किया। 
    1992-94 में जुनूबी अमरीका के मुल्क अर्जेनटाइन और इसराईल ने ईरान और हिज़्बुल्लाह पर 1992 में अर्जेंटाईन के दार-उल-हकूमत बियोन्स ऑवर्स और 1994 में एक यहूदी सैंटर में होने वाले खुदकुश धमाकों का इल्ज़ाम लगाया। दोनों धमाकों में दर्जनों अफ़राद हलाक हुए थे। ताहम ईरान और हिज़्बुल्लाह ने इन धमाकों में मुलव्वस होने के इल्ज़ामात की तरदीद की थी। 2002 में दो दहाईयां कब्ल ये इन्किशाफ़ (खुलासा) हुआ कि तेहरान ने यूरेनियम अफ़्ज़ोदा करने का खु़फ़ीया प्रोग्राम शुरू किया हुआ है जिसके बाद इस तशवीश (चिंता) ने जन्म लिया कि ईरान जौहरी हथियार बना सकता है। हालांकि ईरान जौहरी (परमाणु) हथियार बनाने की कोशिश की ख़बरों की तरदीद करता रहा है। इसराईल ने इसी तशवीश के सबब ईरान के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई का मुतालिबा किया।
    2009 में ईरान के सुप्रीम लीडर आयत अल्लाह खामनाई ने एक ख़िताब में इसराईल को एक ख़तरनाक और मोहलिक (जानलेवा) मुल्क क़रार दिया। 2010 में अमरीका और इसराईल का तैयार करदा कम्पयूटर वाइरस स्टिकस नैट' को ईरान की यूरेनियम अफ़ज़ोदगी को निशाना बनाने के लिए इस्तिमाल किया गया। ये सनअती मशीनरी पर किया जाने वाला पहला साइबर हमला था, जिसके बारे में मालूमात आम हुईं। 2012 में ईरानी जौहरी साईंसदान मुस्तफ़ा अहमदी रोशन तेहरान में उनकी गाड़ी में नसब करदा बम का निशाना बने। उनकी गाड़ी में ये बम एक मोटर साईकल सवार ने नसब किया था। ईरान के आला हुक्काम की तरफ़ से इसराईल पर इस हमले का इल्ज़ाम लगाया गया था। 
    2018 में इसराईल के वज़ीर-ए-आज़म बेंजामिन नेतन्याहू ने अमरीका के सदर डोनल्ड ट्रम्प की जानिब से आलमी ताक़तों के साथ ईरान के जौहरी मुआहिदे से निकलने का ख़ैर मक़्दम किया और डोनल्ड ट्रम्प के इस फ़ैसले को तारीख़ी इक़दाम क़रार दिया। इसी साल मई में इसराईल ने कहा कि उसने शाम में ईरान की अस्करी तन्सीबात (सैन्य प्रतिष्ठान) को निशाना बनाया है, जिनको तेहरान शाम में ख़ाना-जंगी में सदर बशीर उल असद की हिमायत के लिए इस्तिमाल कर रहा था। 2020 में इसराईल ने बग़दाद में अमरीकी ड्रोन हमले में ईरान के पासदारान-ए-इंकलाब के बैरून-ए-मुल्क कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हलाकत का ख़ैर-मक़्दम किया। ईरान ने इराक़ में अमरीकी फ़ौजीयों के ठिकानों पर मीज़ाईलों के ज़रीये जवाबी हमले किए जिनमें लगभग 100 अमरीकी फ़ौजी अहलकार (अधिकारी) ज़ख़मी हुए। 2021 में मुहसिन फ़ख़्री ज़ादा को ईरान के जौहरी प्रोग्राम का मास्टरमाइंड माना जाता है। उनको दिसंबर 2020 में क़तल किया गया था। ईरान ने मुहसिन फ़ख़्री ज़ादा के क़तल का इल्ज़ाम इसराईल पर लगाया जिसे मग़रिबी इंटेंलीजेन्स एजेंसियां भी जौहरी हथियारों की तैयारी के खु़फ़ीया ईरानी प्रोग्राम का मास्टरमाइंड समझती थीं। 
    2024 में शाम के शहर दमिशक़ में ईरान के सिफ़ारत ख़ाने पर एक मुबय्यना इसराईली फ़िज़ाई हमले में पासदारान-ए-इंक्लाब के दो आला कमांडरों समेत सात अहलकार हलाक हुए। इसराईल ने इस हमले की तसदीक़ या तरदीद नहीं की। ईरान ने 13 अप्रैल को इसराईली सरज़मीन पर ग़ैरमामूली बराह-ए-रस्त हमलों में ड्रोन और मिज़ाईल इस्तिमाल किए और उन हमलों को जवाबी कार्रवाई क़रार दिया।


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