शअबान उल मोअज्जम -1445 हिजरी
बंदों के हुकूक की माफी के लिए सिर्फ तौबा काफी नहीं
" हजरत अबु हरैरह रदि अल्लाहो अन्हु से रियायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जिसके जिम्मे उसके मुसलमान भाई का कोई हक हो, चाहे वो आबरू का हो या किसी और चीज का, उसे आज ही माफ करा लेना चाहिए। इससे पहले कि न दीनार होगा और न दिरहम होगा। (इससे मुराद कयामत का दिन है, यानी वहां हुकूक की अदायगी के लिए रुपया-पैसा न होगा।)"- बुखारी शरीफ
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- 1 लाख 20 हजार नमाजी एक साथ अदा कर सकते हैं नमाज
- मस्जिद की मीनार दुनिया का बुलंद तरीन मीनार है, जिसकी ऊंचाई 267 मीटर है
- मीनार में लिफ्ट्स और देखने के लिए एक प्लेटफार्म नसब है जहां से दार-उल-हकूमत और ख़लीज अल-जज़ाइर का नज़ारा किया जा सकता है
✅ दुबई : आईएनएस, इंडिया
अल-जज़ाइर के सदर अब्दुल मजीद ने इतवार को अल-जज़ाइर की जामा मस्जिद का बाज़ाबता इफ़्तिताह किया। ये मस्जिद दुनिया की तीसरी और अफ़्रीक़ा की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस वसीअ मस्जिद में एक लाख 20 हज़ार नमाज़ियों की गुंजाइश है। उसे पहली मर्तबा अक्तूबर 2020 मैं नमाज़ के लिए खोला गया था लेकिन सदर अब्दुल मजीद कोरोना में मुबतला होने की वजह से शरीक नहीं हो सके थे।मुक़ामी तौर पर जामा अल-जज़ाइर के नाम से मारूफ़ ये जदीद इनफ़रास्ट्रक्चर तक़रीबन 70 एकड़ पर फैला हुआ है। हालांकि ये रकबा सऊदी अरब में मुक़द्दस तरीन मुक़ामात मक्का और मदीना मुनव्वरा की मसाजिद से कम है। इस मस्जिद में दुनिया का बुलंद तरीन मीनार भी है, जिसकी ऊंचाई 267 मीटर है। मीनार में लिफ्ट्स और देखने के लिए एक प्लेटफार्म नसब है, जहां से दार-उल-हकूमत और ख़लीज अल-जज़ाइर का नज़ारा किया जा सकता है। मस्जिद के अंदरूनी हिस्से को अंदलुस के अंदाज़ में लकड़ी, संगमरमर और दीगर क़ीमती अश्या से सजाया गया है। इस मेगा प्रोजेक्ट की लागत 800 मिलियन डालर से ज़्यादा है और इसकी तामीर में सात बरस लगे। ख़्याल रहे, अब्दुल मजीद की सदारत की मुद्दत बाज़ाबता तौर पर इस साल के आख़िर में ख़त्म हो रही है लेकिन ये वाजेह नहीं कि दिसंबर 2019 को पहली मर्तबा मुंतख़ब हो कर आने वाले सदर ने अब तक ये वाजेह नहीं किया कि क्या वो दूसरी मुद्दत के लिए इंतिख़ाब लड़ने का इरादा रखते हैं।