रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
'' हजरत आएशा रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ने दो दिन के रोजे से मना फरमाया है, एक ईद उल फितर और दूसरा ईद उल अदहा।''- सही मुस्लिम
'' अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ईदगाह जाने के लिए एक रास्ते को इख्तियार करते और वापस आते वक्त दूसरे रास्ते को इख्तियार करते थे।''- सुनन अबु दाउद
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✅ मक़बूज़ा बैतुल-मुक़द्दस : आईएनएस, इंडिया
मस्जिद अकसा मैं हज़ारों मुस्लमानों ने पुलिस की भारी नफ़री की मौजूदगी में रमज़ान की पहली नमाज़-ए-जुमा अदा की। बेंजामिन नेतन्याहू के दफ़्तर ने कहा कि पाबंदियों के बावजूद नमाज़ियों को गुज़श्ता बरसों की तरह उसी तादाद में मस्जिद में दाख़िल होने की इजाज़त होगी। लेकिन कुछ नौजवान मर्दों को जुमे के रोज़ पुराने शहर में दाख़िल होने से रोक दिया गया।मशरिक़ी यरूशलम की मस्जिद अकसा के अहाते मैं हज़ारों मुस्लमानों ने पुलिस की भारी नफ़री की मौजूदगी में रमज़ान की पहली नमाज़-ए-जुमा अदा की। छड़ी टेकते बुज़ुर्ग, पर्दापोश ख़वातीन और साफ़ सुथरे कपड़ों में मलबूस बच्चे इसराईल से मुल्हिक़ (लगे हुए) पुराने शहर के दरवाज़ों से गुज़र रहे थे, जो पुरअमन तौर पर खुले हुए थे, हालांकि कुछ निसबतन कम उमर के मर्दों को पुलिस ने सिक्योरिटी चेकिंग करते हुए पीछे हटा दिया। एक 44 साला कारपेंटर अमजद ग़ालिब, जिन्हों ने अपनी जाएनमाज़ कांधे पर रखी हुई थी, कहा कि वो (पुलिस अहलकारे) ये फ़ैसला बे-तरतीबी से करते हैं कि किसे अंदर जाने देना है और किसे नहीं। इसकी वजह क्या है, हम नहीं जानते। उन्होंने मज़ीद कहा कि सच तो ये है कि हमें डर लग रहा है। ये पहला साल है, जब हम पुलिस की इतनी नफ़री को देख रहे हैं। दो साल पहले मैं उनसे बेहस कर सकता था, लेकिन अब वो हमें कोई मौक़ा नहीं दे रहे। एक 75 साला टूर गाईड इज़्ज़त खोईस ने पुलिस का हवाला देते हुए कहा कि बहुत सारे फ़ौजी हैं, ये हमारे लिए अच्छा नहीं, मुस्तक़बिल के लिए, अमन के लिए और लोगों के इकट्ठे रहने के लिए अच्छा नहीं है।
पुलिस ने इस हफ़्ते के शुरू में एक बयान में कहा था कि सिक्योरिटी वजूहात की बिना पर, मग़रिबी किनारे से अल-अक़सा तक रसाई की कोशिश करने वाले फ़लस्तीनीयों को इस साल कुछ पाबंदीयों का सामना करना पड़ेगा। हुकूमत के तर्जुमान ने कहा कि सिर्फ 55 साल और इस से ज़्यादा उम्र के मर्दों और 50 साल से ज़्यादा उम्र की ख़वातीन को इलाक़े से मस्जिद के अहाते में दाख़िल होने की इजाज़त होगी।
फ़िदा अबसेह, जो पुराने शहर के गेट पर यतीमों और ग़रीबों के लिए पैसे इकट्ठे कर रही थीं, कहा कि ये ना इंसाफ़ी है। जब वो नौजवान लड़कों को दाख़िले से इनकार करते हैं, तो मुझे बहुत तकलीफ़ होती है, मग़रिबी किनारे के दूसरे नमाज़ी यरूशलम तक नहीं पहुंच सकते थे, उन लोगों में अम अल अबद भी शामिल थीं, जिन्होंने इसके शुमाल में कलिंद या चौकी को उबूर करने की कोशिश की। उनका कहना था कि आज उन्होंने मुझे अंदर जाने की इजाज़त नहीं दी। में उदास हूँ, मैं सारा दिन उदास रहूंगी।
गौरतलब है कि मस्जिद अकसा का अहाता इस्लाम का तीसरा मुक़द्दस तरीन मुक़ाम और यहूदियत का सबसे मुक़द्दस मुक़ाम है, जिसे यहूदी टेंपल माउंट के नाम से जानते हैं। गुज़श्ता बरसों में रमज़ान के महीने में ये तशद्दुद के लिए एक हस्सास मुक़ाम रहा है, और जुमे को हज़ारों पुलिस अहलकार तायिनात किए जाते थे, जिनमें से कुछ भारी हथियारों से लैस होते थे।
ग़ज़ा में जंग 7 अक्तूबर को जुनूबी इसराईल पर हम्मास की जानिब से अचानक हमले शुरू हुए थे जिसके नतीजे में तक़रीबन 1,160 अफ़राद हलाक हुए थे, जिनमें ज़्यादातर आम शहरी थे। हम्मास के ज़ेर-ए-इंतिज़ाम ग़ज़ा में वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़, हम्मास के ख़िलाफ़ इसराईल की इंतिक़ामी मुहिम में कम अज़ कम 31,490 अफ़राद शहीद हुए हैं। रमला में वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़, मक़बूज़ा मग़रिबी किनारे में तशद्दुद अपनी दो अशरों की बलंद तरीन सतह पर पहुंच गया है। वज़ारत का कहना है कि ग़ज़ा जंग शुरू होने के बाद से इसराईली फ़ौजीयों और आबाद कारों के हाथों मग़रिबी किनारे में कम अज़ कम 430 फ़लस्तीनीयों को शहीद किया गया है।