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हरम-ए-नबवी ﷺ मैं बिछे क़ालीनों पर क्यों लगाई जाती है इलेक्ट्रानिक चिप

 शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी

अकवाल-ए-जरीं

'' हजरत अब्दुलाह बिन उमर रदिअल्लाहो ताअला अन्हुमा से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह से सुना, आप फरमाते हैं कि जब तुम्हारा कोई आदमी इंतेकाल कर जाए तो उसे ज्यादा देर तक घर पर मत रखो और उसे कब्र तक पहुंचाने और दफनाने में जल्दी करो ''
- बैहकी शुअबुल ईमान

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हरम-ए-नबवी मैं बिछे क़ालीनों पर क्यों लगाई जाती है इलेक्ट्रानिक चिप
✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 
सऊदी अरब की हुकूमत मस्जिद हराम और मस्जिद नबवी  में बिछे क़ालीनों को ख़ास एहतिमाम के साथ तैयार करती है ताकि ज़ाइरीन को उन पर इबादत करते हुए इत्मिनान, सुकून-ए-क़ल्ब और राहत महसूस हो। मस्जिद नबवी  के क़ालीन की देख-भाल के शोबे की तरफ़ से हरम नबवी ﷺ के क़ालीनों को उनके मेयार के मुताबिक़ तैयार किया जाता है। उन्हें साफ़ करने, जरासीम से महफ़ूज़ रखने और चौबीस घंटे उन्हें मुअत्तर रखने के लिए ख़ुसूसी एहतिमाम किया जाता है। 
    मस्जिद नबवी  के क़ालीनों की तैयारी के लिए आला मेयर का क़ीमती धागा इस्तिमाल किया जाता है। उन्हें मस्जिद नबवी  में बिछाने के लिए ख़ास डिज़ाइन में बनाया जाता है। क़ालीन के एक टुकड़े की मोटाई 16 मिली मीटर होती है। उनमें इन्सानी कसाफ़तों के बचाव की एक मज़बूत ताक़त होती है और उन पर नमाज़ अदा करते वक़्त नमाज़ी राहत और सुकून महसूस करते हैं। 
    
हरम-ए-नबवी मैं बिछे क़ालीनों पर क्यों लगाई जाती है इलेक्ट्रानिक चिप

ये बात काबिल-ए-ज़िक्र है कि मस्जिद नबवी 
 के क़ालीनों के हर टुकड़े पर एक इलेक्ट्रानिक चिप होती है, जो उसकी देखभाल के वक्त का पता देती है। इस पर लगी चिप कालीन की मुकम्मल मालूमात का पता देती है। इस चिप के डेटा को डीजीटल कोडिंग बारकोड के ज़रीये उसकी तैयारी की तारीख़ का पता लगाया जा सकता है। बार कोड पढ़ने से क़ालीन के उस टुकड़े की जगह, उसकी धुलाई की तारीख़, मस्जिद में उसे बिछाने की तारीख़ और मस्जिद नबवी  में एक से दूसरी जगह मुंतक़िल किए जाने की मालूमात मिलती हैं। मस्जिद नबवी  में 25 हज़ार से ज़्यादा क़ालीन मौजूद है जिन्हें दिन में तीन बार साफ किया जाता है। उन्हें 1،600 लीटर से ज़्यादा जरासीमकुश मवाद से पाक किया जाता है और 200 लीटर से ज़्यादा के साथ ख़ुशबू छिड़की जाती है।
  • मस्जिद नबवी ﷺ दुनिया की सबसे अज़ीम मस्जिदों में से एक है, जिसकी लागत 6 लाख 50000 करोड़ है। इसमें 2014 पिलर हैं.
  • मस्जिद में एक साथ 8 लाख 98000 लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं। मस्जिद में हर वक़्त दुनिया से आए तक़रीबन 3 लाख लोग मौजूद रहते हैं। यहां पीने के पानी के लिए रोज़ तकरीबन 20 लाख डिस्पोजल गिलास का इस्तेमाल होता है। मस्जिद की सफाई के लिए 1800 कर्मचारी तैनात है जो 3 शिफ्ट में 24 घंटे सफाई करते हैं। मस्जिद में तक़रीबन 50000 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जिसकी निगरानी 1 लाख लोग करते हैं। 
  • टॉयलेट की बात करें तो तीन मंज़िल नीचे तक तकरीबन 1 लाख लोग एक वक्त में गुसलखाने और टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो दिन में तीन बार साफ होता है.
  • पार्किंग में एक वक्त में 2 लाख गाड़ियां खड़ी की जा सकती हैं, जो कि तीन मंज़िल ज़मीन के अंदर तक है.
  • यहां दुनिया का सबसे बड़ा छाता लगा हुआ है, जो धूप में खुलता और शाम को बंद हो जाता है. एसी की बात की जाए तो मस्जिद में अनगिनत एसी लगे हैं जो मस्जिद के हर कोने को ठंडा रखते हैं। 


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