शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
हदीसे नबवी ﷺ तकदीर का लिखा टलता नहीं
हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल कर और अल्लाह ताअला से मदद चाह, और हिम्मत मत हार और अगर तुझ पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कह कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कह कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसके मंजूर हुआ, उसने वहीं किया।
- मुस्लिम शरीफ
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- File photo (image google) |
✅ लखनऊ : आईएनएस, इंडिया
उत्तर प्रदेश में गै़रक़ानूनी मदारिस के मुआमले में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट यूपी हुकूमत को सौंप दी है। ज़राइआ (सूत्रों) के मुताबिक़ रिपोर्ट में 13 हज़ार के क़रीब ग़ैर मंज़ूरशुदा मदारिस को बंद करने की सिफ़ारिश की गई है। एसआईटी की जांच और सिफ़ारिश के बाद मुदर्रिसा बोर्ड इन हज़ारों मदारिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है।
एसआईटी की जांच में जिन मदारिस को बंद करने की सिफ़ारिश की गई है, उनमें से ज़्यादातर हिन्दोस्तान,नेपाल सरहद पर हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ज़्यादातर मदरसे गुजिश्ता 20 सालों के दौरान ख़लीजी मुल्कों से मिलने वाले फ़ंडज़ से बनाए गए हैं। ज़राइआ ने दावा किया कि एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़्यादातर गै़रक़ानूनी मदारिस सात जिलों में बनाए गए हैं इनमें बहराइच, श्रावस्ती और महाराजगंज हिन्दोस्तान, नेपाल सरहद पर वाके हैं। नेपाल से मुत्तसिल (लगे हुए) इन जिलों में मदारिस की तादाद 500 से ज़्यादा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब एसआईटी की टीम ने इन मदारिस के चलाने वालों से आमदनी और अख़राजात के बारे में मालूमात मांगी तो वो तसल्लीबख़श जवाब नहीं दे सके। ऐसे में ख़दशा ज़ाहिर किया जा रहा था कि मुबय्यना (कथित) दहश्तगर्दी की फंडिंग के लिए इस्तिमाल होने वाली रक़ूम ख़लीजी ममालिक से हवाला के ज़रीये भेजी गई है।
मदारिस चलाने वालों ने एतराफ़ किया कि मदारिस अतयात की मदद से बनाए गए हैं, हालाँकि वो अतीया देने वालों के बारे में कोई जवाब नहीं दे सके। ज़राइआ के मुताबिक़ इतना ही नहीं, एसआईटी की जांच में ये बात भी सामने आई है कि इन गै़रक़ानूनी मदारिस में बच्चों का जिस्मानी इस्तिहसाल भी किया जाता है। दरअसल ऐसी इत्तिलाआत पहले भी आ रही थीं कि इन मदारिस की पहचान तक नहीं है। तहक़ीक़ात से ये बात भी सामने आई कि 23 हज़ार मदारिस में से सिर्फ पाँच हज़ार की आरिज़ी शिनाख्त है। बाअज़ मदारिस सनद (प्रमाण पत्र) के हुसूल के लिए दरकार शराइत भी पूरी नहीं कर सके।
यही नहीं, अक्सर मदारिस ने अपनी शिनाख्त की तजदीद भी नहीं करवाई और वो गै़रक़ानूनी तौर पर मदरसे चलाते रहे। आपको बताते चलें कि नेपाल से मुल्हिक़ा इलाक़ों में 80 मदारिस को ख़लीजी ममालिक से तक़रीबन 100 करोड़ रुपय की फंडिंग की ना सिर्फ मालूमात बल्कि तसदीक़ भी हुई थी। इस तरह की मालूमात सामने आने के बाद यूपी के तमाम मदारिस की जांच एसआईटी को सौंपने के अहकामात दिए गए थे। इबतिदाई तहक़ीक़ात में एसआईटी ने सरहदी जिलों में वाके मदारिस में तक़रीबन 100 करोड़ रुपय की फंडिंग का ख़दशा ज़ाहिर किया था।
जिसके बाद उत्तरप्रदेश की योगी हुकूमत ने तमाम मदारिस की तहक़ीक़ात का हुक्म दिया था। उतर प्रदेश की योगी हुकूमत पहले ही रियासत में चल रहे मदारिस का सर्वे कर चुकी है। सर्वे में ये बात सामने आई कि रियासत में 16,513 तस्लीमशूदा मदारिस हैं जबकि 8,500 ग़ैर तस्लीम शूदा मदारिस भी काम कर रहे हैं। इसके बाद ये इल्ज़ामात लगाए गए कि इन मदारिस को ग़ैर मुल्की फंडिंग मिल रही है, जिसका वो ग़लत इस्तिमाल कर रहे हैं। इस पूरे मुआमले की जांच के लिए एसआईटी टीम तशकील दी गई थी।
एसआईटी की जांच में जिन मदारिस को बंद करने की सिफ़ारिश की गई है, उनमें से ज़्यादातर हिन्दोस्तान,नेपाल सरहद पर हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ज़्यादातर मदरसे गुजिश्ता 20 सालों के दौरान ख़लीजी मुल्कों से मिलने वाले फ़ंडज़ से बनाए गए हैं। ज़राइआ ने दावा किया कि एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़्यादातर गै़रक़ानूनी मदारिस सात जिलों में बनाए गए हैं इनमें बहराइच, श्रावस्ती और महाराजगंज हिन्दोस्तान, नेपाल सरहद पर वाके हैं। नेपाल से मुत्तसिल (लगे हुए) इन जिलों में मदारिस की तादाद 500 से ज़्यादा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब एसआईटी की टीम ने इन मदारिस के चलाने वालों से आमदनी और अख़राजात के बारे में मालूमात मांगी तो वो तसल्लीबख़श जवाब नहीं दे सके। ऐसे में ख़दशा ज़ाहिर किया जा रहा था कि मुबय्यना (कथित) दहश्तगर्दी की फंडिंग के लिए इस्तिमाल होने वाली रक़ूम ख़लीजी ममालिक से हवाला के ज़रीये भेजी गई है।
मदारिस चलाने वालों ने एतराफ़ किया कि मदारिस अतयात की मदद से बनाए गए हैं, हालाँकि वो अतीया देने वालों के बारे में कोई जवाब नहीं दे सके। ज़राइआ के मुताबिक़ इतना ही नहीं, एसआईटी की जांच में ये बात भी सामने आई है कि इन गै़रक़ानूनी मदारिस में बच्चों का जिस्मानी इस्तिहसाल भी किया जाता है। दरअसल ऐसी इत्तिलाआत पहले भी आ रही थीं कि इन मदारिस की पहचान तक नहीं है। तहक़ीक़ात से ये बात भी सामने आई कि 23 हज़ार मदारिस में से सिर्फ पाँच हज़ार की आरिज़ी शिनाख्त है। बाअज़ मदारिस सनद (प्रमाण पत्र) के हुसूल के लिए दरकार शराइत भी पूरी नहीं कर सके।
यही नहीं, अक्सर मदारिस ने अपनी शिनाख्त की तजदीद भी नहीं करवाई और वो गै़रक़ानूनी तौर पर मदरसे चलाते रहे। आपको बताते चलें कि नेपाल से मुल्हिक़ा इलाक़ों में 80 मदारिस को ख़लीजी ममालिक से तक़रीबन 100 करोड़ रुपय की फंडिंग की ना सिर्फ मालूमात बल्कि तसदीक़ भी हुई थी। इस तरह की मालूमात सामने आने के बाद यूपी के तमाम मदारिस की जांच एसआईटी को सौंपने के अहकामात दिए गए थे। इबतिदाई तहक़ीक़ात में एसआईटी ने सरहदी जिलों में वाके मदारिस में तक़रीबन 100 करोड़ रुपय की फंडिंग का ख़दशा ज़ाहिर किया था।
जिसके बाद उत्तरप्रदेश की योगी हुकूमत ने तमाम मदारिस की तहक़ीक़ात का हुक्म दिया था। उतर प्रदेश की योगी हुकूमत पहले ही रियासत में चल रहे मदारिस का सर्वे कर चुकी है। सर्वे में ये बात सामने आई कि रियासत में 16,513 तस्लीमशूदा मदारिस हैं जबकि 8,500 ग़ैर तस्लीम शूदा मदारिस भी काम कर रहे हैं। इसके बाद ये इल्ज़ामात लगाए गए कि इन मदारिस को ग़ैर मुल्की फंडिंग मिल रही है, जिसका वो ग़लत इस्तिमाल कर रहे हैं। इस पूरे मुआमले की जांच के लिए एसआईटी टीम तशकील दी गई थी।