✒ रियाद : आईएनएस, इंडियासऊदी वज़ीर हज-व-उमरा डाक्टर तौफ़ीक़ अलरबीअह ने उमरा-व-हज पर आने वाले ज़ाइरीन के लिए नई सहूलतें मुतआरिफ़ कराने की तरग़ीब दी है। अख़बार 24 के मुताबिक़ जद्दा में हज-ओ-उमरा कान्फेंस-ओ-नुमाइश के एक मुबाहिसे (जायजे) के दौरान उन्होंने कहा कि बाअज़ ज़ाइरीन मक्का या मदीना में निकाह पढ़ाने की ख़ाहिश रखते हैं। ख़िदमात फ़राहम करने वाले इदारे उन्हें ये सहूलत फ़राहम कर सकते हैं। इसके लिए निजी फ़ोटोग्राफ़र का बंदोबस्त किया जा सकता है।
अलावा इसके डाक्टर तौफ़ीक़ अलरबीअह ने ज़ाइरीन को सहूलतों की फ़राहमी में इन्फ़िरादियत की हौसला-अफ़ज़ाई के लिए तीन एवार्डज़ का भी ऐलान किया। उनका कहना था कि मुनफ़रद ख़िदमात (विशेष सेवाओं) की हौसला-अफ़ज़ाई के लिए तरग़ीबात एहमीयत रखती हैं। सबसे अच्छे मंसूबे पर दस लाख रियाल, दूसरे बेहतरीन मंसूबे पर पाँच लाख और तीसरे मंसूबे पर ढाई लाख रियाल का इनाम होगा। नताइज का ऐलान आइन्दा हज कान्फ्रेंस में होगा। सऊदी वज़ीर हज ने कहा कि सरमायाकार (इन्वेस्टर, निवेशक) मुख़्तलिफ़ हवालों से मुनफ़रद (विशेष) सहूलतें फ़राहम कर सकते हैं। मिसाल के तौर पर टूरिस्ट गाईडज़, तिब्बी सहूलतें, मोबाइल फ़ारमेसियां, बच्चों की नर्सरी, रिहायश से हरम तक व्हील चेयर की सहूलत दी जा सकती हैं।
ज़ाइरीन के सफ़र को यादगार बनाने के लिए सरमायाकारों के सामने बहुत सारे काम हैं, जो किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जईफुर्रहमान प्रोग्राम के नुमायां तरीन एहदाफ़ में से ये है कि हज-ओ-उमरे पर आने वालों के सफ़र जियारत को यादगार बनाया जाए। जईफुर्रहमान प्रोग्राम विजन 2030 के प्रोग्रामों में से एक है। उमरा ज़ाइरीन की तादाद में रिकार्ड इज़ाफ़ा सरमायाकारों के लिए काफ़ी कुछ करने का एक बड़ा मौका है।
ज़ाइरीन को मस्जिद अल हरम और मस्जिद नबवी में मास्क की पाबंदी करने की हिदायत
रियाद : सऊदी अरब में हरमैन शरीफ़ैन के निगरां आला इदारे ने ज़ाइरीन को मस्जिद उल हराम मक्का मुकर्रमा और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम मदीना मुनव्वरा में मास्क की पाबंदी करने की हिदायत की है।सबक़ वैब के मुताबिक़ निगरां इदारे ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में ज़ाइरीन से अपील की है कि अगर वो तनफ़्फ़ुस के मर्ज़ (सांस की बीमारी) की अलामतें महसूस करें तो ऐसी सूरत में दूसरों की ख़ातिर मास्क का पाबंदी से इस्तिमाल करें। निगरां इदारे ने ज़ाइरीन को हिदायत की कि वो मशरूबात ज़्यादा से ज़्यादा इस्तिमाल करें। अपने आराम का हद दर्जा ख़्याल करें और डाक्टर के मश्वरे के बग़ैर एंटी बायोटिक हरगिज़ इस्तिमाल ना करें।
तलाक़ सालसा के ख़िलाफ़ सजा के बावजूद 13.7 लाख से ज़्यादा मुआमले दर्ज
नई दिल्ली : मुल्क में तीन तलाक़ को गै़रक़ानूनी क़रार दिए गए 5 साल से ज़्यादा का अरसा गुज़र चुका है। फिर भी इसके मुआमले नहीं रुके हैं। वज़ारत क़ानून के मुताबिक़ इस साल भी 1.725 मुस्लिम ख़वातीन तीन तलाका का शिकार हुईं है। ज़्यादा-तर ग़रीब घरानों से हैं। 19 सितंबर 2018 को क़ानून के नाफ़िज़ होने के बाद, तीन तलाक़ की 13.7 लाख शिकायात दर्ज की गई हैं।
2019 मैं तीन तलाक़ की 2.69 लाख शिकायात थीं। 2020 में ये तादाद कम हो कर 95 हज़ार रह गईं। लेकिन 2021 में ये 5.41 लाख तक पहुंच गईं और 2022 में कुल 2.45 लाख केस रिपोर्ट हुए। ये वो केसेज हैं जिनमें ख़वातीन को लीगल सर्विसिज़ अथार्टी ने क़ानूनी इमदाद दी थी। जिन मुआमलों की शिकायत नहीं की गई, वो इसके अलावा हैं। सुप्रीमकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान ने कहा कि मुस्लिम कम्यूनिटी के बड़े लीडरों को बेदारी फैलानी चाहिए। सेक्शन 7 जैसी सख़्त दफ़आत के बारे में वज़ाहत करें। इसमें शौहर की पेशगी ज़मानत पर समाअत मुतास्सिरा ख़ातून को सुने बग़ैर नहीं हो सकती। अगर ये बताया जाए तो लोग डर जाएंगे और इस पर अमल करेंगे। अदालतों को भी ऐसे मुआमलात को सख़्ती से निमटना चाहिए।
यूपी पुलिस के साबिक़ डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि अगर शौहर तीन तलाक़ की धमकी देता है तो ख़वातीन घरेलू तशद्दुद एक्ट के तहत पुलिस से शिकायत कर सकती हैं। क़ानून को नाफ़िज़ करने की पहली ज़िम्मेदारी तफतीशी एजैंसी यानी पुलिस की है।