✒ काहिरा : आईएनएस, इंडिया
गाजा के अल शिफा हस्पताल से रेस्क्यू किए जाने वाले 31 बच्चों को जुनूबी गाजा पहुंचाया गया। इनमें से एक फलीस्तीनी बच्चे अनस की मां का कोई पता नहीं चल रहा था। बर्तानवी न्यूज एजेंसी के मुताबिक बमबारी से मची अफरातफरी के चलते अनस और उसकी मां बिछड़ गए थे। यहां तक कि अल शिफा अस्पताल से बच्चों को रेस्क्यू करने तक अनस की मां का कोई पता नहीं चल पाया था। उधर अनस को ढूंढते-ढूंढते अनस की मां उसके दोबारा मिलने की आस खो चुकी थी।बाद में रफा के हस्पताल पहुंचाए जाने पर अनस को उसकी मां मिली। मां वरदा सबीता ने उसे गोद में लेते हुए अल्लाह का शुक्र अदा किया। एक टीवी चेनल को इंटरव्यू देते हुए फलस्तीनी मां ने कहा था कि इतने दिन गुजर जाने के बाद अपने बच्चे को जिंदा देखने की उम्मीद वह खो चुकी थी। उन्होंने बताया कि मेरे शौहर ने रफा के एक हस्पताल में नौजाईदा यूनिट के सरबराह की तरफ से फराहम करदा नामों की फेहरिस्त देखी, जिसमें उन्हें अनस का नाम नजर आया। फर्ते जजबात से लबरेज माँ ने हस्पताल में अपने बेटे को जिंदा देखते हुए कहा कि अल्लाह ताअला का शुक्र है कि हमारा बच्चा महफूज है और हमें मिल गया है। वालदैन के हस्पताल पहुंचते वक़्त अनस हल्के नीले रंग के कपड़े में मलबूस इंक्यूबेटर में पुरसुकून अंदाज में सो रहा था।
32 साला वरदा सबीता ने बताया कि गजा सिटी में हमारा घर जंग की नजर होने के बाद वो और उनका खानदान जुनूबी गजा के इलाके खान यूनुस के एक स्कूल में रह रहे हैं। शुमाली गजा से बे-घर होने वाले सैंकड़ों खानदान उस वक़्त खान यूनुस के स्कूल में पनाह गजीन बने हुए हैं। वर्दा ने बताया कि अनस को मिस्र लेजा कर मजीद तिब्बी इमदाद की पेशकश हुई है, लेकिन अपने शौहर और दूसरे बच्चों को छोड़कर वो मिस्त्र नहीं जाना चाहती। रफा हस्पताल के डाक्टरों के मुताबिक अनस गजा के अलशफा हस्पताल में कबल अज वक़्त पैदा होने वाले बच्चों में शामिल था। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के एक अहलकार ने मंगल को बताया था कि अलशफा हस्पताल से कब्ल अज वक़्त पैदा होने वाले बच्चों के निकाले जाने से पहले ही दो बच्चे इंतिकाल कर गए थे।