✒ दुबई : आईएनएस, इंडिया दुबई में दुनिया•ार में अपनी नौईयत (प्रकृÞति) की पहली तैरती मस्जिद की तामीर के मंसूबे पर तामीराती काम शुरू कर दिया गया है। मस्जिद तीन मंजिला होगी जिससे इस्लामी सयाहत को •ाी फरोग मिलेगा। अमीरात उल-यौम अखबार के मुताबिक तवक़्को है कि मस्जिद की तामीर आइंदा बरस तक मुकम्मल हो जाएगी। मस्जिद में 50 से 75 नमाजियों की गुंजाइश होगी। मस्जिद की तामीर पर 55 मिलियन दिरहम लॉगत आएगी। मस्जिद की पहली मंजिÞल मुकम्मल तौर पर जेर-ए-आब (पानी में) होगी, और मस्जिद का यही हिस्सा नमाज के लिए मखसूस होगा। जबकि दूसरी मंजिÞल पर मुख़्तलिफ मकासिद के लिए कान्फ्रÞैंस हाल तामीर किया जाएगा। तीसरी मंजिÞल इस्लामी फनून की नुमाइश के लिए मखसूस होगी। इसके अलावा कुरआन नुमाइश सेंटर •ाी कायम किया जाएगा। तैरती मस्जिद का मन्सूबा इदारा उमूर इस्लामी व फलाह की जानिब से पेश किया गया था।
2034 में सऊदी अरब फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए मैदान में
रियाद : सऊदी अरब ने फीफा वर्ल्ड कप 2034 की मेजबानी के लिए अपना नाम बाजाबता तौर पर पेश करने का ऐलान किया है। सऊदी अरब की इफ़्तिताही बोली को मुल्क में आलमी सतह के फूटबाल मुकाबलों की मेजबानी के बढ़ते हुए तजुर्बे और फीफा 2023 क्लब वर्ल्ड कप और इसके बाद 2027 के एशीयन फुटबाल चैंपीयनशिप में दुनिया•ार के शायकीन की मेजबानी के तजुर्बा हासिल होगा।सऊदी न्यूज एजेंसी एसपीए के मुताबिक वली अहद शहजादा मुहम्मद बिन सलमान ने इस हवाले से कहा कि मेजबानी का इरादा इस अमर की वाजेह दलील है कि ममलकत ने हमेशा दुनिया में अमन-ओ-मुहब्बत के पैगाम को फैलाया है। वली अहद का कहना था कि अमन व सलामती के पैगाम को फैलाने के लिए खेल सबसे अहम और नुमायां पहलूओं में से एक है क्योंकि उसके जरीये मुख़्तलिफ नसलों और सकाफ़्तों से ताल्लुक रखने वाले अफराद को आपस में मिलने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा, ममलकत ने बहुत से शोबों में नुमायां कामयाबियां हासिल की हैं जिनमें स्पोर्टस शामिल है। शहजादा मुहम्मद का कहना था कि सऊदी अरब अपने शानदार सकाफ़्ती विरसे, मआशी ताकत और अपने अवाम के अजाइम की बदौलत बड़े ईवेंटस की मेजबानी के लिए एक मारूफ मर्कज और बैन-उल-अकवामी मंजिÞल के तौर पर तेजी से उ•ारा है। याद रहे कि सऊदी विजन 2030 में खेलों को निहायत एहमीयत देता है जिनके जरीये मुल्क की मआशी तरक़्की और शहरीयों की जिंदगी के मेयार को मजीद बेहतर बनाया जाएगा। एसपीए के मुताबिक सउदी अरब 2018 से 50 से जाइद मारूफ आलमी खेलों के मुकाबलों की मेजबानी कर चुका है जिनमें फूटबाल, मोटर स्पोर्टस, टेनिस, ई स्पोर्टस और गोल्फ जैसे खेल शामिल हैं। सऊदी अरब 1994 से छ: बार फीफा वर्ल्ड कप में शिरकत कर चुका है। सऊदी पे्रस एजेंसी के मुताबिक सऊदी वजीर-ए-खेल ने इस मौका पर कहा कि 2034 में फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी से हमें दुनिया में आलमी खेलों का सफ अव्वल का मुल्क बनने का खाब पूरा करने में मदद मिलेगी। 2026 के बाद से फीफा वर्ल्ड कप में 48 टीमें हिस्सा लेंगी और सऊदी अरब तमाम मैचिज के इंतिजामात और शायकीन को बेहतरीन सहूलयात फराहम करने का इरादा रखता है।
जामिआ मिलिया के 26 मुहक़्किकीन स्टेनफोर्ड के दो फीसद साईंसदानों की फेंहरिस्त में शामिल
नई दिल्ली : जामिआ मिलिया इस्लामिया के लिए काबिल इफ़्तिखार है कि यूनीवर्सिटी के छब्बीस रिसर्चरों को इस्टेन फोर्ड यूनीवर्सिटी की आलमी सरकरदा दो फीसद साईंसदानों की फेहरिस्त में जगह मिली है। इस फेहरिस्त को इस्टेन फोर्ड यूनीवर्सिटी के माहिरीन ने तैयार किया था और जिसे एलिस वीयर ने शाइआ किया है। जामिआ मिलिया इस्लामीया के मुहक़्किकीन (शोधकर्ताओं) ने आलमी पैमाने पर नुमायां तहकीकी खिदमात अंजाम दी हैं। ये उसका पुख़्ता सबूत है। प्रोफेसर नजमा अखतर, शेखुल जामिआ मिलिया इस्लामीया ने कहा कि ये एतराफ जामिआ मिलिया इस्लामीया में गैरमामूली तहकीकी मयार को उजागर करता है। इससे हमारी यूनीवर्सिटी को आलमी नक़्शे पर अफजलीयत के बाब में इस्तिहकाम मिला है।इस्टेन फोर्ड यूनीवर्सिटी की फेहरिस्त में •ाारत के तकरीबन पैंतीस सौ रिसर्चर को जगह मिली है जिससे आलमी तहकीक के नक़्शे पर •ाारत की तहकीकी काविशों के गैरमामूली असरात का अंदाजा होता है। गौरतलब है कि तहकीक और तालीम के मैदान में जामिआ मिलिया इस्लामीया मुसलसल बेहतर से बेहतर कर रहा है और इस्टेन फोर्ड की फेहरिस्त में यहां के रिसर्चर्ज की शमूलीयत आलमी पैमाने पर मुहक़्किकाना हुसूलयाबी के फरोग के लिए उस के अजम का पुख़्ता सबूत है।