यूपी की ला यूनीवर्सिटीयों में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी दूसरे नंबर पर

यूपी की ला यूनीवर्सिटीयों में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी दूसरे नंबर पर

लखनऊ : आईएनएस, इंडिया 

यूपी की 4 ला यूनीवर्सिटीयां मुल्क की टाप 30 ला यूनीवर्सिटीयों की फेहरिस्त में शामिल हैं। इन यूनीवर्सिटीयों की दर्जाबन्दी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रेंकिंग फ्रेमवर्क ने जारी की है। साल 2023 की दर्जाबंदी के मुताबिक, लखनऊ की बाबा साहिब •ाीम राव आंबेडकर यूनीवर्सिटी का शोबा कानून मुल्क की टाप 30 यूनीवर्सिटीयों की फेहरिस्त में 10वें और रियासत में पहले नंबर पर है। इसके बाद अलीगढ़ की अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी मुल्क में 14वें और रियासत में दूसरे नंबर पर है। एएमयू अलीगढ़ की फैकल्टी आफ ला को रियासत के टाप ला कॉलिजों की फेहरिस्त में दूसरे नंबर पर रखा गया है। यूनीवर्सिटी एलएलबी में 5 साला इंटीग्रेटिड बीबीए (एच) एक एजाजी प्रोग्राम है। इसमें 12वीं के बाद आप सीयूईटी, यूजी इमतिहान के जरीये दाखिला ले सकते हैं। उसके लिए 12वीं में कम अज कम 50 फीसद स्कोर होना चाहिए। टेस्ट के बाद, आप यूनीवर्सिटी में दाखिले के लिए काउंसलिंग के लिए इंदिराज कर सकते हैं। 
    इसके अलावा यूनीवर्सिटी में दो साला एलएलएम प्रोग्राम, पीएचडी और डिप्लोमा कोर्सेज •ाी हैं। एएमयू फैकल्टी आफ ला की एक शाख केराला के मल्लापुरम जिÞला में •ाी है। यूनीवर्सिटी की फैकल्टी आफ ला की तारीख 100 साल से ज्यादा पुरानी है। जस्टिस डगलस स्ट्रीट ने 29 दिसंबर 1891 से यहां कानून पढ़ाना शुरू किया। बाबा साहिब •ाीम राव आंबेडकर यूनीवर्सिटी, लखनऊ का शोबा कानून रियासत के ला कॉलिजों की फहरिस्त में पहले नंबर पर है। ताहम, ये अपने आप में एक अलग कॉलेज नहीं है। यूनीवर्सिटी के स्कूल आफ लीगल स्टडीज में पाँच साला बीबी एलएलबी (एच) एक एजाजी प्रोग्राम है। जबकि लखनऊ की डाक्टर राम मनोहर लोहिया नेशनल ला यूनीवर्सिटी रियासत के टाप ला कॉलिजों और यूनीवर्सिटीयों की फेहरिस्त में तीसरे नंबर पर है। 
    बनारस हिंदू यूनीवर्सिटी, वाराणसी की फैकल्टी आफ ला रियासत के टाप ला कॉलिजों की फेहरिस्त में चौथे मुकाम पर है। हर साल वजारात-ए-तलीम मुल्क के टाप कॉलिजों की फहरिस्त जारी करती है। उसे एनआईआरएफ दर्जाबन्दी कहते हैं। ये फेहरिस्त वजारत की माहिरीन की कमेटी ने पाँच पैरामीटरज की बुनियाद पर तैयार किया है।

इसरो एक और कामयाबी से होगा हमकिनार

नई दिल्ली : इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) आसमान में एक और छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है । ये इस माह के आखिर में जांच के लिए तैयार किए गए खलाई जहाज से खलाबाजों को निकालने के लिए क्रू स्किप सिस्टम की जांच करने का मन्सूबा बना रहा है। इसरो ने ट्वीटर पर इससे मुताल्लिक कुछ तसावीर शेयर की हैं और साथ ही कहा है कि तैयारियां आखिरी मरहले में पहुंच गई हैं। ये इसरो का एक बहुत ही खास मिशन है। दरहकीकत ये तजुर्बा हिन्दोस्तान के खला में इन्सानी मिशन •ोजने के अहम मंसूबे का हिस्सा है। अगर ये कामयाब हो जाता है तो हिन्दोस्तान खला में एक और कामयाबी दर्ज कराएगा। 
    विक्रम सारा•ााई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि तैयारियां जोर-ओ-शोर से जारी हैं। खलाई जहाज के निजाम के तमाम पुर्जे़ (लॉन्च के लिए) श्रीहरी कोटा पहुंच चुके हैं। उनको जमा करने का काम जारी है। नायर ने कहा कि इस अमले से बचने के निजाम के साथ, हम हाई प्रेशर और ट्रांसोनिक हालात जैसे मुख़्तलिफ हालात की जांच करेंगे। इसरो के ओहदेदार ने कहा कि क्रू स्किप सिस्टम (सीईएस) गगन यान का एक अहम अंसर है। 

140 साल बाद मुकम्मल हो पाई स्वीडिश डिक्शनरी, ‘बार्बी डोल’ और ‘कम्पयूटर’ जैसे अलफाज को नहीं मिली जगह

लंदन : स्वीडिश जबान की डिक्शनरी 140 साल बाद मुकम्मल हो पाई है। फ्रÞांसीसी न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक स्वीडिश एकेंडमी डिक्शनरी, स्वीडिश एकैडमी की तरफ से तैयार की गई है जो अदब का नोबल इनाम देती है। ये डिक्शनरी 39 जिल्दों में है और 33 हजार 111 सफहात पर मुश्तमिल है। लुगत के एडीटर क्रिस्चन मेटसन ने एएफपी को बताया कि इसे 1883 में शुरू किया गया था और अब हम इसको मुकम्मल कर चुके हैं। गुजिशता सालों में 137 मुलाजमीन ने इस पर काम किया है। हालांकि अ•ाी •ाी हम इसे मुकम्मल नहीं कह सकते। क्योंकि ए से आर की जिल्दें अब इतनी पुरानी हो चुकी हैं कि जदीद अलफाज को शामिल करने के लिए उन पर नजर-ए-सानी करने की जरूरत है। मेटससन ने कहा कि ऐसा ही एक लफ़्ज एलर्जी है जो स्वीडिश जबान में 1920 के आस-पास आया लेकिन ए वाल्यूम में नहीं है क्योंकि यह 1893 में शाइआ हुआ था। इसी तरह बार्बी डोल, एप और कम्पयूटर उन 10 हजार अलफाज में शामिल हैं जो अगले सात सालों में डिक्शनरी में शामिल किए जाएंगे। ये डिक्शनरी 1521 से जदीद दौर तक स्वीडिश जबान का एक तारीखी रिकार्ड है। ये आॅनलाइन दस्तयाब है और इसकी सिर्फ 200 के करीब कापीयां शाइआ हुई हैं, जिनका इस्तिमाल बुनियादी तौर पर मुहक़्किकीन और माहिरीन लिसानियात करते हैं। 
    स्वीडिश एकेडमी की बुनियाद 1786 में किंग गुस्ताव सोइम ने मुल्क की जबान और अदब को फरोग देने और स्वीडिश जबान की 'पाकीजगी, ताकत और अजमत के लिए काम करने के लिए रखी थी।


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