29 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
मंगल, 18 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं‘जो चीज सबसे ज्यादा लोगों को जन्नत में दाखिल करेगी वह खौफ-ए-खुदा और हुस्ने अखलाख है।’
- तिर्मिजी
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यूजर्स का दिलचस्प तब्सरा, नदियां अपना रास्ता कभी नहीं भूलतीं
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडियादिल्ली में जमुना के पानी की बढ़ती सतह ने जिंदगी को दरहम-बरहम कर दिया है। मुख़्तलिफ मुकामात पर पानी जमा होने से लोगों को मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है। सैलाब का पानी आईटीओ, सुप्रीमकोर्ट और लाल किला तक पहुंच गया है। उधर दिल्ली के लाल किला की मुगल दौर की पेंटिंग और आज की तस्वीरें इंटरनेट पर वाइरल हो रही है। दोनों के दरमयान मुवाजना (तुलना) करके दिखाया गया कि किस तरह जमुना नदी हकीकत में लाल किला की पिछली दीवार से हो कर बहती थी।
आज सैलाब के बाद ये एक-बार फिर लाल किला की पिछली दीवारों से मिलकर बह रही है। तस्वीर को देखकर सोशल मीडिया यूजर्स कह रहे हैं कि दरिया कभी अपना रास्ता नहीं भूलती। इन्सान दरिया के सैलाबी मैदान पर तजावुज कर सकता है और इसके बहाव को महदूद कर सकता है लेकिन दरिया कभी-कभी अपनी खोई हुई जमीन वापिस लेकर पुराने तरीके से बहता है। लोग कह रहे हैं, जमुना नदी ने भी दिल्ली में अपना पुराना रास्ता ढूंढ लिया है, आज वो इन्सानों के जेर-ए-कब्जा जमीन पर बह रही है। सबसे पहले ट्वीटर यूजर हर्ष वत्स ने सैलाब में डूबे लाल किला और मुगल पेंटिंग की तस्वीर शेयर की।
उन्होंने वो मंजर दिखाया, जब जमुना नदी कुदरती तौर पर बहती थी। ट्वीटर यूजर ने पोस्ट के कैप्शन में लिखा कि एक दरिया कभी नहीं भूलता, दहाईयां और सदीयां गुजर जाने के बाद भी दरिया अपनी सरहदों पर दुबारा कब्जा करने के लिए वापिस आ जाता है। जमुना नदी ने अपना सैलाबी इलाका दुबारा हासिल कर लिया है। एक और यूजर ने भी इस तरह की तसावीर शेयर करते हुए लिखा कि फितरत हमेशा अपने रास्ते पर वापिस आती है।
बहुत से यूजर्स ने निशानदेही की कि जिन इलाकों में दरिया का पानी दाखिल हुआ है, वो सदियों से जमुना के सैलाबी मैदान हैं, और कई दहाईयों बाद भी उन्हें अपना रास्ता याद है। वहीं अगर अभी की बात करें तो जमुना नदी इतवार से खतरे के निशान से ऊपर है। दरिया का पानी राजघाट पर महात्मा गांधी की यादगार में भी दाखिल हो गया, जिसकी वजह से उद्यान के लॉन और रास्ते डूब गए हैं।