18 शव्वालुल मुकर्रम 1444 हिजरी
मंगल, 9 मई, 2023
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मकबूजा बैतुल-मुकद्दस : आईएनएस, इंडिया
इसराईल की आला अदालत ने इतवार के रोज आबादकारी की हामी तंजीम की जानिब से हुक्काम को मकबूजा मगरिबी किनारे में बद्दू आबादी पर मुश्तमिल एक गांव को मिस्मार करने पर मजबूर करने की दरखास्त मुस्तर्द कर दी। इस फैसले से गांव की मिल्कियत के बारे में बरसों की जारी कानूनी लड़ाईयों को खत्म कर दिया गया है।
यरूशलम के मशरिक (पश्चिम) में एक स्ट्रैटजिक शाहराह (हाई-वे) पर वाके खान अहमर गांव को 2018 में इस फैसले के बाद मिस्मार किया जाना था कि उसे इसराईली इजाजतनामे के बगैर तामीर किया गया है। ताहम गांव के 200 रिहायशियों को बैनुल अकवामी हिमायत हासिल है और ये मिस्मारी मुतअद्दिद (अनेक) वजूह और आलमी दबाव के बाइस मुल्तवी होती रही। दाएं बाजू का इसराईली ग्रुप रेगवीम हुकूमत को अदालत में लेकर गया था ताकि हुक्काम को गांव को मिस्मार करने पर मजबूर किया जाए। सुप्रीमकोर्ट ने इतवार के रोज हुकूमत को इन्हिदाम (ढहाने) के हुक्म में गैर मुअय्यना मुद्दत के लिए ताखीर (विलंब) की इजाजत दी, जिसमें सिक्योरिटी और सिफारती वजूहात का हवाला दिया गया है जिनकी तफसील एक खुफिया हुकूमती बयान की गई है।
योरपी यूनीयन और बैनुल अकवामी फौजदारी अदालत के दबाव और इसराईल में बरसों से जारी सियासी अदम इस्तिहकाम के बाइस इंतिजामीया ने खान अहमर के बारे में फैसला यके बाद दीगरे आठ बार मुल्तवी किया है। आखिरी बार सुप्रीमकोर्ट ने 7 फरवरी को वजीर-ए-आजम बेंजमिन नेतन्याहू की दाएं बाजू की हुकूमत की जानिब से गांव को मिस्मार करने की मंसूबा बंदी के लिए मजीद वक़्त की दरखास्त के बाद तीन माह के इलतिवा को मंजूर कर लिया था। इतवार के फैसले में, जजों ने जोर दिया कि खान अहमर गै़रकानूनी था लेकिन कबूल किया कि उन्हें जबरदस्ती उसके इन्हिदाम में मुदाखिलत नहीं करनी चाहिए। ये गांव मगरिबी किनारे के एरिया सी में है और मुकम्मल इसराईली कंट्रोल में है। फलस्तीनीयों के लिए वहां तामीराती इजाजतनामे हासिल करना तकरीबन नामुमकिन है।
इसराईल ने 1967 की छ: रोजा जंग के बाद से मगरिबी किनारे पर कब्जा कर रखा है, जहां तकरीबन 2.9 मिलियन फलस्तीनी आबाद हैं। यहां तकरीबन 475,000 यहूदी आबादकार भी रियासत से मंजूरशुदा बस्तियों में रहते हैं, जिन्हें बैन-उल-अकवामी कानून के तहत गै़रकानूनी समझा जाता है। इससे कब्ल इतवार के रोज इसराईली फोर्सिज ने मगरिबी किनारे में जुनूब में बैतुलहम के करीब एक फलस्तीनी गांव जबबत अलजहीब में एक प्राइमरी स्कूल को मिस्मार कर दिया था, ये भी रेगवीम की तरफ से दायर की गई दरखास्त के बाद अमल में आया था।