5 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
26 फरवरी 2023
26 फरवरी 2023
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीम कोर्ट ने बुध को कहा कि कर्नाटक की प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों में हिजाब पहन कर सालाना इम्तिहान में शामिल होने की इजाजत देने का मुतालिबा करने वाली तालिबात के एक ग्रुप की दरखास्त पर समाअत की जाएगी। चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने अजऱ्ी की समाअत से इत्तिफाक करते हुए कहा कि तालिबात की दरखास्त पर गौर किया जाएगा। दरखास्त गुजार की तरफ से पेश होने वाले एडवोकेट शादाँ फिरासत ने दावा किया कि तलबा मार्च से शुरू होने वाले सालाना इम्तिहानात में शिरकत करना चाहती है। तालिबात हिजाब पहन कर इस इमतिहान में शिरकत की इजाजत चाहती हैं। उन्होंने कहा कि तालिबात को पहले ही एक साल का नुक़्सान हो चुका है। अगर कोई राहत नहीं दी जाती है तो उनका मजीद एक साल जाए हो जाएगा। वकील शादाँ फिरासत ने बेंच के रूबरू दलायल देते हुए कहा कि हिजाब तनाजा की वजह से ये तालिबात पहले ही अपना ट्रांसफर प्राईवेट कॉलिजों में करा लिया था, लेकिन उन्हें इमतिहानात में शिरकत के लिए सरकारी कॉलिजों में जाना पड़ता है। वकील ने इस मुआमले में उबूरी राहत की इस्तिदा की है। इसी तरह की दरखास्त 23 जनवरी को भी तालिबात की जानिब से की गई थी। अदालत-ए-उज्मा ने 13 अक्तूबर 2022 को प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों में हिजाब पहनने पर कर्नाटक हुकूमत की तरफ से पाबंदी की कानूनी हैसियत पर अलग-अलग फैसला दिया था। मुआमले की समाअत जजों की बेंच के सामने की जानी थी। अदालत-ए-उज्मा की जस्टिस हेमंत गुप्ता (रिटायर्ड) और जस्टिस सुधांशु धूलिया पर मुश्तमिल बेंच ने कहा था कि चूँकि इखतिलाफ राय है, इसलिए इस मुआमले को गौर के लिए एक बड़ी बेंच की तशकील के लिए चीफ जस्टिस आफ इंडिया को भेजा जाएगा।
जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च 2022 के उस फैसले को चैलेंज करने वाली दरखास्तों को खारिज कर दिया था, जिसमें एक कम्यूनिटी को अपनी मजहबी अलामतें पहनने की इजाजत देना सेकूलरिज्म के खिलाफ माना गया था। जस्टिस गुप्ता के बरअक्स, जस्टिस धूलिया ने अपने फैसले में अपील की इजाजत देने और 5 फरवरी 2022 को रियास्ती हुकूमत की जानिब से जारी इस नोटीफिकेशन को मंसूख करने से इत्तिफाक नहीं किया था, जिसमें हिजाब पहन कर कॉलिजों में दाखिले पर पाबंदी आइद की गई थी।
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीम कोर्ट ने बुध को कहा कि कर्नाटक की प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों में हिजाब पहन कर सालाना इम्तिहान में शामिल होने की इजाजत देने का मुतालिबा करने वाली तालिबात के एक ग्रुप की दरखास्त पर समाअत की जाएगी। चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने अजऱ्ी की समाअत से इत्तिफाक करते हुए कहा कि तालिबात की दरखास्त पर गौर किया जाएगा। दरखास्त गुजार की तरफ से पेश होने वाले एडवोकेट शादाँ फिरासत ने दावा किया कि तलबा मार्च से शुरू होने वाले सालाना इम्तिहानात में शिरकत करना चाहती है। तालिबात हिजाब पहन कर इस इमतिहान में शिरकत की इजाजत चाहती हैं। उन्होंने कहा कि तालिबात को पहले ही एक साल का नुक़्सान हो चुका है। अगर कोई राहत नहीं दी जाती है तो उनका मजीद एक साल जाए हो जाएगा। वकील शादाँ फिरासत ने बेंच के रूबरू दलायल देते हुए कहा कि हिजाब तनाजा की वजह से ये तालिबात पहले ही अपना ट्रांसफर प्राईवेट कॉलिजों में करा लिया था, लेकिन उन्हें इमतिहानात में शिरकत के लिए सरकारी कॉलिजों में जाना पड़ता है। वकील ने इस मुआमले में उबूरी राहत की इस्तिदा की है। इसी तरह की दरखास्त 23 जनवरी को भी तालिबात की जानिब से की गई थी। अदालत-ए-उज्मा ने 13 अक्तूबर 2022 को प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों में हिजाब पहनने पर कर्नाटक हुकूमत की तरफ से पाबंदी की कानूनी हैसियत पर अलग-अलग फैसला दिया था। मुआमले की समाअत जजों की बेंच के सामने की जानी थी। अदालत-ए-उज्मा की जस्टिस हेमंत गुप्ता (रिटायर्ड) और जस्टिस सुधांशु धूलिया पर मुश्तमिल बेंच ने कहा था कि चूँकि इखतिलाफ राय है, इसलिए इस मुआमले को गौर के लिए एक बड़ी बेंच की तशकील के लिए चीफ जस्टिस आफ इंडिया को भेजा जाएगा।
जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च 2022 के उस फैसले को चैलेंज करने वाली दरखास्तों को खारिज कर दिया था, जिसमें एक कम्यूनिटी को अपनी मजहबी अलामतें पहनने की इजाजत देना सेकूलरिज्म के खिलाफ माना गया था। जस्टिस गुप्ता के बरअक्स, जस्टिस धूलिया ने अपने फैसले में अपील की इजाजत देने और 5 फरवरी 2022 को रियास्ती हुकूमत की जानिब से जारी इस नोटीफिकेशन को मंसूख करने से इत्तिफाक नहीं किया था, जिसमें हिजाब पहन कर कॉलिजों में दाखिले पर पाबंदी आइद की गई थी।
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