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मसनून दुआएं

 
Masnoon Duaen

कोई मुसीबत आए तो ये दुआ पढ़े

اِنَّالِلّٰہِ وَاِنَّااِلَیْہِ رَاجِعُوْنَ،اَللّٰھُمَّ أْجُرْنِیْ فِیْ مُصِیْبَتِیْ وَاَخْلِفْ لِیْ خَیْرًامِّنْھَا۔

हम तो अल्लाह ही के हैं और इस की तरफ़ लौट कर जाने वाले हैं , ए अल्लाह ! मुझे अपनी मुसीबत में अज्र दे और इस का नियम-उल-बदल अता फ़र्मा

Definitely we are from Allah and to Him is our return. O Allah, grant reward in my calamity and grant in its place a good substitute

मरीज़ की इयादत की दुआ

ابَأْسَ طُہُوْر اِنْ شَآ ئَ اللّٰہ۔
अ बासा तुहूर इन शा अल्लाह
कुछ डर नहीं, इंशा-ए-अल्लाह ताला ये बीमारी गुनाहों से पाक करने वाली है
There is no problem, If Allah wills, He will purge your sins by this illness

मरीज़ की शिफ़ायाबी की दुआ

اَسْأَلُ اللّٰہَ الْعَظِیْمَ رَبَّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ اَنْ یَّشْفِیَکَ۔ (سبع مرات)
अस अलूहो अल अल्लाह अजीम रब्बाल अर्शील अजीम अयंश्फिया-क (7 बार)
अर्श-ए-अज़ीम के बुलंद वबाला ख़ुदा से आपकी सेहत का साल करता हूँ।(सात मर्तबा

पांच वक्त की नमाजें

मुसलमानों पर रोजाना पांच वक़्त (फज्र, जुहर, अस्र, मगरिब और इशा) की नमाजें फर्ज हैं। दिन में नमाज की इब्दिता सुबह फज्र की नमाज से होती है, जो सुबह उठ कर फज्र पढ़ता है, वो बाकी वक्त की नमाजें भी आसानी से पढ़ लेता है और जिसकी फज्र छूटी, उसकी बाकी वक्त की नमाजें भी छूट जाती है। नींद की वजह से ही फज्र छूट जाती है जबकि नमाज नींद से बेहतर है, फज्र की अजान में ये अल्फाज भी होते हैं (अस्सलातु खैरूम मिनन नउम, मतलब नमाज नींद से बेहतर है)। आखिर मर कर दुनिया से चले जाना है और मौत के बाद नमाज काम आएगी। पाबंदी से नमाज पढने वालों के लिए कब्र में सुकून की अच्छी जिंदगी है और फिर ठिकाना जन्नत है। जबकि बेनमाजी के लिए कब्र से लेकर जहन्नम तक अजाब है।
- पेशकश : मोहम्मद शमीम, रायपुर

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