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शांति की शक्ति सबसे महान, दुनिया को आज इसी शक्ति की जरूरत

पीस आडिटोरियम में ब्रह्मा बाबा के 54वें स्मृति दिवस को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया

नई तहरीक : भिलाई

पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मुख्य शिक्षाओं को वीडियो एवं चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया।
पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मुख्य शिक्षाओं को वीडियो एवं चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा के 54वें स्मृति दिवस समर्थी दिवस को सेक्टर 7 स्थित पीस आॅडिटोरियम में विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया। 

    भिलाई सेवा केंद्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने पिताश्री ब्रह्मा बाबा के संस्मरण सुनाते हुए कहा, ब्रह्मा बाबा ने शांति की शक्ति द्वारा स्व के स्वभाव, संस्कार का परिवर्तन कर नई दुनिया की स्थापना का श्रेष्ठ कार्य प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा, जिस तरह हम साइंस के चमत्कार देखते हैं, वैसे ही शांति की शक्ति का चमत्कार हमें खुद भी अनुभव करना है और दूसरों को भी कराना हैे। शांति की शक्ति सबसे महान शक्ति है, दुनिया को आज इसी शक्ति की आवश्यकता हैे। उन्होंने कहा कि साइलेंस पॉवर से जितना हो सके स्वयं को सुधारना है, जितना हृदय शुद्ध होगा, उतना ही हम औरों को शुद्ध बना सकेंगे, राजयोग से ही हृदय शुद्ध होता हैे।

साइलेंस इज गोल्ड 

आज के इस विशेष वरदानी दिवस पर सच्चाई से अपनी जांच कर देह से अभिमान की खामी निकालते जाओ। पिता श्री ब्रह्मा बाबा कहते थे, ‘हमारा जीवन मोस्ट वैल्युएबल है, अभिमान वाला वैल्युएबल नहीं बल्कि स्वमान श्रेष्ठ स्थिति वाला वैल्युएबल।’ वे कहते थे, ‘व्यर्थ संकल्पों से भारीपन और थकावट होती है, इसलिए समर्थ बन, समर्थ संकल्पों की रचना करनी है।’ आशा दीदी ने आगे कहा, पिताश्री ब्रह्मा बाबा के अंतिम महावाक्य थे, निराकारी, निर्विकारी, निरअंहकारीे। संस्था प्रमुख होते हुए भी पिताश्री ब्रह्मा बाबा हर छोटा-बड़ा कार्य स्वयं करते थे। माताओं, बहनों को समाज में ‘नारी, नरक का द्वार’ कहकर अपमानित किया गया, ब्रह्मा बाबा ने ट्रस्ट बनाकर उन्हें निर्भय शिव शक्ति बनाया।

    इस दौरान पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मुख्य शिक्षाओं को वीडियो एवं चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया। ज्ञात हो कि पिताश्री ब्रह्मा बाबा के 54वें स्मृति दिवस को भिलाई, दुर्ग सहित समूचे विश्व के सभी सेवा केंद्रो में विश्व शान्ति दिवस के रूप में मनाया गया। 


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