लंदन : आईएनएस, इंडिया
‘कैनेडा में नस्ल परस्ती नहीं है’, ये जुमला कैनेडा को एक खुशगवार और रवादार मुल्क के तौर पर पेश करता है लेकिन नफरत पर मबनी (आधारित) जराइम के तसलसुल, कत्ल और मुख़्तलिफ कौमीयतों के खिलाफ नस्ली ताअस्सुब के वाकेयात इस तस्वीर को धुंधला कर रहे हैं।
अरब न्यूज के मुताबिक कैनेडीयन हुकूमत की वेबसाइट बताती है कि तनव्वो और दुनिया के मुख़्तलिफ गोशों से अफराद की मौजूदगी कैनेडा और मआशी तरक़्की की अलामत है। आम तौर पर दुनिया में कैनेडीयन अफराद के बारे में लोगों का ख़्याल मुसबत (पाजिटिव) है जबकि लंदन के इदारे लेगीतम इंस्टीटियूट ने 2015 में कैनेडा को रवादार तरीन मुल्क करार दिया था। हालांकि कैनेडा की तस्वीर के पीचे छपी तारीकी धीरे-धीरे लोगों का ख़्याल तबदील कर रही है, जहां इम्तियाज, इस्लामो फोबिया और नसल परस्ती पर मबनी वाकियात बढ़ रहे हैं। पिछले हफ़्ते छ: कैनेडियन नौजवानों को नफरत पर मबनी जराइम और एक शामी पनाह गजीन पर हमले का मुजरिम करार दिया गया। हमले की वीडीयो सोशल मीडीया पर बड़े पैमाने पर शेयर हुआ।
ये वाकिया आठ सितंबर को ओटावा के एक स्कूल में हुआ था। वीडीयो में देखा जा सकता है कि पंद्रह साला शामी लड़के के इर्दगिर्द कैनेडीयन लड़के मौजूद हैं जो उसके गले से हार नोचते हैं और नीचे गिरा कर उस पर मुक्के और लातें बरसाते हैं। उनमें से छ: नौजवानों पर डकैती, जुर्म की मंसूबाबंदी करने और धमकियों के इल्जामात लगाए गए हैं। अकवाम-ए-मुत्तहिदा के पनाह गजीनों के इदारे यूएनएचसीआर के मुताबिक कैनेडा पनाह गजीनों के हवाले से खुश आइंद पालिसी रखता है और मुल्क का तकरीबन पांचवां हिस्सा गैरमुल्कियों पर मुश्तमिल कैनेडा 1980 से अब तक 10 लाख से जाइद पनाह गजीनों को अपना चुका है। हालांकि तमाम कैनेडीयन इतनी खुश दिली से दूसरे मुल्कों से आने वालों को कबूल नहीं करते, खुसूसन जब वो मशरिक वस्ता (मध्य पूर्व) से आए हों। आंगस रेड इंस्टीटियूट के एक सर्वे में बताया गया कि 35 फीसद कैनेडीयन अफ़्गानिस्तान से आने वाले लोगों को कबूल करते हैं जबकि शाम से आने वालों को 31 फीसद कबूल करते हैं।
मुसलमानों के खिलाफ मामले बढ़े
शामी नौजवान पर हमले के अलावा भी देखा जाए तो एक दहाई में कैनेडा में मुस्लमानों के खिलाफ अदम बर्दाश्त में इजाफा हुआ है। सितंबर 2014 में क्वीनज यूनीवर्सिटी के मुस्लमान तलबा पर कुछ लोगों ने नसल परसताना नारे लगाते हुए हमला किया था। इसी तरह मई 2016 में इसी यूनीवर्सिटी में एक ईरानी नजाद तालिब-इल्म को 'अरब’ करार देते हुए उस पर हमला किया गया था।