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मक्का मुकर्रमा में कायम होगी मेयारी इंटरनेशन स्कूल, रियाद में खुलेगा दिमागी बीमारी का सबसे बड़ा अस्पताल

रबि उल अल अव्वल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

पहलवान वो नहीं जो कुश्ती लड़ने पर गालिब हो जाए बल्कि असल पहलवान वो है, जो गुस्से की हालत में अपने आप पर काबू पाए। 

- सहीह बुखारी 

मक्का मुकर्रमा में कायम होगी मेयारी इंटरनेशन स्कूल, रियाद में खुलेगा दिमागी बीमारी का सबसे बड़ा अस्पताल
✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मक्का मुकर्रमा की उम्मुल कुरा यूनीवर्सिटी और वादी मक्का कंपनी ने 'इला बदिया के इलाक़े में 25 हजार मुरब्बा मीटर रकबे में आलमी मेयार की इंटरनेशनल स्कूल क़ायम करने का मुआहिदा किया है। 
    सऊदी न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ फ़रीक़ैन ने सरमायाकारी (इन्वेस्टमेंट) के मुआहिदे पर दस्तख़त किए जिसके मुताबिक़ इस्लामी और अरब सक़ाफ़्त को मद्द-ए-नज़र रखते हुए मेयारी तालीम का एहतिमाम किया जाएगा। मुजव्वज़ा (प्रस्तावित) स्कूल का मन्सूबा दो मराहिल (चरणों) पर मुश्तमिल होगा जिसका पहला मरहला साल हिज्री 1446 में शुरू किया जाएगा जिसमें 5 हज़ार मुरब्बा मीटर पर बच्चों के लिए किंडर गार्डन क़ायम करने तमाम सहूलतें फ़राहम की जाएँगी। 
    दूसरे मरहले का आग़ाज़ 1447 हिज्री में किया जाएगा जिसमें सेकण्डरी स्कूल के लिए 5 हज़ार मुरब्बा मीटर रक़बे पर इमारत की तैयारी का आग़ाज़ किया जाएगा। स्कूल में 12 सौ तलबा-ओ-तालिबात की गुंजाइश होगी।

मक्का मुकर्रमा में कायम होगी मेयारी इंटरनेशन स्कूल, रियाद में खुलेगा दिमागी बीमारी का सबसे बड़ा अस्पताल

रियाद में खुलेगा दिमागी बीमारी का सबसे बड़ा अस्पताल 

रियाद : सऊदी अरब के दार उल हकूमत (राजधानी) रियाद में माहिरीन (एक्सपर्ट) ने नफ़सियाती सेहत (दिमागी मर्ज) के लिए मुख़तस (विशेष) हस्पताल के कयाम के सिलसिले में मंसूबाबंदी कर ली है। हस्पताल में नशे के अमराज़ का ईलाज भी किया जाएगा।
    गौरतलब है कि सऊदी अरब में 180 बिस्तरों की गुंजाइश के साथ ये अपनी नौईयत (अपनी तरह) का पहला हस्पताल होगा। इस पर 40.8 करोड़ रियाल की लागत आएगी। हस्पताल में ख़ुसूसी निगहदाशत (आईसीयू) और ख़वातीन, मर्द और नौजवानों के लिए नफ़सियाती वार्डों के अलावा जनरल और प्राईवेट रुम भी होंगे। गौरतलब है कि ममलकत में नशे और नफ़सियाती अमराज़ के ईलाज के लिए निजी हस्पताल नहीं हैं। टीम में माहिरीन के अलावा मालीयाती और इंतिज़ामी मुशीर, फार्मेसी और लेबोरेट्रीज के शोबे के माहिरीन और नशे और नफ़सियाती तिब्ब के माहिर शामिल हैं। याद रहे कि नशे का ईलाज कई प्रोग्रामों पर मुनहसिर होता है जिनमें नफ़सियाती ईलाज अहम तरीन है। इस तरीक़ा-ए-इलाज में नफ़सियाती मूआलिजीन और माहिरीन के साथ मरीज़ की नशिस्तें रखी जाती हैं। 


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