रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल 7 रमजान
हज़रत सय्यद हाशिम पीर अलैहिर्रहमा,बीजापुर
हज़रत मौलाना बदरुद्दीन क़ादरी अलैहिर्रहमा
बंदों के हुकूक की माफी के लिए सिर्फ तौबा काफी नहीं
'' हजरत अबु हरैरह रदि अल्लाहो अन्हु से रियायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जिसके जिम्मे उसके मुसलमान भाई का कोई हक हो, चाहे वो आबरू का हो या किसी और चीज का, उसे आज ही माफ करा लेना चाहिए। इससे पहले कि न दीनार होगा और न दिरहम होगा। (इससे मुराद कयामत का दिन है, यानी वहां हुकूक की अदायगी के लिए रुपया-पैसा न होगा। ''- बुखारी शरीफ
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✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीमकोर्ट ने जुमा को शहरीयत तरमीमी क़ानून (सीएए 2024) पर रोक लगाने की दरख़ास्तों पर 19 मार्च को समाअत करने पर इत्तिफ़ाक़ किया। चीफ़ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दरख़ास्त गुजार के वकील कपिल सिब्बल की दरख़ास्त को क़बूल कर लिया है।मुआमले पर फ़ौरी समाअत का मुतालिबा करते हुए सिब्बल ने कहा कि सीएए 2019 मैं पास हुआ था। उस वक़्त कोई उसूल नहीं थे। इसलिए कोई पाबंदीयां नहीं लगाई गईं। अब उन्होंने इंतिख़ाबात से कब्ल क़वानीन को नोटीफाई कर दिया है। शहरीयत दी गई तो उसे तबदील करना नामुमकिन हो जाएगा। इसलिए उबूरी दरख़ास्त की समाअत की जा सकती है। सॉलीसिटर जनरल तुषार महित ने मर्कज़ की नुमाइंदगी करते हुए कहा कि किसी भी दरख़ास्त गुज़ार को शहरीयत देने पर सवाल उठाने का कोई हक़ नहीं है। इसके बाद बेंच ने कहा कि वो इन तमाम दरख़ास्तों की फ़हरिस्त बनाएगी जो मंगल को होने वाली समाअत के लिए क़वाइद पर रोक लगाने की दरख़ास्त करती हैं।
सुप्रीमकोर्ट ने ये भी कहा कि 237 दरख़ास्तों के पूरे बैच को ताज़ा दरख़ास्तों के साथ दर्ज किया जाएगा। केराला की आईयूएमएल समेत कई पार्टियों ने सुप्रीमकोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल की है। मर्कज़ी हुकूमत ने 11 मार्च को शहरीयत (तरमीमी क़वाइद 2024) को मतला (सूचित) किया था जो 2019 के मुतनाज़ा (विवादित) सीएए को मोस्सर (प्रभावी) तरीक़े से नाफ़िज़ करता है। मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से सीएए के लिए क़वाइद जारी किए जाने के एक दिन बाद, केरला की सियासी जमात इंडियन यूनीयन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सुप्रीमकोर्ट से रुजू किया था और उन क़वानीन के नफ़ाज़ पर रोक लगाने की दरख़ास्त की थी। इंडियन यूनीयन मुस्लिम लीग ने मुतालिबा किया कि मुतनाज़ा क़ानून और ज़वाबत पर रोक लगाई जाए और इस क़ानून के फ़वाइद से महरूम मुस्लिम कम्यूनिटी के लोगों के ख़िलाफ़ कोई ज़बरदस्ती क़दम ना उठाया जाए।
इंडियन यूनीयन मुस्लिम लीग के अलावा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ़ इंडिया आसाम असेंबली में मुतअदिदद ने भी क़वाइद पर रोक लगाने के लिए दरख़ास्तें दायर कीं। दरख़ास्त में कहा गया है कि क़वाइद वाज़िह तौर पर लोगों के एक तबक़े के हक़ में महज उनकी मज़हबी शनाख़्त की बुनियाद पर ग़ैर मुंसिफ़ाना फ़ायदा उठाते हैं, जो हिन्दुस्तानी आईन आर्टीकल 14 और 15 के तहत जायज़ नहीं है।