✒ रियाद : आईएनएस, इंडिया जद्दा के तारीख़ी इलाक़े में 25 हज़ार आसारे-ए-क़दीमा के बाक़ियात (पुरानी चीजें) दरयाफ़त (मिली) हुई हैं जिनमें से बाअज़ (कुछ) का ताल्लुक़ ख़ुलफ़ाए राशिदीन के ज़माने से है।
इन मुक़ामात में मस्जिद उसमान बिन अफान, मशरिक़ी ख़ंदक़ और शुमाली (उत्तरी) बाड़ शामिल हैं। ये चीजें वली अहद शहज़ादा मुहम्मद बिन सलमान मंसूबे के तहत मिली हैं। वली अहद का मंसूबा जद्दा की तारीख़ी हैसियत को उजागर करना और आसारे-ए-क़दीमा (पुरातत्व) की हिफ़ाज़त शामिल है। नवंबर 2020 में जद्दाके तारीख़ी इलाक़े में आसारे-ए-क़दीमा की दरयाफ़त के लिए खुदाई का काम शुरू किया गया था। इस दौरान कई अहम तारीख़ी बाक़ियात दरयाफ़त हुए हैं। तहक़ीक़ (शोध) के मुताबिक़ मस्जिद उसमान बिन उफान में की जाने वाली खुदाई के दौरान ऐसे आसार दरयाफ़त हुए हैं, जिनका ताल्लुक़ पहली और दूसरी सदी हिजरी से है। ये आसारे-ए-क़दीमा ख़ुलफ़ाए राशिदीन के ज़माने से ताल्लुक़ रखते हैं जबकि कुछ का ताअल्लुक 15 वीं सदी हिजरी के शुरू से मुताल्लिक़ हैं। क़दीम (पुरानी) मस्जिद की खुदाई के दौरान ऐसे आसार भी मिले हैं, जिनका ताल्लुक़ पहली और दूसरी सदी हिज्री से और उन आसार का असल ताल्लुक़ जज़ीरा सेलान से है जिसका मतलब है कि जद्दा का तारीख़ी ताल्लुक़ खुलफा-ए-राशेदीन के दौर के ममालिक से था।
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मस्जिद में दरयाफ़त होने वाले मज़कूरा (उक्त) आसारे-ए-क़दीमा में ऐसे बर्तन भी मिले जो 16 वीं और 19 वीं सदी ईसवी से हैं और ये असल में चीन से लाए गए हैं। तारीख़ी अलशोना मुक़ाम पर खुदाई के दौरान ऐसे बर्तन मिले हैं, जिनका ताल्लुक़ 16वीं सदी ईसवी से है और ये यूरोप, जापान और चीन से लाए गए थे। बाब मक्का में खुदाई के दौरान मशरिक़ी ख़ंदक़ दरयाफ़त हुआ है, जिसका ताल्लुक़ 8 वीं सदी ईसवी से है। ऐसे कुतबे भी मिले हैं, जो जद्दा के तारीख़ी क़ब्रिस्तान में होने वाली दरयाफ़त से मिलते-जुलते हैं और उनका ताल्लुक़ 8 वीं और 9 वीं सदी ईसवी से है।