शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
अकवाल-ए-जरीं
ह्यह्य हजरत अब्दुलाह बिन उमर रदिअल्लाहो ताअला अन्हुमा से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह ङ्घ.. से सुना, आप ङ्घ.फरमाते हैं कि जब तुम्हारा कोई आदमी इंतेकाल कर जाए तो उसे ज्यादा देर तक घर पर मत रखो और उसे कब्र तक पहुंचाने और दफनाने में जल्दी करोह्णह्ण
- बैहकी शुअबुल ईमान
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
सऊदी हुक्मरान बिलख़सूस सऊदी वली अह्द बिन सुलेमान ने नाम निहाद विजन 2030 के तहत कई तब्दीलियों का ऐलान किया है, जो अज़ रूए इस्लाम और शरीयत, मुकम्मल तौर पर हराम है। इसी तनाज़ुर (सिलसिले) में अब वहां ऐसे प्रोग्राम बनाए जा रहे हैं, जो फुनूने लतीफ़ा (चुटकुले बाजी) को फ़रोग़ (बढ़ावा) देने और मौसीक़ी (गीत-संगीत) में तख़लीक़ी (क्रिएटिव) सोच रखने और सक़ाफ़्त (संस्कृति) को फैलाने वाली नस्ल को परवान चढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।सउदी अरब की आर्टस की फैकल्टी की पहली ख़ातून डीन मीना अलमालिकी ने कहा, शाह सऊद यूनीवर्सिटी और वज़ारत-ए-सक़ाफ़त यहां तक कि दीगर बैन-उल-अक़वामी यूनीवर्सिटीयों के साथ शराकत (भागीदारी) में भी मेयारी फ़नकाराना तालीमी प्रोग्राम तशकील दिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कॉलेज आफ़ आर्टस से फ़ारिग़-उत-तहसील (स्नातक) तलबा हमारे सऊदी मुआशरे से दक़यानूसी तसव्वुरात को तबदील करेंगे। उन्होंने मज़ीद कहा कि हम आर्ट से मुहब्बत के दौर में जी रहे हैं और दूसरों से प्यार करते हैं। लिहाज़ा इन ख़्यालात को उस नस्ल के दिलों में दाख़िल करना चाहिए। मिसाल के तौर पर हम समझते हैं कि मौसीक़ी रूह की ग़िज़ा है, क्योंकि ये इन्सान की रूहानियत को मुकम्मल करती है।
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उन्होंने मज़ीद कहा कि ड्राइंग इन्सान और तहज़ीब की सनअत (सभ्यता उद्योग) को बेहतर बनाने के लिए फुनूने लतीफ़ा को फैलाने का ज़रीया है। उन्होंने कहा कि हम सऊदी शहरी के तौर पर दुनिया को ये दिखाना चाहते हैं कि हम फ़न की एक पूरी तारीख़ थे।
अल मालिकी ने पहले कॉलेज आफ़ आर्टस के क़ियाम की कहानी का भी बयान किया। उन्होंने कहा कि मैंने वज़ीर सक़ाफ़्त शहज़ादा बदर बिन अब्दुल्लाह बिन फ़रहान की तवज्जा इस तरफ़ दिलाई। उन्होंने कहा, चार साल कब्ल शुरू इस कॉलेज को हम एक रोल मॉडल के तौर पर पेश कर रहे हैं। उन्होंने निशानदेही की कि शाह सऊद यूनीवर्सिटी में आर्टस फैकल्टी ने मेयार और इसके तालीमी प्रोग्रामों की वजह से मुमताज़ मुक़ाम की हामिल है। ये बात काबिल-ए-ज़िक्र है कि डाक्टर मीना अल मालिकी शाह सऊद यूनीवर्सिटी के एक मुमताज़ रहनुमा हैं जो फैकल्टी आफ़ ह्यूमैनिटीज़ एंड सोशल साईंसिज़ में स्ट्रैटजिक प्लान की एग्जीक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से भी ख़िदमात अंजाम दे रही हैं।
हैरत-अंगेज़ हैं सऊदी अरब में होने वाली तब्दीलियां : सरबराह एमएफ़
आलमी मालीयाती फ़ंड (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) 'आईएमएफ़ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालीना जोर्जिया ने कहा है कि सऊदी अरब में इक़तिसादी तनव्वो (आर्थिक विविधता) के हवाले से होने वाली तबदीली हैरत-अंगेज़ है। अरबी रोज़नामे 'उकाज़ के मुताबिक़ आईएमएफ़ की सरबराह का कहना था कि डिजीटल इन्फ़रास्ट्रक्चर और मआशी फ़आलीयत (आर्थिक गविविधियां) सऊदी अरब की सयाहती कशिश की बुनियादी वजूहात हैं। जोर्जिया ने दुबई में मुनाक़िद होने वाले अरब मालीयाती फोरम में शिरकत के मौक़ा पर कहा कि सऊदी अरब की मईशत (अर्थव्यवस्था) गैस और पेट्रोल पर इन्हिसार (निर्भर) करने के बजाय दीगर शोबों (अन्य क्षेत्रों) में भी फ़आल (सक्रिय) हो रही है।मआशी तनव्वो के हुसूल के लिए सऊदी अरब का विजन 2030 पर अमल दर-आमद करने का तरीक़ा काबिल-ए-सताइश (प्रशंसनीय) है। उन्होंने सऊदी सयाहत के हवाले से मज़ीद कहा कि मैंने ख़ुद अल ऊला का दौरा किया और वहां की ख़ूबसूरती और टैक्नोलोजी के इस्तिमाल के ज़रीये सयाहती तजुर्बा की फ़राहमी पर हैरान रह गई। उन्होंने मज़ीद कहा कि सऊदी मार्कीट में ख़वातीन की शिरकत से मुल्की मईशत को दोहरा फ़ायदा होगा।