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लिव इन रिलेशनशिप पर रोक नहीं, तलाक का अमल होगा आसान

26 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
सनीचर, 15 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं
किसी आदमी के बुरा होने के लिए इतना ही काफी है कि वह अपने मुस्लिम भाई को कमतर जानें।
-मुस्लिम शरीफ 
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देहरादून : आईएनएस, इंडिया 
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उत्तराखंड यूनीफार्म सिविल कोड का मुसव्वदा 15 जुलाई तक हुकूमत को पेश किया जा सकता है। मीडीया को मौसूल होने वाली मालूमात के मुताबिक, उत्तराखंड यूनीफार्म सिविल कोड को लेकर बनाई गई कमेटी अब तक काम में मसरूफ है। 
लिव इन रिलेशनशिप पर रोक नहीं, तलाक का अमल होगा आसान
    मुसव्वदा तैयार हो चुका है लेकिन इस दौरान मर्कज की तरफ से यूसीसी ड्राफ़्ट की तैयारी भी शुरू कर दी गई है, इसलिए रियासत अपने मुसव्वदे को मजबूत बनाने में मसरूफ है। कमेटी मुसव्वदे के हर उसूल के लिए मुआविन दस्तावेजात भी मुंसलिक कर रही है। यूसीसी का असल मुसव्वदा 150 सफहात पर मुश्तमिल है। इस में लिव इन रिलेशनशिप पर कोई पाबंदी नहीं, लेकिन उसे कानूनी शक्ल देने के लिए सख़्त इंतिजामात किए गए हैं। लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए डिक्लेरियशन फार्म भरना जरूरी है। आधार नंबर को भी डिक्लेरियशन फार्म के साथ जोड़ना होगा। लिव इन रिलेशनशिप से पैदा होने वाले बच्चे को नाजायज बच्चा नहीं कहा जाएगा। डिक्लेरियशन फार्म की बुनियाद पर बच्चे को वालदैन का नाम और हुकूक भी मिलेंगे। 
    नाबालिग और शादीशुदा अफराद लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते। इस वक़्त तलाक का अमल बहुत पेचीदा है। लोगों को तलाक लेने में सालों लग जाते हैं। यूनीफार्म सिविल कोड में इस अमल को आसान बनाया गया है। यकसां सिविल कोड ड्राफिटंग कमेटी के इजलास अब भी जारी हैं। कमेटी इस बात को यकीनी बनाने की कोशिश कर रही है कि मर्कजी मुसव्वदे से टकराव ना हो, उसके लिए संजीदगी से मुताला (अध्ययन) भी किया जा रहा है। जैसे ही मुसव्वदा मौसूल होता है, माना जा रहा है कि रियास्ती हुकूमत एक आर्डीर्नेंस के जरीये यूसीसी को नाफिज कर सकती है। मानसून इजलास में उसे असेंबली में पास कराने की तैयारियां जारी है। 


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