26 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
सनीचर, 15 जुलाई, 2023
अकवाले जरींकिसी आदमी के बुरा होने के लिए इतना ही काफी है कि वह अपने मुस्लिम भाई को कमतर जानें।
-मुस्लिम शरीफ
-------------------------------------------
रियाद : आईएनएस, इंडिया ------------------------
सदारत आम्मा बराए उमूर हरमैन शरीफैन ने मस्जिद अल हरम की खवातीन लाइब्रेरी में 7 नायाब मख्तूतात (पांडुलिपियां, मेनस्क्रिप्ट) नुमाइश के लिए रखे हैं। इनमें सबसे अहम ‘मुसहफ उसमानी’ है जो कि खलीफा उसमान बिन उफान के दौर में लिखा गया था। नुमाइश के लिए एक मुनफर्द लौह पेश की जा रही है, जिस पर मारूफ खत्तात मुहम्मद इबराहीम की लिखी गई कुरानी आयात शामिल हैं, हाथ से लिखा गया मख्तूत का दुनिया में मौजूद वाहिद नुस्खा है, इसके अलावा 60 साल पहले के पुराने अखबारात ‘जरू उलूफा ब अखबार दारुल मुसतफा’ का एक मजमूआ और बलूग अलकरी फी जे़ल, तहाफि अलवरी बाखबार एम अलकरी भी नुमाइश में शामिल है। इस बारे में बात करते हुए जनरल डिपार्टमेंट बराए सकाफ़्ती उमूर व खवातीन की डायरेक्टर अमीमा अल सदीस ने कहा कि नुमाइश का इफ़्तिताह (उदघाटन) एक तारीखी और सकाफ़्ती प्लेटफार्म के कियाम के लिए अमल में आया है जो मुआशरे को तारीखी और सकाफ़्ती लिहाज से अपने इल्मी तसव्वुरात को वुसअत देने के लिए काम करता है। उन्होंने कहा कि मक्का मुकर्रमा में हरम की खवातीन लाइब्रेरी दरअसल एक सकाफ़्ती झरोका है, जिसमें अल्लाह के मेहमानों के रुहानी और सकाफती तजुर्बे की तकवियत के लिए अहम सकाफ़्ती नमूनों की नुमाइश होती है। इस मकतबा में (12) जिमनी लाइब्रेरियां हैं। उन्होंने बताया कि इस नुमाइश के लिए लाइब्रेरी के इर्तिकाई मराहिल को दस्तावेजी शक्ल भी दी गई है। इस दौरान उन्होंने बाअज नादिर मख्तूतात, कुरान-ए-पाक के नायाब नुस्खे़, पुराने अखबारात, मस्जिद हराम और मक्का मुकर्रमा की पुरानी और जदीद तसावीर और बाअज मखतूतात की तसावीर भी दिखाई।
इस्टीवर्ट ने जब उसे गौर से देखा तो पता चला कि वो बेडफोर्ड लाइब्रेरी की है और उसकी हालत भी ज्यादा बुरी नहीं है। उन्होंने बेडफोर्ड में नायाब किताब जमा करने वाले जोडी गुडमैन से राबिता किया। बेडफोर्ड लाइब्रेरी के डायरेक्टर ओलीविया मेलो का कहना है कि ये बहुत अच्छी हालत में वापिस आई है, किसी ने यकीनन उसे बेहतरीन बुक शेल्फ में रखा होगा। इसीलिए ये खराब नहीं हुई। उनके ख़्याल में ये किताब खानदानी तौर पर एक-दूसरे को दी जाती रही है। ये किताब 1881 में मेस्क्वेल के इंतिकाल के दो साल बाद शाइआ हुई थी। लाइब्रेरी को अक्सर ऐसी किताबें वापिस की जाती हैं जो 10-15 साल कबल जारी करवाई गई हो मगर एक सदी या इससे भी ज्यादा पुरानी किताब की वापसी पहली बार हुई है।
ये मकाला उस वक़्त शाइआ हुआ था, जब दुनिया बिजली के हवाले से ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते थे। 1880 में थॉमस एडीसन ने पहली बार बिजली से बल्ब जलाया था, जब ये किताब लाइब्रेरी में पहुंची थी, उस वक़्त दुनिया जदीदीयत (आधुनिकता) की राह पर रवाना हो चुकी थी और उससे एक साल कबल ही विल्बर और ओरवेल राइट ने जहाज की कामयाब उड़ान भरी थी। डायरेक्टर ओलीविया मेलो का कहना है कि इस एक छपी हुई किताब की पाएदारी और वापसी इस बात का सबूत है कि कम्प्यूटराईजेशन के इस दौर में भी किताब की एहमीयत कम नहीं हुई है। बेडफोर्ड लाइबरी से किताब जारी करवा के मुकर्ररा तारीख तक वापिस ना करने पर पाँच सेंट रोज के हिसाब से लेट फीस वसूल की जाती है।
सदारत आम्मा बराए उमूर हरमैन शरीफैन ने मस्जिद अल हरम की खवातीन लाइब्रेरी में 7 नायाब मख्तूतात (पांडुलिपियां, मेनस्क्रिप्ट) नुमाइश के लिए रखे हैं। इनमें सबसे अहम ‘मुसहफ उसमानी’ है जो कि खलीफा उसमान बिन उफान के दौर में लिखा गया था। नुमाइश के लिए एक मुनफर्द लौह पेश की जा रही है, जिस पर मारूफ खत्तात मुहम्मद इबराहीम की लिखी गई कुरानी आयात शामिल हैं, हाथ से लिखा गया मख्तूत का दुनिया में मौजूद वाहिद नुस्खा है, इसके अलावा 60 साल पहले के पुराने अखबारात ‘जरू उलूफा ब अखबार दारुल मुसतफा’ का एक मजमूआ और बलूग अलकरी फी जे़ल, तहाफि अलवरी बाखबार एम अलकरी भी नुमाइश में शामिल है। इस बारे में बात करते हुए जनरल डिपार्टमेंट बराए सकाफ़्ती उमूर व खवातीन की डायरेक्टर अमीमा अल सदीस ने कहा कि नुमाइश का इफ़्तिताह (उदघाटन) एक तारीखी और सकाफ़्ती प्लेटफार्म के कियाम के लिए अमल में आया है जो मुआशरे को तारीखी और सकाफ़्ती लिहाज से अपने इल्मी तसव्वुरात को वुसअत देने के लिए काम करता है। उन्होंने कहा कि मक्का मुकर्रमा में हरम की खवातीन लाइब्रेरी दरअसल एक सकाफ़्ती झरोका है, जिसमें अल्लाह के मेहमानों के रुहानी और सकाफती तजुर्बे की तकवियत के लिए अहम सकाफ़्ती नमूनों की नुमाइश होती है। इस मकतबा में (12) जिमनी लाइब्रेरियां हैं। उन्होंने बताया कि इस नुमाइश के लिए लाइब्रेरी के इर्तिकाई मराहिल को दस्तावेजी शक्ल भी दी गई है। इस दौरान उन्होंने बाअज नादिर मख्तूतात, कुरान-ए-पाक के नायाब नुस्खे़, पुराने अखबारात, मस्जिद हराम और मक्का मुकर्रमा की पुरानी और जदीद तसावीर और बाअज मखतूतात की तसावीर भी दिखाई।
119 बरस बाद वापस आई बोस्टन लाइब्रेरी की किताब
न्यूयार्क : अमरीका के शहर बोस्टन की एक लाइब्रेरी को एक ऐसी किताब वापस मिली है जो 119 बरस कब्ल जारी करवाई गई थी। न्यूज एजेंसी एसोसीएटड प्रेस के मुताबिक 14 फरवरी 1904 को बेडफोर्ड पब्लिक लाइब्रेरी से जारी करवाई जाने वाली ये किताब दरअसल जेम्ज कलेरिक मैक्सवेल का बिजली से मुताल्लिक मकाला था। ये मुआमला उस वक़्त सामने आया, जब नायाब किताब के शौकीन स्टीवर्ट प्लेन वर्जिनिया यूनीवर्सिटी को अतिए में दी जाने वाली किताबों का जायजा ले रहे थे।इस्टीवर्ट ने जब उसे गौर से देखा तो पता चला कि वो बेडफोर्ड लाइब्रेरी की है और उसकी हालत भी ज्यादा बुरी नहीं है। उन्होंने बेडफोर्ड में नायाब किताब जमा करने वाले जोडी गुडमैन से राबिता किया। बेडफोर्ड लाइब्रेरी के डायरेक्टर ओलीविया मेलो का कहना है कि ये बहुत अच्छी हालत में वापिस आई है, किसी ने यकीनन उसे बेहतरीन बुक शेल्फ में रखा होगा। इसीलिए ये खराब नहीं हुई। उनके ख़्याल में ये किताब खानदानी तौर पर एक-दूसरे को दी जाती रही है। ये किताब 1881 में मेस्क्वेल के इंतिकाल के दो साल बाद शाइआ हुई थी। लाइब्रेरी को अक्सर ऐसी किताबें वापिस की जाती हैं जो 10-15 साल कबल जारी करवाई गई हो मगर एक सदी या इससे भी ज्यादा पुरानी किताब की वापसी पहली बार हुई है।
ये मकाला उस वक़्त शाइआ हुआ था, जब दुनिया बिजली के हवाले से ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते थे। 1880 में थॉमस एडीसन ने पहली बार बिजली से बल्ब जलाया था, जब ये किताब लाइब्रेरी में पहुंची थी, उस वक़्त दुनिया जदीदीयत (आधुनिकता) की राह पर रवाना हो चुकी थी और उससे एक साल कबल ही विल्बर और ओरवेल राइट ने जहाज की कामयाब उड़ान भरी थी। डायरेक्टर ओलीविया मेलो का कहना है कि इस एक छपी हुई किताब की पाएदारी और वापसी इस बात का सबूत है कि कम्प्यूटराईजेशन के इस दौर में भी किताब की एहमीयत कम नहीं हुई है। बेडफोर्ड लाइबरी से किताब जारी करवा के मुकर्ररा तारीख तक वापिस ना करने पर पाँच सेंट रोज के हिसाब से लेट फीस वसूल की जाती है।