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पोप फ्रांसिस का कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती पर गम-ओ-गुस्से का इजहार

15 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
मंगल, 4 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं
‘भलाई से उम्र में इजाफा होता है, और बेशक इंसान गुनाह की वजह से रिज्क से महरूम कर दिया जाता है।’ 
- इब्ने माजा
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वेटीकन सिटी : आईएनएस, इंडिया 
पोप फ्रांसिस ने स्वीडन में कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती पर गम-ओ-गुस्से का इजहार करते हुए इस अमल की मुजम्मत की और इजहार-ए-आजादी के लिए उसकी इजाजत देने के इकदाम को मुस्तर्द कर दिया। 
Pope Francis expresses sorrow and anger at the desecration of Quran-e-Pak

    गैरमुल्की खबररसां एजेंसियों के मुताबिक पोप फ्रांसिस का ऐसा बयान गुजिशता हफ़्ते स्वीडन के दार-उल-हकूमत स्टाक होम में ईद-उल-अजहा के मौका पर मुस्लमान कम्यूनिटी के सामने कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती करते हुए मुकद्दस औराक को नजर-ए-आतिश करने के अमल के बाद आया है। स्वीडन में पेश आने वाले इस अमल के खिलाफ मुतअद्दिद ममालिक ब शमूल तुरकिया ने इसकी मुजम्मत की है, जो स्वीडन के नेटो फौजी इत्तिहाद में शामिल होने की जरूत की हिमायत करता रहा है। मुत्तहदा अरब अमीरात के अखबार को दिए गए इंटरव्यू में पोप फ्रांसिस ने कहा कि हर वो किताब जो मुकद्दस तसव्वुर की जाती है, उस पर यकीन रखने वालों का एहतिराम करने के लिए उस किताब की इज्जत करनी चाहिए। 
    पोप फ्रांसिस ने कहा कि मैं इन इकदामात पर गुस्सा महसूस कर रहा हूं, इजहार-ए-आजादी दीगर से नफरत करने और काबिल-ए-मुजम्मत इकदामात की इजाजत देने के लिए हरगिज इस्तिमाल नहीं होनी चाहिए। इधर स्वीडन पुलिस ने हाल ही में कुरआन मुखालिफ मुजाहिरों के लिए आई मुतअद्दिद दरखास्तें मुस्तर्द कर दी हैं, लेकिन अदालतों ने ये कहते हुए फैसलों को मुस्तर्द कर दिया कि ये आजादी इजहार की खिलाफवरजी है। गुजिश्ता रोज 57 इस्लामी ममालिक पर मुश्तमिल इस्लामी तआवुन तंजीम (ओआईसी) ने स्वीडन में कुरान-ए-पाक को नजर-ए-आतिश किए जाने के बाद रद्द-ए-अमल देते हुए कहा था कि कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती की कार्यवाईयों को रोकने के लिए इजतिमाई इकदामात की जरूरत है और मजहबी बुनियादों पर नफरत को रोकने के लिए बैन-उल-अकवामी कानून का इस्तिमाल किया जाना चाहिए। 
    दरे असना (उसी बीच) सऊदी अरब ने कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती करने पर मुजम्मत करने के लिए स्वीडन के सफीर को तलब कर लिया। सऊदी अरब की सरकारी खबररसां एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि वजारत-ए-खारजा ने स्वीडन के सफीर को तलब करके इस बात पर जोर दिया कि इन तमाम इकदामात को रोका जाए जो बराह-ए-रास्त रवादारी, एतिदाल पसंदी और इंतिहापसंदी को तर्क करने के इकदार को आम करने की बैन-उल-अकवामी कोशिशों के मुनाफी हैं और रियासत और लोगों के दरमयान ताल्लुकात के लिए बाहमी एहतिराम को कमजोर करते हैं। 
    वाजेह रहे कि 28 जून को एक शख़्स ने मुल्क में ईद-उल-अजहा के पहले दिन और सऊदी अरब में हज के इखतताम पर स्टाक होम की मर्कजी मस्जिद के बाहर कुरान-ए-पाक के औराक फाड़ कर नजर-ए-आतिश कर दिए थे। स्वीडन में पेश आने वाले इस वाकिये पर पाकिस्तान, तुरकिया, अरदन, फलस्तीन, सऊदी अरब, मराकश, इराक और ईरान समेत मुतअद्दिद ममालिक की जानिब से शदीद तन्कीद की गई।


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