ओआईसी का हंगामी इजलास, कुरआन-ए-मजीद की बे-हुरमती के खिलाफ इजतिमाई कार्रवाई का मुतालबा

15 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
मंगल, 4 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं
‘भलाई से उम्र में इजाफा होता है, और बेशक इंसान गुनाह की वजह से रिज्क से महरूम कर दिया जाता है।’ 
- इब्ने माजा
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रियाद : आईएनएस, इंडिया 
इस्लामी तआवुन तंजीम (ओआईसी) ने कुरआन-ए-मजीद की बे-हुरमती के वाकियात की रोकथाम के लिए इजतिमाई इकदामात की जरूरत पर जोर दिया है और कहा है कि मजहबी मुनाफिरत को रोकने के लिए बैन-उल-अकवामी कवानीन को ब रुएकार लाया जाना चाहिए। 
Uproar session of OIC calls for collective action against desecration of Quran-e-Majid


ये बयान सऊदी अरब के शहर जद्दा में इतवार को तंजीम के एक गैरमामूली इजलास के बाद सामने आया है। इस इजलास में स्वीडन में गुजिशता बुध को ईद-उल-अजहा के मौका पर कुरआन मजीद की जिगर खराश बे-हुरमती के वाकिये और इसके मुजम्मिरात पर तबादला ख़्याल किया गया। ओआईसी के सेक्रेटरी जनरल हुसैन इबराहीम ताहा ने कहा कि हमें बैन-उल-अकवामी कानून के फौरी इतलाक के बारे में बैन-उल-अकवामी बिरादरी को मुसलसल याद-दहानी करानी चाहिए। ये कानून वाजिह तौर पर मजहबी मुनाफिरत की वकालत की मुमानअत करता है। 
कई साल कब्ल इराक से फरार होकर स्वीडन पनाह गजीन होने वाले एक शख़्स ने ईद उल अजहा के पहले रोज स्टाक होम की मर्कजी मस्जिद के बाहर कुरान-ए-पाक के औराक को फाड़ कर जला दिया था। 


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