13 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
इतवार, 2 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं‘जिस शख्स ने सूरज के मग्रिब की तरफ से तुलूअ होने यानि कयामत के कायम होने से पहले तौबा कर ली, अल्लाह ताअला उसकी तौबा कुबूल कर लेता है।’
- मिशकात शरीफ
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मकबूजा बैतुल-मुकद्दस : आईएनएस, इंडिया मस्जिद अकसा के एतराफ में इसराईली फौज के कड़े पहरे के बावजूद एक लाख फलस्तीनीयों ने किबला अव्वल में ईद-उल-अदहा की नमाज अदा की। फलस्तीनी महिकमा औकाफ ने कहा कि ईद पर 100,000 नमाजियों ने मस्जिद अकसा में ईद अदहा की मुबारक नमाज अदा की। फलस्तीनीयों ने अल-कूदस और मस्जिद अल-अकसा के खिलाफ काबिज रियासत के मजमूम मन्सूबों को नाकाम बनाने के लिए शहरीयों से मस्जिद अकसा में जमा होने की अपील की थी। ईद उल अदहा एक ऐसे वक़्त में आई है, जब मस्जिद अकसा के खिलाफ काबिज सहयोनी रियासत की जारहीयत, आबाद कारी और यहूदयाने मंसूबे और मस्जिद अकसा की जमानी और मकानी तकसीम की साजिÞशें जोरों पर हैं। ऐनी शाहिदीन (चश्मदीद) के मुताबिक काबिज फौज ने ईद से कबल मस्जिद अकसा के एतराफ की नाकाबंदी कर रखी थी। जगह-जगह नाके लगा कर फलस्तीनीयों की शिनाख़्त परेड की गई थी।
इसराईली कैदखानों में कैद पांच हजार फलस्तीनी ईद की खुशियों से महरूम
गाजा : इसराईली जिÞंदानों (कैदखानों) में पाबंद-ए-सलासिल हजारों मर्दो खवातीन, बच्चे और बुजुर्ग एक बार फिर की खुशियों से अपने प्यारों से दूर गुजारने पर मजबूर हैं। दूसरी तरफ उनके प्यारों ने भी कैद बहन भाईयों, बच्चों और बुजुर्गों से दूरी की वजह से सदमे की कैफीयत में ईद मनाई।फलस्तीनी वजारत बराए उमूर असीरान ने मंगल को ईद-उल-अदहा के मौका पर कहा कि काबिज रियासत की जेलों में तकरीबन 5000 कैदी ईद की बाबरकत फिजा में महरूमियों की तल्खी और अहिल-ए-खाना और दोस्तों से दूर दुश्मन की कैद में हैं। वजारत असीरान ने बताया कि कैदीयों में तकरीबन 32 खवातीन, 160 बच्चे और उम्रकैद की सजा पाने वाले 560 कैदी शामिल हैं, उनके अलावा तकरीबन 400 ऐसे कैदी भी शामिल हैं, जिन्हें 20 साल से जाइद अर्से से मुसलसल पाबंद-ए-सलासिल रखा गया है। बयान में कहा गया है कि मुआमला यहीं पर नहीं रुकता बल्कि काबिज जेल रियासत की इंतिजामीया जेलों के अंदर कैदियों को हिरासाँ करने और ईद के इनइकाद में खलल डालने की कोशिश कर के जेलों के अंदर किसी भी तरह के ईद के माहौल को पैदा करने से रोकने की कोशिश की गई। कैदियों को इजतिमाई दुआओं से और अपने प्यारों से राबतों से भी महरूम रखा गया। वजारत असीरान ने बहादुर कैदियों को आजाद कराने और उन्हें दुश्मन की जेलों से निकालने और उनकी जंजीर तोड़ने के लिए तमाम तवानाईयां सिर्फ़ करने के अजम का इजहार किया।