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स्वीडिश अदालत का फरमान, कुरआन को नजर-ए-आतिश करने वाले मुजाहिरों को पुलिस नहीं रोक सकती

03 जिल हज्ज 1444 हिजरी
जुमेरात, 22 जून 2023
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लंदन : आईएनएस, इंडिया 
स्वीडन की एक अपील कोर्ट ने पीर के रोज करार दिया है कि पुलिस के पास उन दो इज्तिमाआत को रोकने की कोई कानूनी बुनियाद नहीं थी, जहां मुजाहिरीन ने साल के शुरू में कुरआन-ए-मजीद को जलाने का मन्सूबा बनाया था। जनवरी में दार-उल-हकूमत स्टाकहोम में तुरकिया के सिफारत खाने के बाहर इस्लाम की मुकद्दस किताब को नजर-ए-आतिश करने के वाकिये ने मुस्लिम दुनिया में गम-ओ-गुस्से को जन्म दिया था। 
स्वीडिश अदालत का फरमान, कुरआन को नजर-ए-आतिश करने वाले मुजाहिरों को पुलिस नहीं रोक सकती

    उसके खिलाफ कई हफ़्तों तक एहतिजाज जारी रहा था, एहितजाजी मुजाहिरों में स्वीडिश मसनूआत (प्रोडक्ट) के बाईकॉट का मुतालिबा किया गया और स्वीडन की नेटो रुकनीयत की कोशिशों को रोक दिया गया था। उस वाकिये के बाद, पुलिस ने फरवरी में स्टाकहोम में तुरकिया और इराक के सिफारतखानों के बाहर कुरआन को नजर-ए-आतिश करने की दो दीगर दरखास्तों को मंजूर करने से इनकार कर दिया था। ये दरखास्तें एक शख़्स और एक तंजीम की तरफ से दायर की गई थीं। पुलिस का कहना था कि जनवरी में होने वाले मुजाहिरों ने स्वीडन को हमलों का ज्यादा तरजीही हदफ बना दिया है। दोनों एहितजाजी मुंतजमीन की अपीलों के बाद स्टाकहोम की इंतिजामी अदालत (एडमिनिस्ट्रेटव कोर्ट) ने ये कहते हुए पुलिस के फैसले को कुलअदम करार दे दिया कि महज सिक्योरिटी खदशात एहतिजाज के हक को महदूद करने के लिए काफी नहीं हैं। ताहम (हालांकि) स्टाकहोम पुलिस ने इंतिजामी अदालत के इन फैसलों के खिलाफ अपील अदालत में अपील दायर की थी। 
    उसने पीर के रोज निचली इंतिजामी अदालत का हुक्म बरकरार रखा है। दोनों अलग-अलग दरखास्तों पर दोनों फैसलों में अपील कोर्ट ने कहा कि पुलिस की जानिब से हवाला दिए गए आर्डर और सिक्योरिटी के मसाइल का मन्सूबाबंद तकरीब या उसके आस-पास के इलाके से काफी वाजेह ताल्लुक नहीं है। अपील अदालत के हुक्म में मजीद कहा गया है कि इस फैसले के खिलाफ स्वीडन की सुप्रीम इंतिजामी अदालत में अपील की जा सकती है। स्वीडिश पुलिस ने जनवरी में स्वीडिश नजाद (मूल के) डैनिश कारकुन रासमस पालो को मुजाहिरे की इजाजत दी थी। उस दरीदादहन शख़्स को पहले ही नसल परस्ताना बदसुलूकी के इल्जाम में सजा सुनाई जा चुकी है। पालो ने गुजिशता साल स्वीडन के सफर के दौरान में भी फसादाद भड़काए थे और इस्लाम की मुकद्दस किताब के नुस्खों को सर-ए-आम नजर-ए-आतिश किया था। 
    जनवरी में कुरआन जलाने के वाकिये से स्वीडन के तुरकिया के साथ ताल्लुकात को भी नुक़्सान पहुंचा था और तुरकिया ने खासतौर पर इस बात पर बरहमी (गुस्से) का इजहार किया था कि पुलिस ने मुजाहिरे की इजाजत दी थी। अँकरा ने स्वीडन की नेटो की रुकनीयत की कोशिश को भी रोक दिया था क्योंकि वो स्टाक होम में कुर्द ग्रुपों के खिलाफ क्रैक डाउन करने में नाकाम रहा है, जिसे तुरकिया दहश्त गर्द समझता है। तुर्क सदर रजब तय्यब अर्दआन ने जनवरी में कहा था कि ये वाजेह है कि जिन लोगों ने हमारे मुल्क के सिफारत खाने के सामने इस तरह की दरीदा दुहनी की कोशिश की, वो अब नेटो की रुकनीयत के लिए अपनी दरखास्त के हवाले से हमसे किसी मेहरबानी की तवक़्को नहीं कर सकते। स्वीडन के सियासतदानों ने मुस्लमानों की मुकद्दस किताब कुरआन को जलाने पर तन्कीद की है, लेकिन साथ इजहार राय की आजादी के हक का भी भरपूर दिफा किया है।


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