02 जिल हज्ज 1444 हिजरी
बुध, 21 जून 2023
अकवाले जरीं
‘अगर चाहते हो रिज्क में बरकत और उम्र दराज हो तो अपने रिश्तेदारों से नेक सुलूक करो।’
- बुखारी शरीफ
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काहिरा : आईएनएस, इंडिया
मिस्री हुक्काम ने 225 साल बंद रहने वाली मुल्क की तीसरी सबसे बड़ी तारीखी मस्जिद अल जाहिर को दुबारा खोल दिया। वजीर औकाफ डाक्टर मुहम्मद मुखतार जमा और काहिरा के गवर्नर मेजर जनरल खालिद अबद उलाल ने मस्जिद का इफ़्तिताह (उदघाटन) किया और बहाली के बाद पहली नमाज-ए-जुमा अदा की।  |
file photo |
मिस्री वजीर औकाफ ने ये भी इन्किशाफ (खुलासा) किया कि ये मस्जिद 666 हिज्री में कायम हुई थी। इसे 1798 में उस वक़्त बंद कर दिया गया, जब फ्रÞांसीसी मुहिम ने उसे फौजी मुकाम के तौर पर इस्तिमाल करना शुरू कर दिया था। फिर मुहम्मद अली का दौर आया तो इस मस्जिद को एक साबुन की फैक्ट्री के तौर पर इस्तिमाल किया गया, अंग्रेज ने इस तारीखी मस्जिद को जानवरों के लिए कुर्बान गाह के तौर पर भी इस्तिमाल किया। डाक्टर जमा ने कहा कि मिस्री हुकूमत ने मस्जिद को उसके मुकाम और हैसियत पर वापिस लाने का फैसला किया और तकरीबन 237 मिलियन पाऊंड की लागत से उसे दुबारा आबाद और तैयार कराया। इन अखराजात में वजारत औकाफ ने अपने वसाइल से 60 मिलियन पाऊंड का हिस्सा शामिल किया। महिकमा सयाहत (पर्यटन विभाग) ने तकरीबन 150 मिलियन पाऊंडज का हिस्सा डाला और कजाकस्तान की रियासत ने 27 मिलियन पाऊंड का हिस्सा शामिल किया। मिस्री वजीर ने तसदीक की कि मिस्री रियासत जदीद मसाजिद की तामीर भी कर रही है। नए शहरों में नई मसाजिद तामीर की जा रही हैं। इन मसाजिद में सर-ए-फहरिस्त मिस्र की मस्जिद है। ये नए इंतिजामी दार-उल-हकूमत में इस्लामी सकाफ़्ती मर्कज के तौर पर काम कर रही है।