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मस्जिद अकसा में जुमे के दिन ढाई लाख फलस्तीनीयों ने की नमाज की अदायगी

24 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
इतवार, 16 अपै्रल, 2023

मकबूजा बैतुल-मुकद्दस : आईएनएस, इंडिया 
यरूशलम की सड़कों पर इसराईली सिक्योरिटी अहलकारों की बड़ी तादाद मौजूद रही जब मस्जिद अकसा में ढाई लाख फलस्तीनी मुस्लमानों ने रमजान उल-मुबारक के चौथे और गालिबन आखिरी जुमे की नमाज अदा की। 

مسجد اقصیٰ میں جمعہ کو ڈھائی لاکھ فلسطینیوں نے نماز ادا کی۔Two and a half million Palestinians offer prayers at Masjid Aqsa on Friday

    न्यूज के मुताबिक इस मौका पर तीन हजार 200 से जाइद पुलिस, बॉर्डर पुलिस और शनबैट सिक्योरिटी एजेंटस को मस्जिद की तरफ जाने वाली सड़कों पर तयनात किया गया था। हुक्काम ने तमाम उम्र की खवातीन, 55 साल से ज्यादा उम्र के अफराद और 12 साल से कम उमर बच्चों को मगरिबी किनारे से यरूशलम में नमाज-ए-जुमा अदा करने के लिए बगैर परमिट दाखिल होने की इजाजत दी। रमजान बहुत से फलस्तीनीयों के लिए यरूशलम जाने और अल-अकसा में नमाज अदा करने का एक नादिर मौका होता है। दीगर शहरों में बसने वाले बहुत से फलस्तीनी पहली बार मस्जिद अकसा आते हैं। राम अल्लाह से ताल्लुक रखने वाले 51 साला अहमद खसीब ने अरब न्यूज को बताया कि मैं मस्जिद अकसा में रमजान के चौथे जुमे की नमाज अदा करने की सआदत मिलने पर खुश हूँ। उनका कहना था कि मैं मस्जिद अकसा में रमजान के जुमे के अलावा यहां नमाज पढ़ने का इजाजतनामा हासिल नहीं कर सकता, इसलिए मैं सालभर इस मौके का इंतिजार करता हूं। मस्जिद में नमाज पढ़ते हुए खसीब ने कहा कि 'ये पैगाम है कि अल-अकसा मुस्लमानों के लिए है। 
    जुमे के खुत्बे के दौरान मस्जिद अकसा के इमाम शेख इक्रिमा सबरी ने नमाजियों से कहा कि 'तुम जो मुकद्दस फलस्तीन के तमाम हिस्सों से मस्जिद अकसा में आए हो, तुम जो गैर मुंसिफाना फौजी चौकीयों को उबूर कर चुके हो, तुम्हारा ये सफर, नमाज और नमाज तरावीह के लिए मुबारक अकसा आमद, यहां के 2 अरब मुस्लमानों को याद-दहानी कराता है कि अल-अकसा कब्जे में है। गजा की पट्टी से ताल्लुक रखने वाले एक फलस्तीनी अब्दुस्सलाम अब्बू अस्कर जो राम अल्लाह में रहते हैं, ने बताया कि इंतिहाई दाएं बाजू के इसराईली कौमी सलामती के वजीर एताम बिन गवेर के अल-अकसा के बारे में इश्तिआल अंगेज तबसरों ने फलस्तीनीयों को इसराईली पाबंदीयों को चैलेंज करने के लिए मजीद पुरअजम बना दिया है और वो वहां इबादत के लिए आते हैं। उनका कहना था कि जब फलस्तीनीयों ने महसूस किया कि मस्जिद खतरे में है, तो वो रमजान के दौरान खासतौर पर जुमे के दिन हजारों की तादाद में इसकी तरफ आते हैं।

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