दमिशक : आईएनएस, इंडिया
शाम में पीर को आने वाले जलजले से मुतास्सिर होने वाला डैम अचानक टूट गया जिसके नतीजे में अदलीब का एक गांव सफा-ए-हस्ती से मिट गया।
रिपोर्ट के मुताबिक हफ़्ते (सनीचर) के आगाज में तुरकिया के जुनूबी (दक्षिण) और शाम के शुमाली (उत्तरी) हिस्से में आने वाले जलजले ने भी गांव को मुतास्सिर किया था जिससे इलाके के कई घर डूब गए थे। नजम उद्दीन बिन अब्दुह लरबीबी ने बताया कि उनका गांव जलजले की वजह से बुरी तरह मुतास्सिर हुआ और लोगों को फौरी तौर पर खेमों और दूसरे सामान की जरूरत है। 'हमारे घर डूब चुके हैं, हम कहाँ जाएं, हमारे पास कोई पनाह-गाह नहीं है। इसी तरह दरिया के किनारे वाके दूसरे इलाकों के लोग भी इसी परेशानी में अपने घर छोड़ चुके हैं कि कहीं उन्हें भी ऐसी सूरत-ए-हाल का सामना ना करना पड़ जाए।
ख़्याल रहे कि पीर को अलस्सुबह सात इशारीया आठ की शिद्दत के जलजले ने तुर्की और शाम के कुछ इलाकों को हिला कर रख दिया था। इसकी वजह से अब तक की इत्तिलाआत के मुताबिक दोनों मुल्कों में 22 हजार से जाइद हलाकतें हो चुकी हैं। अगरचे तुरकिया में इमदादी कारकुन पहुंच चुके हैं और पहुंच भी रहे हैं लेकिन शुमाली शाम में बहुत कम इमदाद पहुंच पाई है, जहां तकरीबन 45 लाख लोग आबाद हैं और उनमें से 90 फीसद का इन्हिसार भी पहले से ही इमदाद पर था। मिडिल ईस्ट के इदारा बराए इन्सिदाद-ए-दहशतगर्दी-ओ-शिद्दत पसंदी के डायरेक्टर चार्ल्स लिस्टर ने रवां हफ़्ते एक गैरमुल्की मैगजीन में लिखा कि 'आलमी बिरादरी ने तुरकिया के साथ खातिर-ख़्वाह इमदाद का वाअदा किया है जो बजा भी है, हालांकि हमेशा की तरह शामियों को नजरअंदाज किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सख़्त सर्दी में मुतास्सिरीन खुले आसमान तले रहने पर मजबूर हैं। शाम के शुमाल (उत्तरी) मशरिकी (पूर्वी) इलाके उस वक़्त शदीद सर्दी की लपेट में हैं और दर्जा हरारत चार डिग्री तक गिर गया है। शाम के महकमा शहरी दिफा जिसको वाइट हेल्मट के तौर पर भी जाना जाता है, ने अलतलवल के इलाके में अहलकार भेजे हैं जो इमारतों में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि निकासी के निजाम को साफ करके सैलाबी पानी को गुजरने का मौका मिल सके। महकमे ने जुमे को अकवाम-ए-मुत्तहिदा पर शुमाल मशरिकी (उत्तर-पूर्वी) शाम में इसके रद्द-ए-अमल को नाकाम बनाने का इल्जाम भी लगाया था।
ग्रुप के सरबराह रायद सालिह ने एएफपी को बताया कि 'अकवाम-ए-मुत्तहिदा शाम कीअवाम के खिलाफ जुर्म का इर्तिकाब किया है। उन्होंने इल्जाम लगाया कि अकवाम-ए-मुत्तहिदा की जानिब से जलजले के बाद बनने वाली सूरत-ए-हाल के हवाले से मखसूस इमदाद फराहम नहीं की गई। उन्होंने मुतालिबा किया कि 'अकवाम-ए-मुत्तहिदा को शाम के अवाम से माफी मांगनी चाहिए।
आफटर शाक्स का खौफ, तुरकिया ने अतातुर्क डैम खोल दिया
अंकरा : इंटरनेट पर बड़े पैमाने पर एक वीडीयो क्लिप गर्दिश कर रहा है जिसमें बताया गया है कि 6 फरवरी को जलजला के बाद तुर्क हुक्काम ने आफटर शाक्स के बाइस अतातुर्क डैम के टूटने के खौफ से उसे खोल दिया है। हालांकि इससे मुताल्लिक कोई सरकारी बयान सामने नहीं आया है। एक शख्स ने ट्वीटर पर लिखा है कि ये एक बेमिसाल कदम है। तुरकिया अतातुर्क डैम खोल रहा है जो दरिया-ए-फुरात के 48 बिलीयन क्यूबिक मीटर का पानी जमा करता है। ये इस खौफ से किया जा रहा है कि जलजला के बाद तुरकिया में आफटर शाक्स आ रहे हैं। डैम खोलने की वजह से पानी धोक अलारा के इलाके जाखू की तरफ बह रहा है। अतातुर्क डैम तुरकिया का सबसे बड़ा हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर प्राजेक्ट है जिसकी तामीर में तकरीबन 10 साल लगे थे। इस डैम से तकरीबन 2,400 मैगावाट बिजली पैदा होती है। ये डैम दरिया-ए-फुरात के बालाई इलाकों में है जो औरफा शहर के शुमाल मगरिब (उत्तर-पश्चिम) में 80 किलोमीटर और अंकरा से 600 किलोमीटर दूर शाम की सरहद के करीब अनातूलिया सतह की बुलंदीयों के दरमियान है।
शाम में पीर को आने वाले जलजले से मुतास्सिर होने वाला डैम अचानक टूट गया जिसके नतीजे में अदलीब का एक गांव सफा-ए-हस्ती से मिट गया।
रिपोर्ट के मुताबिक हफ़्ते (सनीचर) के आगाज में तुरकिया के जुनूबी (दक्षिण) और शाम के शुमाली (उत्तरी) हिस्से में आने वाले जलजले ने भी गांव को मुतास्सिर किया था जिससे इलाके के कई घर डूब गए थे। नजम उद्दीन बिन अब्दुह लरबीबी ने बताया कि उनका गांव जलजले की वजह से बुरी तरह मुतास्सिर हुआ और लोगों को फौरी तौर पर खेमों और दूसरे सामान की जरूरत है। 'हमारे घर डूब चुके हैं, हम कहाँ जाएं, हमारे पास कोई पनाह-गाह नहीं है। इसी तरह दरिया के किनारे वाके दूसरे इलाकों के लोग भी इसी परेशानी में अपने घर छोड़ चुके हैं कि कहीं उन्हें भी ऐसी सूरत-ए-हाल का सामना ना करना पड़ जाए।
ख़्याल रहे कि पीर को अलस्सुबह सात इशारीया आठ की शिद्दत के जलजले ने तुर्की और शाम के कुछ इलाकों को हिला कर रख दिया था। इसकी वजह से अब तक की इत्तिलाआत के मुताबिक दोनों मुल्कों में 22 हजार से जाइद हलाकतें हो चुकी हैं। अगरचे तुरकिया में इमदादी कारकुन पहुंच चुके हैं और पहुंच भी रहे हैं लेकिन शुमाली शाम में बहुत कम इमदाद पहुंच पाई है, जहां तकरीबन 45 लाख लोग आबाद हैं और उनमें से 90 फीसद का इन्हिसार भी पहले से ही इमदाद पर था। मिडिल ईस्ट के इदारा बराए इन्सिदाद-ए-दहशतगर्दी-ओ-शिद्दत पसंदी के डायरेक्टर चार्ल्स लिस्टर ने रवां हफ़्ते एक गैरमुल्की मैगजीन में लिखा कि 'आलमी बिरादरी ने तुरकिया के साथ खातिर-ख़्वाह इमदाद का वाअदा किया है जो बजा भी है, हालांकि हमेशा की तरह शामियों को नजरअंदाज किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सख़्त सर्दी में मुतास्सिरीन खुले आसमान तले रहने पर मजबूर हैं। शाम के शुमाल (उत्तरी) मशरिकी (पूर्वी) इलाके उस वक़्त शदीद सर्दी की लपेट में हैं और दर्जा हरारत चार डिग्री तक गिर गया है। शाम के महकमा शहरी दिफा जिसको वाइट हेल्मट के तौर पर भी जाना जाता है, ने अलतलवल के इलाके में अहलकार भेजे हैं जो इमारतों में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि निकासी के निजाम को साफ करके सैलाबी पानी को गुजरने का मौका मिल सके। महकमे ने जुमे को अकवाम-ए-मुत्तहिदा पर शुमाल मशरिकी (उत्तर-पूर्वी) शाम में इसके रद्द-ए-अमल को नाकाम बनाने का इल्जाम भी लगाया था।
ग्रुप के सरबराह रायद सालिह ने एएफपी को बताया कि 'अकवाम-ए-मुत्तहिदा शाम कीअवाम के खिलाफ जुर्म का इर्तिकाब किया है। उन्होंने इल्जाम लगाया कि अकवाम-ए-मुत्तहिदा की जानिब से जलजले के बाद बनने वाली सूरत-ए-हाल के हवाले से मखसूस इमदाद फराहम नहीं की गई। उन्होंने मुतालिबा किया कि 'अकवाम-ए-मुत्तहिदा को शाम के अवाम से माफी मांगनी चाहिए।
आफटर शाक्स का खौफ, तुरकिया ने अतातुर्क डैम खोल दिया
दरिया-ए-फुरात पर बना अतातुर्क डैम को भूकंप के बाद आने वाले आफ्टर शाक्स के खौफ से खोल दिया गया
अंकरा : इंटरनेट पर बड़े पैमाने पर एक वीडीयो क्लिप गर्दिश कर रहा है जिसमें बताया गया है कि 6 फरवरी को जलजला के बाद तुर्क हुक्काम ने आफटर शाक्स के बाइस अतातुर्क डैम के टूटने के खौफ से उसे खोल दिया है। हालांकि इससे मुताल्लिक कोई सरकारी बयान सामने नहीं आया है। एक शख्स ने ट्वीटर पर लिखा है कि ये एक बेमिसाल कदम है। तुरकिया अतातुर्क डैम खोल रहा है जो दरिया-ए-फुरात के 48 बिलीयन क्यूबिक मीटर का पानी जमा करता है। ये इस खौफ से किया जा रहा है कि जलजला के बाद तुरकिया में आफटर शाक्स आ रहे हैं। डैम खोलने की वजह से पानी धोक अलारा के इलाके जाखू की तरफ बह रहा है। अतातुर्क डैम तुरकिया का सबसे बड़ा हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर प्राजेक्ट है जिसकी तामीर में तकरीबन 10 साल लगे थे। इस डैम से तकरीबन 2,400 मैगावाट बिजली पैदा होती है। ये डैम दरिया-ए-फुरात के बालाई इलाकों में है जो औरफा शहर के शुमाल मगरिब (उत्तर-पश्चिम) में 80 किलोमीटर और अंकरा से 600 किलोमीटर दूर शाम की सरहद के करीब अनातूलिया सतह की बुलंदीयों के दरमियान है।
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