लंदन : आईएनएस, इंडिया
स्टाकहोम में नेटो मुखालिफ एक रैली को, जिसमें कुरआन को नजर-ए-आतिश करने का प्रोग्राम भी शामिल था, निकालने की इजाजत नहीं दी गई। ये कदम गुजिश्ता माह के ऐसे ही एक वाकिये के बाद उठाया गया है, जब कुरआन सोजी के बाद नेटो के रुक्न तुर्की ने स्वीडिश पुलिस ने बुध के रोज एक मुकर्ररा रैली निकालने की इजाजत नहीं दी क्योंकि इसमें कुरआन को जलाने का भी प्रोग्राम शामिल था। रैली को रोकने के फैसले को स्वीडिश हुक्काम का गैरमामूली इकदाम करार दिया जा रहा है। ये पाबंदी जनवरी में इसी तरह की एक रैली के तनाजुर में लगाई गई है जिसमें इंतिहाई दाएं बाजू के एक सियासत दां ने स्टाक होम में तुर्क सिफारत खाने के करीब मुस्लमानों की मुकद्दस तरीन किताब कुरआन को नजर-ए-आतिश कर दिया था। उसी मुकाम पर जुमेरात के रोज दुबारा एहतिजाज का मन्सूबा बनाया गया था। लेकिन स्वीडन की सिक्योरिटी सर्विस, सापू ने कहा कि जनवरी में होने वाली रैली के बाद स्वीडन के खिलाफ हमलों का खतरा बढ़ गया है और इसी वजह से एक और एहितजाजी मुजाहिरे की इजाजत नहीं दी गई। पुलिस ने अपने फैसले में कहा कि पिछले महीने तुर्की के सिफारत खाने के बाहर कुरआन सोजी के वाकिये के बाद ये वाजिह है कि स्वीडिश मुआशरे के खिलाफ बड़े पैमाने पर, बल्कि स्वीडन के खिलाफ और बैरूनी मुल्कों में स्वीडिश मुफादात और स्वीडन के शहरियों के खिलाफ भी खतरात बढ़ गए हैं। गुजश्ता माह कुरआन-ए-मजीद को जलाने के वाकिये के खिलाफ स्वीडिश मुखालिफ मुजाहिरे सिर्फ मुस्लिम दुनिया तक ही महिदूद नहीं रहे थे। इस वाकिये के बाद तुर्की ने शदीद रद्द-ए-अमल का इजहार करते हुए स्वीडन के वजीर-ए-दिफा का अंकरा का दौरा मंसूख कर दिया था। इस दौरे के दौरान स्वीडन की नेटो में शमूलीयत के हवाले से गुफ़्तगु होनी थी। तुर्क सदर रजब तय्यब का कहना था कि स्वीडन को अब तुर्की की हिमायत की उम्मीद नहीं रखनी चाहीए।
स्वीडन में मुल्की कानून और रवायात के मुताबिक मुजाहिरों पर शाज-ओ-नादिर ही पाबंदी लगाई जाती है। स्वीडिश पुलिस ने कहा कि जुमेरात की रैली की अपील उस इंतिहाई दाएं बाजू के सियासत दां ने नहीं की थी, जिसने जनवरी में कुरआन को नजर-ए-आतिश किया था बल्कि एक गैर-मारूफ तंजीम ने की थी। खबररसां एजेंसी एएफपी के मुताबिक रैली का मकसद स्वीडन की नेटो की रुकनीयत हासिल करने की कोशिश के खिलाफ एहतिजाज करना था। पुलिस ने कुरआन जलाने के लिए साबिका रैली की इजाजत देने के अपने फैसले का दिफा किया है, ताहम कहा कि अब सूरत-ए-हाल यकसर मुख़्तलिफ हो गई है। स्टाक होम में मुबय्यना इस्लाम पसंदों ने सन 2017 दहशत गरदाना हमले में कम अज कम पाँच अफराद को हलाक कर दिया था। स्वीडन में हालिया बरसों में इंतिहाई दाएं बाजू और नौ नाजी तन्जीमों का उरूज तेजी से हुआ है। उनमें से एक स्वीडन डैमोक्रेटस, गुजिश्ता बरस होने वाले इंतिखाबात में स्वीडन की पार्लियामन में दूसरी सबसे बड़ी जमात बन गई। ये दाएं बाजू के हुक्मरां ब्लॉक की सबसे बड़ी जमात भी है, हालाँकि उसे हुकूमत का हिस्सा तस्लीम नहीं किया जाता।
स्टाकहोम में नेटो मुखालिफ एक रैली को, जिसमें कुरआन को नजर-ए-आतिश करने का प्रोग्राम भी शामिल था, निकालने की इजाजत नहीं दी गई। ये कदम गुजिश्ता माह के ऐसे ही एक वाकिये के बाद उठाया गया है, जब कुरआन सोजी के बाद नेटो के रुक्न तुर्की ने स्वीडिश पुलिस ने बुध के रोज एक मुकर्ररा रैली निकालने की इजाजत नहीं दी क्योंकि इसमें कुरआन को जलाने का भी प्रोग्राम शामिल था। रैली को रोकने के फैसले को स्वीडिश हुक्काम का गैरमामूली इकदाम करार दिया जा रहा है। ये पाबंदी जनवरी में इसी तरह की एक रैली के तनाजुर में लगाई गई है जिसमें इंतिहाई दाएं बाजू के एक सियासत दां ने स्टाक होम में तुर्क सिफारत खाने के करीब मुस्लमानों की मुकद्दस तरीन किताब कुरआन को नजर-ए-आतिश कर दिया था। उसी मुकाम पर जुमेरात के रोज दुबारा एहतिजाज का मन्सूबा बनाया गया था। लेकिन स्वीडन की सिक्योरिटी सर्विस, सापू ने कहा कि जनवरी में होने वाली रैली के बाद स्वीडन के खिलाफ हमलों का खतरा बढ़ गया है और इसी वजह से एक और एहितजाजी मुजाहिरे की इजाजत नहीं दी गई। पुलिस ने अपने फैसले में कहा कि पिछले महीने तुर्की के सिफारत खाने के बाहर कुरआन सोजी के वाकिये के बाद ये वाजिह है कि स्वीडिश मुआशरे के खिलाफ बड़े पैमाने पर, बल्कि स्वीडन के खिलाफ और बैरूनी मुल्कों में स्वीडिश मुफादात और स्वीडन के शहरियों के खिलाफ भी खतरात बढ़ गए हैं। गुजश्ता माह कुरआन-ए-मजीद को जलाने के वाकिये के खिलाफ स्वीडिश मुखालिफ मुजाहिरे सिर्फ मुस्लिम दुनिया तक ही महिदूद नहीं रहे थे। इस वाकिये के बाद तुर्की ने शदीद रद्द-ए-अमल का इजहार करते हुए स्वीडन के वजीर-ए-दिफा का अंकरा का दौरा मंसूख कर दिया था। इस दौरे के दौरान स्वीडन की नेटो में शमूलीयत के हवाले से गुफ़्तगु होनी थी। तुर्क सदर रजब तय्यब का कहना था कि स्वीडन को अब तुर्की की हिमायत की उम्मीद नहीं रखनी चाहीए।
स्वीडन की मुश्किलें बढ़ी
कुरआन सोजी के वाकिये ने स्वीडन के लिए सिफारती मुश्किलात बढ़ा दी हैं। उसे नेटो में शमूलीयत के लिए तुर्की की हिमायत चाहीए क्योंकि इस मगरिबी फौजी इत्तिहाद में किसी नए रुकन की शमूलीयत के लिए तमाम रुकन मुल्कों की मुत्तफिका हिमायत जरूरी है। सदर रज्जब का कहना था कि जब तक कुरआन को जलाने की इजाजत दी जाएगी, तुर्की स्वीडन की नेटो में शमूलीयत की ताईद नहीं करेगा।स्वीडन में मुल्की कानून और रवायात के मुताबिक मुजाहिरों पर शाज-ओ-नादिर ही पाबंदी लगाई जाती है। स्वीडिश पुलिस ने कहा कि जुमेरात की रैली की अपील उस इंतिहाई दाएं बाजू के सियासत दां ने नहीं की थी, जिसने जनवरी में कुरआन को नजर-ए-आतिश किया था बल्कि एक गैर-मारूफ तंजीम ने की थी। खबररसां एजेंसी एएफपी के मुताबिक रैली का मकसद स्वीडन की नेटो की रुकनीयत हासिल करने की कोशिश के खिलाफ एहतिजाज करना था। पुलिस ने कुरआन जलाने के लिए साबिका रैली की इजाजत देने के अपने फैसले का दिफा किया है, ताहम कहा कि अब सूरत-ए-हाल यकसर मुख़्तलिफ हो गई है। स्टाक होम में मुबय्यना इस्लाम पसंदों ने सन 2017 दहशत गरदाना हमले में कम अज कम पाँच अफराद को हलाक कर दिया था। स्वीडन में हालिया बरसों में इंतिहाई दाएं बाजू और नौ नाजी तन्जीमों का उरूज तेजी से हुआ है। उनमें से एक स्वीडन डैमोक्रेटस, गुजिश्ता बरस होने वाले इंतिखाबात में स्वीडन की पार्लियामन में दूसरी सबसे बड़ी जमात बन गई। ये दाएं बाजू के हुक्मरां ब्लॉक की सबसे बड़ी जमात भी है, हालाँकि उसे हुकूमत का हिस्सा तस्लीम नहीं किया जाता।
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