3 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
24 फरवरी 2023
24 फरवरी 2023
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुध के रोज दिल्ली वक़्फ बोर्ड से कहा कि वो 123 जायदादों से मुताल्लिक तमाम मुआमलात के बोर्ड से वापिस लेने के मर्कज के फैसले को चैलेंज करते हुए एक अलहदा अर्जी दायर करे जो तवील अर्से से तनाजा में हैं। जस्टिस मनोज कुमार ने 123 जायदादों को मुनहदिम करने की यूनीयन आफ इंडिया की कार्रवाई के खिलाफ गुिजश्ता साल दायर एक जेरे इल्तिवा (लंबित) दरखास्त में दिल्ली वक़्फ बोर्ड की दरखास्त पर फौरी हुक्म देने से इनकार कर दिया। अदालत ने बोर्ड से कहा कि वो खत को चैलेंज करने वाली एक अलहदा असल दरखास्त दायर करे और जेरे इलतिवा पिटीशन के साथ 4 अगस्त को समाअत के लिए दरखास्त दर्ज करे जिसकी तारीख पहले ही तय की जा चुकी है। दिल्ली वक़्फ बोर्ड ने मर्कजी वजारत हाउसिंग और शहरी उमूर के 8 फरवरी के खत को चैलेंज करते हुए दरखास्त दायर की थी। समाअत के दौरान दिल्ली वक़्फ बोर्ड की तरफ से पेश होने वाले सीनीयर एडवोकेट राहुल मोहरा ने अर्ज किया कि यूनीयन आफ इंडिया के पास बोर्ड को मुताल्लिका जायदादों से रिहाई का कोई जरीया नहीं है। उन्होंने अर्ज किया कि 1970, 1974, 1976 और 1984 में किए गए चार सर्वे के जरीये जायदादों की वाजिह हदबंदी की गई थी और बाद में सदर जमहूरीया हिंद ने उन्हें वक़्फ जायदादों के तौर पर कबूल किया था। उन्होंने कहा कि 1911 से लेकर आज तक जब ये खत आया है, ये जायदादें वक़्फ इमलाक की हैं, वक़्फ बोर्ड की हैं, जो एक्ट (दिल्ली ऐक्ट) के तहत बोर्ड के जेर-ए-कंट्रोल और उनका इंतिजाम है। दिल्ली हाईकोर्ट से मोहरा ने अर्ज किया कि मर्कजी या रियास्ती हुकूमत का मुकम्मल कानूनी स्कीम के तहत जायदाद को बोर्ड से आजाद करने का कोई तसव्वुर नहीं है। वहीं दूसरी तरफ एएसजी चेतन शर्मा, मर्कजी हुकूमत की तरफ से पेश हुए, शर्मा ने कहा कि बोर्ड की तरफ से दाखिल करदा दरखास्त में इस्तिदा जेरे इलतिवा दरखास्त के दायरा कार से बिलकुल बाहर है। उन्होंने अदालत की तरफ से मंजूर किए गए मुख़्तलिफ अहकामात का हवाला दिया, जिसने दो रुकनी कमेटी, जो जायदादों की हालत की जांच कर रही थी, और इसकी नजरसानी की दरखास्त को रोकने के लिए बोर्ड की दरखास्त को मुस्तर्द कर दिया। शर्मा ने कहा कि अगर कमेटी की तरफ से दी गई रिपोर्ट को चैलेंज किया जाएगा, हम उसका सामना करेंगे। ये इस एप्लीकेशन के जरीये नहीं किया जा सकता। ये एक ठोस रिट पिटीशन है।
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुध के रोज दिल्ली वक़्फ बोर्ड से कहा कि वो 123 जायदादों से मुताल्लिक तमाम मुआमलात के बोर्ड से वापिस लेने के मर्कज के फैसले को चैलेंज करते हुए एक अलहदा अर्जी दायर करे जो तवील अर्से से तनाजा में हैं। जस्टिस मनोज कुमार ने 123 जायदादों को मुनहदिम करने की यूनीयन आफ इंडिया की कार्रवाई के खिलाफ गुिजश्ता साल दायर एक जेरे इल्तिवा (लंबित) दरखास्त में दिल्ली वक़्फ बोर्ड की दरखास्त पर फौरी हुक्म देने से इनकार कर दिया। अदालत ने बोर्ड से कहा कि वो खत को चैलेंज करने वाली एक अलहदा असल दरखास्त दायर करे और जेरे इलतिवा पिटीशन के साथ 4 अगस्त को समाअत के लिए दरखास्त दर्ज करे जिसकी तारीख पहले ही तय की जा चुकी है। दिल्ली वक़्फ बोर्ड ने मर्कजी वजारत हाउसिंग और शहरी उमूर के 8 फरवरी के खत को चैलेंज करते हुए दरखास्त दायर की थी। समाअत के दौरान दिल्ली वक़्फ बोर्ड की तरफ से पेश होने वाले सीनीयर एडवोकेट राहुल मोहरा ने अर्ज किया कि यूनीयन आफ इंडिया के पास बोर्ड को मुताल्लिका जायदादों से रिहाई का कोई जरीया नहीं है। उन्होंने अर्ज किया कि 1970, 1974, 1976 और 1984 में किए गए चार सर्वे के जरीये जायदादों की वाजिह हदबंदी की गई थी और बाद में सदर जमहूरीया हिंद ने उन्हें वक़्फ जायदादों के तौर पर कबूल किया था। उन्होंने कहा कि 1911 से लेकर आज तक जब ये खत आया है, ये जायदादें वक़्फ इमलाक की हैं, वक़्फ बोर्ड की हैं, जो एक्ट (दिल्ली ऐक्ट) के तहत बोर्ड के जेर-ए-कंट्रोल और उनका इंतिजाम है। दिल्ली हाईकोर्ट से मोहरा ने अर्ज किया कि मर्कजी या रियास्ती हुकूमत का मुकम्मल कानूनी स्कीम के तहत जायदाद को बोर्ड से आजाद करने का कोई तसव्वुर नहीं है। वहीं दूसरी तरफ एएसजी चेतन शर्मा, मर्कजी हुकूमत की तरफ से पेश हुए, शर्मा ने कहा कि बोर्ड की तरफ से दाखिल करदा दरखास्त में इस्तिदा जेरे इलतिवा दरखास्त के दायरा कार से बिलकुल बाहर है। उन्होंने अदालत की तरफ से मंजूर किए गए मुख़्तलिफ अहकामात का हवाला दिया, जिसने दो रुकनी कमेटी, जो जायदादों की हालत की जांच कर रही थी, और इसकी नजरसानी की दरखास्त को रोकने के लिए बोर्ड की दरखास्त को मुस्तर्द कर दिया। शर्मा ने कहा कि अगर कमेटी की तरफ से दी गई रिपोर्ट को चैलेंज किया जाएगा, हम उसका सामना करेंगे। ये इस एप्लीकेशन के जरीये नहीं किया जा सकता। ये एक ठोस रिट पिटीशन है।
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