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दिल्ली को 10 साल बाद मिली महिला मेयर, आम आदमी पार्टी की जीत

आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय मेयर मुंतखब
शैली ओबेरॉय
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

कार्पोरेंशन चुनाव के 80 दिन बाद दिल्ली को नया मेयर मिल गया। आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय मेयर मुंतखब हुई हैं। शैली को 150 वोट मिले। उन्होंने बीजेपी की रेखा गुप्ता को 34 वोटों से शिकस्त दी। 
दिल्ली को 10 साल बाद महिला मेयर मिली है। बीजेपी की रजनी 2011 में आखिरी महिला मेयर थीं। उसके बाद 2012 में शीला दीक्षित हुकूमत में दिल्ली म्यूनसिंपल कार्पोरेशन को 3 हिस्सों में तकसीम कर दिया गया। 2022 में ये हिस्से दुबारा एक हो गए। उसके बाद ये पहला इलेक्शन था। दूसरी ओर मेयर इलेक्शन में शैली ओबेरॉय की जीत के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुंडागर्दी को शिकस्त हुई, दिल्ली के लोगों की जीत हुई। 
    दिल्ली में एमसीडी चुनाव 4 दिसंबर को हुए, जबकि उनका नतीजा 8 दिसंबर को आया। चुनाव में 15 साल बाद बीजेपी को एमसीडी में बहुमत नहीं मिला। 250 के मुकाबले मेयर बनने के लिए 138 वोट दरकार थे। मेयर के चुनाव में 241 कार्पोरेटस,10 एमपी और 14 एमएलएज ने अपना वोट डाला। कांग्रेस के 9 काउंसलरों ने इंतिखाब में हिस्सा नहीं लिया। सुबह 11 बजे वोटिंग शुरू होने से पहले सिविक सेंटर में हंगामा जैसी सूरत-ए-हाल देखी गई। एएपी काउंसलरों की पुलिस से झड़प भी हुई। एएपी कार्पोरेट्स बीजेपी एमएलए विजेंदर गुप्ता के घर में दाखिले की मुखालिफत कर रहे थे। हंगामा होने के अंदेशे को देखते हुए सदन में सेक्योरिटी के तगड़े इंतिजामात किए गए थे। घर में एसएसबी के जवान तयनात थे। 
    इससे पहले 3 बार इलेक्शन नहीं हो सके थे, 3 बार मेयर इलेक्शन कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन बीजेपी और आप मेंबरान की हंगामा-आराई की वजह से ऐसा नहीं हो सका। हंगामा-आराई की वजह एलजी वीके सक्सेना का एमसी के 10 नामजद सदस्यों को वोट डालने की इजाजत देने का फैसला था। आप की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय इस सिलसिले में सुप्रीमकोर्ट पहुंची थीं। 17 फरवरी को सुप्रीमकोर्ट ने आप के हक में फैसला दिया। 24 घंटे में नोटिस जारी करने को कहा। उसके बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लेफ़्टीनेंट गवर्नर को 22 फरवरी को चुनाव कराने की तजवीज दी जिसे उन्होंने 2 घंटे के अंदर कबूल कर लिया। 6 जनवरी, 24 जनवरी और 6 फरवरी को डिप्टी मेयर के साथ मेयर और स्टेंडिंग कमेटी के छ: सदस्यों के लिए तीन कोशिशें हुईं, लेकिन हर बार बीजेपी और एएपी के हंगामे के बाद कार्रवाई रोक देनी पड़ी थी। 



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