सुप्रीमकोर्ट ने पीर को कर्नाटक में प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों के क्लास रूम्ज में हिजाब पर पाबंदी को चैलेंज करने वाली दरखास्तों पर गौर करने के लिए तीन जजों की बेंच तशकील देने पर इत्तिफाक कर लिया है।
ख़्याल रहे कि मुआमला का जिÞक्र चीफ जस्टिस की सरबराही वाली बेंच के सामने किया गया था, उन्होंने कहा कि फरवरी में होने वाले इम्तिहान के पेश-ए-नजर इस मुआमले की समाअत जरूरी हो गई है।
ख़्याल रहे कि मुआमला का जिÞक्र चीफ जस्टिस की सरबराही वाली बेंच के सामने किया गया था, उन्होंने कहा कि फरवरी में होने वाले इम्तिहान के पेश-ए-नजर इस मुआमले की समाअत जरूरी हो गई है।
जस्टिस वी रामा सुब्रामणियम और जेबी पारडीवाला की बेंच ने वकील से भी कहा कि वो रजिस्ट्रार के सामने इस मुआमले का जिÞक्र करें। वकील ने कहा कि मुआमला उबूरी अहकामात के लिए उठाया जा सकता है। बेंच ने कहा कि ये तीन जजों का मुआमला है। गुजिशता साल अक्तूबर में, सुप्रीमकोर्ट ने कर्नाटक के प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों की क्लासों में कुछ मुस्लिम तालिबात के हिजाब पर पाबंदी की कानूनी हैसियत को चैलेंज करने वाली दरखास्तों पर अलग-अलग फैसला दिया था।
ये फैसला जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की डिवीजन बेंच ने सुनाया। जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हुकूमत के सर्कुलर को बरकरार रखा और कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया। जबकि जस्टिस धूलिया ने कर्नाटक हुकूमत के इस फैसले को एक तरफ रख दिया था, जिसमें प्री यूनीवर्सिटी कॉलिजों के क्लास रूम्ज में हिजाब पहनने पर पाबंदी आइद की गई थी।
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