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आज ही के दिन किंग खान शाहरूख के नाना ने लाल किले की प्राचीर से उतार फेंका था ब्रिटिश हुकूमत का ­ांडा

आज ही के दिन किंग खान शाहरूख के नाना ने लाल किले की प्राचीर से उतार फेंका था ब्रिटिश हुकूमत का ­ांडा

आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान को लाल किले से ब्रिटिश हुकूमत का ­ांडा उतार कर तिरंगा फहराने के लिए याद किया जाता है। इसके अलावा लंबे समय वे मेरठ का सांसद और कई विभाग के मंत्री भी रहे। 
इसके अलावा शहनवाज खान की एक और पहचान भी है, वे फिल्म पठान के हीरो शाहरूख खान के नाना हैं।

मोहम्मद शमीम : रायपुर

यूं लोगों को आज 25 जनवरी 2023 को शाहरुख खान की फिल्म पठान की रिलीज का इंतेजार है, लेकिन आज हम आपको देश पर मर मिटने वाले आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान के बारे में बताने जा रहे हैं। 

आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान
आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान 
फिल्म पठान की रिलीज के साथ मेजर जनरल शहनवाज के जिक्र से आपको थोड़ा ताअज्जुब जरूर हो सकता है लेकिन यह गैर जरूरी नहीं है। दरअसल मेजर जनरल कोई और नहीं, फिल्म पठान के अदाकार शाहरूख खान के नाना हैं। 

भारतीय इतिहास में कई वीर सपूत हुए हैं, जिनके साहस की कहानियां हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सुनाते हैं, इन्हीं वीर सपूतों में कुछ ऐसे भी हैं जिन पर मुल्क को फख्र है। हालांकि लोगों तक उनकी बहादुरी की कहानी पहुंच नहीं पाई है। आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल शाहनवाज खान भी उन्हीं वीर बहादुरों में से एक हैं। 

मेजर जनरल शाहनवाज की पैदाईश आज ही के दिन 24 जनवरी 1914 को रावलपिंडी, पाकिस्तान के मटौर में हुई थी, जो अब पाकिस्तान में है, शहनवाज के वालिद झंझुआ राजपूत कैप्टन सरदार टीका खान थे। वे 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अधिकारी थे। 

बता दें कि आजाद हिंदोस्तान में लाल किले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर सबसे पहले तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे। जनरल शाहनवाज नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के बहुत करीबी थे,  23 साल तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। 1952 में पॉर्लियामेंट्री सेक्रेटी, डिप्टी रेलवे मिनिस्टर बने। 1957-64 तक खाद्य एवं कृषि मंत्री रहे। शाहनवाज खान ने लंबे समय तक विविध मंत्रालय संभाला और देश को तरक्की की राह पर आगे बढ़ाया। 

आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान
आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान 

आजाद हिंद फौज में शामिल होने के बाद उन्होंने नेताजी और अपने दीगर साथियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके लिए उन पर राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, मगर वो पीछे नहीं हटे और अंग्रेजों की मुखालफत करते रहे। 

जनरल खान के बड़े पोते आदिल खान कहते हैं, हमने कई बार सरकार और प्रशासन से कहा कि शहर में जनरल साहब की याद में कोई स्मारक बने, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। थक कर हमने खुद 2010 में जनरल शाहनवाज मेमोरियल फाउंडेशन बनाया। हर साल उनकी बरसी पर जामा मस्जिद के पास मजार पर उनकी याद मनाई जाती है। नेहरू जी ने खुद जनरल शहनवाज को मेरठ से चुनाव लड़ने भेजा था। 

1952 में जब देश में लोकतंत्र की कोपलें फूट रहीं थीं, भारत के सिपहसालार जनरल शाहनवाज खान को मेरठ ने सिर आंखों पर बिठाया। पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जनरल शाहनवाज खान मेरठ के पहले सांसद बने। 1952 से 1971 तक लगातार चार बार सांसद चुने गए। लेकिन बदकिस्मी कि जिस शहर की गली-गली में कभी शाहनवाज का नाम गूंजता था, सरकारी तंत्र की उदासीनता के चलते आज वे वहां भी गुमनाम हैं। 

1952 में लोकसभा क्षेत्र मेरठ उत्तर पूर्व का परिणाम 

  • कुल मतदाता 3 लाख 94 हजार 599
  • मत पड़े 2 लाख 09 हजार 89 
  • शाहनवाज खान कांग्रेस 1,25,288
  • सूरज बल स्वामी आरआरपी 36,136
  • राज सिंह राणा सोशलिस्ट 33,081
  • लक्ष्मी शंकर बीजेएस 7926
  • बाबूलाल वैश निर्दलीय 6658
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