नई तहरीक : दुर्ग
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की गरीब विरोधी नीतियों व व्यसायी सोच के चलते आवासहीन गरीबों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार द्वारा सस्ते दर पर पक्का मकान उपलब्ध कराने बनाई गई प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
योजना के सबसे महत्वपूर्ण घटक, मोर मकान, मोर आस, के तहत निगम क्षेत्र में बनाए गए 1226 आवासों में सैकड़ों आवेदक महंगी कीमत के कारण मकान नही ले पा रहे हैं। वही स्वयं की जमीन में पक्के मकान बनाने का सपना देख रहे गरीब परिवार भी स्वीकृति के लिए भटक रहे हैं। यह स्थिति पूरे प्रदेश की है। इस मुद्दे को लेकर भाजपा द्वारा आगामी माह शहर में प्रदेश स्तरीय आंदोलन करने जा रही है। इस सम्बंध में निगम के पूर्व सभापति व जिला भाजपा मंत्री दिनेश देवांगन ने भूपेश सरकार को गरीबो का विरोधी बताते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अपने प्रथम कार्यकाल में 2022 तक सबको आवास योजना के तहत आवासहीन गरीब परिवार व पट्टे व झुग्गीवासी भू स्वामियों के पक्के मकान निर्माण हेतु महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना लागू की गई थी। योजना के तहत शहर में किराए में रह रहे गरीब परिवारों के लिए वर्ष 2017-18 में पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर की परिषद द्वारा बोरसी, पोटिया, पुलगांव व सरस्वती नगर में अलग-अलग यूनिट के लगभग 1226 मकान का निर्माण कराया गया है। जिसके आबंटन के लिए डा. रमन सिंह की बीजेपी सरकार द्वारा शिफ्ट किए झुग्गीवासी को कुल 75 हजार की आसान किश्त व आवासहीन गरीब परिवार के लिए न्यूनतम लगभग 90 हजार रुपए निर्धारित किया गया था।
इसके लिए बाकायदा शासन द्वारा सभी निकायों में किराएदार गरीब परिवारों का डाटाबेस सर्वे भी कराया गया था जिसमे दुर्ग निगम क्षेत्र में 2015 से निवासरत लगभग 6 हजार किरायेदार परिवार 3 हजार से अधिक परिवार अस्थाई स्लम क्षेत्र व 5 हजार से अधिक स्थाई झुग्गी व कच्चे तथा रिक्त जमीन वाले परिवार चिन्हांकित किए गए थे लेकिन कांग्रेस की भूपेश सरकार व निगम में कांग्रेस की परिषद काबिज होने के बाद पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के आवास देने किए गए सभी वार्डो के हजारों सर्वे सूची को निरस्त कर नियमो को बदलते हुए गरीबों को सस्ती कीमत में मकान उपलब्ध कराने की बजाय योजना का नाम बदलकर आवासों की कीमत अनाप शनाप कर कर पुन: आवेदन मंगाया गया। जिसके बाद कुल 967 गरीब परिवारो ने आवेदन जमा किया था। निगम अधिकारियों द्वारा आबंटन पूर्व मकान की कुल कीमत की पहली किश्त लगभग 1 लाख 6 हजार जमा करने और शेष राशि 6 किश्त में 8 माह के अंदर जमा करने की बात कहने पर केवल 37 आवेदकों ने ही राशि जमा की। शेष सैकड़ों पात्र आवेदक आर्थिक तंगी के चलते पीछे हट गए।
श्री देवांगन ने इसे दुर्भाग्यजनक निरुपित करते हुए कहा कि महंगी कीमत के कारण गरीबो के स्वयं के पक्के मकान का सपना धराशायी हो गया है।