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कर्म की अवधारणा को अभिव्यक्त करने का माध्यम है गीता


 
स्वरूपानंद महाविद्यालय में गीता जयंती उल्लास पूर्वक मनाई गई 

नई तहरीक : दुर्ग 

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको में आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत गीता जयंती के अवसर पर अंतर विभागीय वीडियो मेकिंग प्रतियोगिता एवं अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम की संयोजिका डा. सावित्री शर्मा, प्रोफेसर, शिक्षा विभाग ने बताया कि विश्व में गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि अन्य ग्रंथ लिखित या संकलित किए गए हैं, जबकि गीता का जन्म स्वयं श्री भगवान के श्री मुख से हुआ है। महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ दीपक शर्मा ने गीता जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कि गीता सदियों से मानवता का मार्गदर्शन करती आई है। कर्म की अवधारणा को अभिव्यक्त करती गीता चिरकाल से आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी तब थी। 

प्राचार्य डा. हंसा शुक्ला ने कहा कि गीता के उपदेश में समस्त जीवन का सार छुपा है। श्री कृष्णा  ने अर्जुन के मन में महाभारत युद्ध के दौरान पैदा होने वाले भ्रम दूर करते हुए जीवन को सफल बनाने के उपदेश दिए थे। गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है, इसका जन्म श्री कृष्ण के मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। यह मंगलमय जीवन का ग्रंथ है। 

अतिथि वक्ता माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ शमा बेग ने कर्म योग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मनुष्य को ज्ञान और कर्म को एक समान रखना चाहिए और फल की चिंता नहीं करना चाहिए। गीता व्यक्ति को जीवन की वास्तविकता से परिचित कराती है, अच्छे बुरे का अंतर समझा कर जीवन की समस्याओं से लड़ने की प्रेरणा प्रदान करती है। 

वीडियो मेकिंग में सेजल विजयी

इस अवसर पर अंतर विभागीय वीडियो मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें बीकॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा सेजल चंद्राकर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, द्वितीय ईशा गुप्ता एवं अलीशा जबकि शीतल कौर तीसरे स्थान पर रहीं। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।



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