हुकूमत उर्दू के साथ सौतेली मां वाला सुलूक कर रही है : दानिश अली
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सीनीयर लीडर कुंवर दानिश अली ने हुकूमत पर उर्दू जबान के साथ सौतेली माँ वाला सुलूक करने का इल्जाम लगाते हुए कहा कि कोरोना के बाद दूरदर्शन पर नशर होने वाले अंग्रेजी और हिन्दी बुलेटिन को मामूल पर लाया गया, लेकिन उर्दू की सिर्फ दो बुलेटिन ही नशरियात हो रही हैं।
अमरोहा से रुकन पार्लियामेंट दानिश अली ने इस सिलसिले में वजीर-ए-इत्तलात-ओ-नशरियात अनुराग ठाकुर को खत लिखा और कहा कि उर्दू इस मुल्क की बेटी है, करोड़ों लोग इससे मुहब्बत करते हैं, लेकिन दूरदर्शन उसके साथ सौतेली माँ वाला सुलूक कर रहा है। कोरोना के दौर में उर्दू न्यूज बुलेटिन की तादाद रोजाना 10 से कम कर के सिर्फ दो कर दी गई थी, लेकिन सब कुछ नॉर्मल होने के बावजूद उसे अब तक बहाल नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि इस मुआमला में वो पहले भी मुताल्लिका वजारत को खत लिख चुके हैं; लेकिन तसल्ली बखश जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दूरदर्शन का उर्दू बुलेटिन उर्दू जबान से मुहब्बत करने वाले मुल्क के करोड़ों लोगों के लिए मालूमात का एक बेहतरीन जरीया है और वो तवील अर्से से इस खिदमत से महरूम हैं। उन्होंने हुकूमत से दूरदर्शन के उर्दू चैनल पर नशर होने वाले उर्दू बुलेटिन को कोरोना के दौर से पहले की तरह बहाल करने की अपील की है।
उर्दू का 'जश्न रेख़्ता':
नई दिल्ली : उर्दू मुहब्बत की जबान है, ये लोगों को आपस में जोड़ती है, इस जबान को किसी कम्यूनिटी के साथ जोड़ कर नहीं देखना चाहिए। इन ख़्यालात का इजहार आवाज इंदौर नाजिर जितेंद्र ने किया।
उन्होंने मजीद कहा कि ये एक ऐसा जश्न है, जिसे सब मिलकर मनाना चाहिए। 'हिन्दी मां है तो उर्दू बेटी है'। जश्न रेख़्ता में शिरकत के लिए मुल्कभर से बड़ी तादाद में बच्चे, बूढ़े और जवान पहुंचे थे। हल्द्वानी नैनीताल से आए शायर सुहेल आजाद ने कहा कि शायरी के जरीया लोगों को आपस में जोड़ा जा सकता है। शायरी हमें एक-दूसरे से मुहब्बत करना सिखाती है। जश्न रेख़्ता का सह रोजा प्रोग्राम दो साल के तवील वकफे के बाद कौमी राजधानी में उर्दू का जश्न के तौर पर मनाया जा रहा है। कोरोना वाइरस की वबा के तवील वकफे के बाद लोगों ने घर से निकलना शुरू कर दिया है और फुनून-ए-लतीफा की तरफ तवज्जा देने लगे हैं।
रोजमर्रा की जिंदगी में जिस तरह साईंस-ओ-टेक्नोलोजी जरूरी है, उसी तरह फुनून-ए-लतीफा भी जरूरी है। गाना सुनना, सुनाना, कहानी पढ़ना और सुनाना ये सारी चीजें इन्सानी जिंदगी के लिए जरूरी हैं। हम खुद को इस से अलग रह कर नहीं देख सकते और ना रह सकते हैं। उर्दू से मुहब्बत करने वालों का ठाठें मारता समुंद्र जश्न रेख़्ता में दिखाई दे रहा है जो रोमन या देवनागरी में उर्दू पढ़ते या लिखते हैं वो लोग भी जश्न रेख़्ता में नजर आ रहे हैं और उर्दू के रंगा-रंग प्रोग्रामों से लुतफ अंदोज हो रहे हैं ।