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दुनिया के वलियों के ईमाम बनें मौला अली : हजरत नादिर हुसैन

अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी की जानिब से तकिया पारा स्कूल मैदान में मुनाकिद तकरीर का पांचवा रोज


नई तहरीक : दुर्ग

मोहर्रमुल हराम के मौके पर तकियापारा, अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी की जानिब से मुनाकिद तकरीरी प्रोग्राम के पांचवे रोज कशीर तादाद में मौजूद कौम के लोगों से खिताब करते हुए हजरत मौलाना नादिर हुसैन ने फरमाया, हजरते अली रदि अल्लाहो अन्हो रिश्ते में पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के दामाद और हजरत इमामे हुसैन रदि अल्लाहो अन्हो के वालिद थे। इस्लाम में किसी को ये रुतबा और शान नहीं मिली जो हजरत अली रदि अल्लाहो अन्हो को मिली। 


बच्चों में सबसे पहले इस्लाम कुबूल करने वाले हजरते अली रदि अल्लाह अन्हो हुए। आपकी ये शान है कि आप रदि अल्लाहो अन्हो काबा शरीफ में पैदा हुए और अल्लाह ही के घर में अल्लाह की इबादत करते हुए शहीद भी हुए। अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम आप रदि अल्लाहो अन्हो से बड़ी मोहब्बत रखते थे। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम फरमाते हैं, जिसने अली से मोहब्बत की, उसने मुझसे मोहब्बत की। जिसने अली से दुश्मनी की, उसने मुझसे दुश्मनी की। हजरत अली की ये शान है कि आपकी पैदाइश से पहले दुनियां में आप रदि अल्लाहो अन्हो की आमद का जिक्र हुआ करता था। मुल्के यमन के एक पादरी से अली रदि अल्लाहो अन्हो की वालिदा की मुलाकात हुई तो उसने कहा था, आप के यहां एक बेटा पैदा होगा जिसका नाम अली होगा। अली के वालिद ने पूछा तो उसने कहा था, ये बात मंैने अपनी मजहबी किताब में पढ़ी है। 

हजरत नादिर हुसैन साहब ने आगे फरमाया, अली वो है, जिन्हें मक्का के फतह होने के बाद पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने अपने कांधो पे चढ़या। अली वो है, जिन्हें मदीने से जाते वक्त पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने अपने बिस्तर पर सुलाया। अली वो हैं, जिनका निकाह पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने अपनी सबसे ज्यादा चहीती बेटी हजरते फातिमा रदि अल्लाहो अन्हो से किया। अली वो हैं जिनके निकाह की खबर आसमान से फरिश्ते ने लाकर पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को दी। कहा, या नबी, सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम, अल्लाह ने आसमान पर अली का निकाह फातेमा घर साथ कर दिया है, आप इनका निकाह दुनिया में कर दें। अली वो है, जिनका ज्यादातर वक्त पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के साथ गुजरा। 

अली रदि अल्लाहो अन्हो बहुत ही बहादुर थे इसलिए आप रदि अल्लाहो अन्हो को शेर-ए-खुदा कहा जाता है। हजरत अली रदि अल्लाहो अन्हो पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के आखिरी खलीफा हुए। आपकी दुनिया में हुकूमत ढाई साल तक रही। आपने बड़ी सादगीभरी जिंदगी गुजारी। खुद खाने को ना होता लेकिन कोई भूखा आपसे कुछ मांगता तो आप उसके लिए खाने का इंतेजाम कर देते। दौरे हुकूमत आप रदि अल्लाह अन्हो ने हर इंसान को एक नजर से देखा। इंसानियत के जज्बे से आप रदि अल्लाह अन्हो धनी थे। आप रदि अल्लाहो अन्हो ने अपनी हुकूमत के दौरान तालीम को सबसे ज्यादा अहमियत दी। 

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