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कायनात में इंसानियत के लिए हुई पैगंबर-ए-इस्लाम की आमद

मोहर्रम पर अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी दस रोजा जलसा आज से शुरू
हजरत मौलाना नादिर हुसैन इलाहाबादी (इलाहाबाद) व हजरत अल्लामा मौलाना सैय्यद तल्हा अशरफ अशरफी उल जीलानी (किछौछा शरीफ) ईमान अफरोज वाकेआत से कौम को खिताब करेंगे।  


दुर्ग।
अल्लाह ताअला ने इस जहां को पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के सदके में पैदा फरमाया। अल्लाह तआला ने दुनिया में आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को लोगों को सही रास्ता दिखाने के लिए भेजा। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की पैदाइस मुल्के अरब के मक्का शहर में हुई। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की पैदाईश के दौर में दुनिया में बहुत सारी बुराइयां फैली थी। बेटियों को जिंदा दफन कर दिया जाता था। शराबनोशी और सूद जैसी बुराईयां आम थी। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने बताया कि बेटियां जहमत नहीं बल्कि अल्लाह की रहमत है। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने दुनियां में 63 साल की जिंदगी गुजारी। इस दौरान आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने ऐसा किरदार पेश किया जिसकी मिसाल नहीं मिलती। जो भी आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से एक बार मिलता, आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ही का होकर रह जाता। अल्लाह के बंदों को आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम भूखों को खाना खिलाना, बेसहारों की मदद करना, यतीमों का ख्याल रखना, अल्लाह की इबादत करना, किसी के साथ जुल्म न करना और अपने वतन से मोहब्बत करना, जैसी तालीम दिया करते। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जिंदगी में ही दुनियाभर से लाखों लोग कलमा पढ़कर मुसलमान हो गए थे। 


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