नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट में आज जहांगीर पूरी दिल्ली इन्हिदामी कार्रवाई से मुताल्लिक मुकद्दमा की समाअत थी, चुनांचे जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गावा की बेंच ने अर्जी पर अगली समाअत जुलाई तक के लिए टाल दी है, जिसके बाद स्टे का हुक्म भी ता हुक्म-ए-सानी कायम रहेगा। वाजेह हो कि जहांगीर पूरी दिल्ली में फसादजदा इलाका को निशाना बनाते हुए जिस तरह शुमाली दिल्ली म्यूनसिंपल कारपोरेशन ने फौरी तौर से इन्हिदाम का ऐलान किया था, उसने मुल्क में कानून-ओ-इन्साफ और जमहूरीयत के मानने वालों को काफी बेचैन कर दिया था। एडवोकेट एमआर शमशाद ने अर्जी दाखिल की थी, इस पर समाअत करते हुए अदालत ने फौरी तौर से इन्हिदाम पर रोक लगा दी थी। अगले दिन यानी 12 अप्रैल को अदालत ने अगली समाअत तक के लिए मुकम्मल इन्हिदाम पर रोक लगा दी। आज अदालत ने अगली समाअत, जो आज होनी थी, उसे गर्मी छुट्टी के बाद यानी जुलाई तक के लिए आगे बढ़ा दी है। इस से साफ हो गया है कि जुलाई तक इन्हिदामी कार्रवाई पर भी रोक होगी।
दिल्ली पुलिस को अदालत की सख़्त फटकार, पूछा बगैर इजाजत जलूस कैसे निकला
नई दिल्ली : दिल्ली की रोहिणी अदालत ने जहांगीर पूरी तशद्दुद केस की समाअत करते हुए आठ लोगों की जमानत की दरखास्त मुस्तर्द कर दी। रोहिणी कोर्ट का कहना है कि मुल्जिमीन को जमानत पर रिहा करने से गवाहों पर असर पड़ सकता है। मुल्जिमान इलाके के मारूफ जराइमपेशा हैं, इसलिए कोई गवाह सामने नहीं आएगा। जमानत की अर्जी को मुस्तर्द करने के साथ साथ अदालत ने गै़रकानूनी जुलूस को ना रोकने पर दिल्ली पुलिस की सरजनिश भी की। अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आखिर इजाजत ना मिलने के बावजूद जुलूस निकला कैसे। अदालत ने कहा कि पहली नजर में ये दिल्ली पुलिस की नाकामी को जाहिर करता है। बगैर इजाजत निकाले जाने वाले जलूस को रोकने में मुकामी पुलिस की मुकम्मल नाकामी साबित हुई है। अदालत का कहना है कि कसूरवार आफिसरान का एहतिसाब किया जाए। अदालत ने पुलिस कमिशनर से मुआमले की तहकीकात करने को कहा है। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि सीनीयर आफिसरान ने मुआमले को पसेपुश्त डाल दिया है। मुताल्लिका हुक्काम की जानिब से जिÞम्मेदारी का ताय्युन करने की जरूरत है। ताकि आइन्दा ऐसा कोई वाकिया रुनुमा ना हो और पुलिस गै़रकानूनी सरगर्मियों को रोकने में नाकाम ना हो।