✅ नई तहरीक
सुल्तान सलाह उद्दीन अय्यूबी (रहमतुल्लाह अलैह), ये वो नाम है, जो न सिर्फ इस्लाम बल्कि दुनियावी तारीख में भी सुनहरे अलफाज में दर्ज है, जो मशहूर तरीन फातेहीन व हुक्मरानों में से एक हैं और जिनके सिर किबला अव्वल को फतह करने का सेहरा है और वो, जिनकी कयादत में अय्यूबी सल्तनत पे मिस्त्र, शाम, ईराक, यमन, हज्जाज और दयार-ए-बाकर में हुकूमत की और जिनकी बहादुरी, जुरअत, हुस्न-ए-अख्लाक, सखावत और बुर्दबारी का चर्चा न सिर्फ मुसलमानों बल्कि ईसाईयों के बीच भी यकसां इज्जत से होता था।
2 अक्टूबर 1187 ईस्वी को यूरोप की मुत्तहदा फौज को इबरतनाक शिकस्त देकर बैत-उल-मुकद्दस को आजाद कराने वाले सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी की पैदाईश सन् 1137 ईस्वी में मौजूदा इराक के शहर तकरीयत में पैदा हुई थी।
मिस्र को फतह करने वाली नूर उद्दीन जंगी की फौज में सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी एक फौजी अफसर थे। नूर उद्दीन जंगी की फौज के सिपह सालार सलाहुद्दीन अय्यूबी के चाचा थे। फतह मिस्र की जंग के दौरान सुल्तान अय्यूबी की शुजाअत को देखते हुए उन्हें 564 हिजरी में मिस्र का हाकिम मुकर्रर कर दिया गया था जिसके बाद सुल्तान अय्यूबी ने 569 हिजरी में यमन भी फतह कर लिया था। उसी बीच नूरुद्दीन जंगी इंतकाल फरमा गए। उनके इंतेकाल के बाद सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी हुक्मरानी पर फायज हुए।
बैत-उल-मुकद्दस (मस्जिद-ए-अक़्सा, येरुशलम) को आजाद कराने का सपना देखने वाले सुल्तान सलाहुद्दीन ने मिस्र के बाद 1182 ईस्वी तक शाम, मोसुल, हलब वगैरह भी फतह कर अपनी सल्तनत में शामिल कर लिया था।
सुल्तान सलाह उद्दीन अय्यूबी (रहमतुल्लाह अलैह), ये वो नाम है, जो न सिर्फ इस्लाम बल्कि दुनियावी तारीख में भी सुनहरे अलफाज में दर्ज है, जो मशहूर तरीन फातेहीन व हुक्मरानों में से एक हैं और जिनके सिर किबला अव्वल को फतह करने का सेहरा है और वो, जिनकी कयादत में अय्यूबी सल्तनत पे मिस्त्र, शाम, ईराक, यमन, हज्जाज और दयार-ए-बाकर में हुकूमत की और जिनकी बहादुरी, जुरअत, हुस्न-ए-अख्लाक, सखावत और बुर्दबारी का चर्चा न सिर्फ मुसलमानों बल्कि ईसाईयों के बीच भी यकसां इज्जत से होता था।
2 अक्टूबर 1187 ईस्वी को यूरोप की मुत्तहदा फौज को इबरतनाक शिकस्त देकर बैत-उल-मुकद्दस को आजाद कराने वाले सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी की पैदाईश सन् 1137 ईस्वी में मौजूदा इराक के शहर तकरीयत में पैदा हुई थी।
मिस्र को फतह करने वाली नूर उद्दीन जंगी की फौज में सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी एक फौजी अफसर थे। नूर उद्दीन जंगी की फौज के सिपह सालार सलाहुद्दीन अय्यूबी के चाचा थे। फतह मिस्र की जंग के दौरान सुल्तान अय्यूबी की शुजाअत को देखते हुए उन्हें 564 हिजरी में मिस्र का हाकिम मुकर्रर कर दिया गया था जिसके बाद सुल्तान अय्यूबी ने 569 हिजरी में यमन भी फतह कर लिया था। उसी बीच नूरुद्दीन जंगी इंतकाल फरमा गए। उनके इंतेकाल के बाद सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी हुक्मरानी पर फायज हुए।
बैत-उल-मुकद्दस (मस्जिद-ए-अक़्सा, येरुशलम) को आजाद कराने का सपना देखने वाले सुल्तान सलाहुद्दीन ने मिस्र के बाद 1182 ईस्वी तक शाम, मोसुल, हलब वगैरह भी फतह कर अपनी सल्तनत में शामिल कर लिया था।