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रंग हबीब का दो दिवसीय आयोजन राजधानी में शुरू, कला, संस्कृति से जुड़ी प्रख्यात हस्तियां जुटी

मोहम्मद जाकिर हुसैन : रायपुर

    कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद, रायपुर द्वारा रजा फाउंडेशन के सहयोग से विख्यात नाटककार और रंग निर्देशक हबीब तनवीर की जन्मशती पर दो दिवसीय शताब्दी समारोह ‘रंग हबीब’ की शुरूआत शुक्रवार को राजधानी रायपुर के सिविल लाइन, न्यू सर्किट हाउस स्थित कन्वेंशन हॉल में हुई। इस दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच रंगमंच के पुरोधा हबीब तनवीर के अवदान पर देशभर से पहुंचे प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार रखे। उन्होंने मुख्य रूप से रंगमंच की शीर्षस्थ हस्ती हबीब तनवीर के जन्मशताब्दी वर्ष पर भारत सरकार की ओर से किसी तरह की सांस्कृतिक पहल न किए जाने को दुखद बताया। 
रंग हबीब का दो दिवसीय आयोजन राजधानी में शुरू, कला, संस्कृति से जुड़ी प्रख्यात हस्तियां जुटी
    स्वागत उद्बोधन देते हुए छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने आयोजन के उद्देश्य पर रोशनी डाली। सुबह पहला सत्र हबीब तनवीर के गीतों और रंग संगीत की प्रस्तुति से शुरू हुआ जिसे नया थियेटर में सक्रिय रहीं वरिष्ठ रंगकर्मी व गायिका पूनम तिवारी ने अपनी बेटी के साथ हबीब तनवीर के रंगमंच से जुड़ी लोक रचनाएं प्रस्तुत की। खास तौर पर ‘चोला माटी के राम’ की प्रस्तुति पर सभागार में उपस्थित लोगों ने खड़े हो कर सम्मान व्यक्त किया।
रंग हबीब का दो दिवसीय आयोजन राजधानी में शुरू, कला, संस्कृति से जुड़ी प्रख्यात हस्तियां जुटी
    इस सत्र में प्रस्तावना वक्तव्य रखते हुए प्रख्यात संस्कृति कर्मी अशोक बाजपेयी ने कहा, 20 वीं शताब्दी की कल्पना बिना हबीब तनवीर के अवदान को याद किए आप नहीं कर सकते। हबीब तनवीर एक ऐसे नायक निर्देशक थे, जिन्होंने अपने लोगों के साथ-साथ दूसरों के लिए भी रास्ते खोले। उन्होंने कहा कि पूरे हिंदी अंचल में उनसे बड़ा रंग निर्देशक दूसरा कोई नहीं हुआ। 

    उन्होंने कहा, इसके बावजूद जन्मशताब्दी जैसे अवसर पर संगीत नाटक अकादमी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय जैसे केंद्रीय संस्थानों ने उन्हें भुला दिया। यह अकस्मात नहीं हो सकता, क्योंकि केंद्रीय ललित कला अकादमी ने प्रख्यात चित्रकार सैयद हैदर रजा के साथ पिछले साल उनकी जन्मशताब्दी पर ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि हबीब और रजा के साथ यह बर्ताव जानबूझ कर किया गया। 
रंग हबीब का दो दिवसीय आयोजन राजधानी में शुरू, कला, संस्कृति से जुड़ी प्रख्यात हस्तियां जुटी
    वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अरविंद गौड़ ने कहा कि यह दुर्भाग्यजनक है कि हम अपने अग्रजों को कम याद रखते हैं। उन्होंने हबीब तनवीर के रंगमंच की विशेषताओं पर भी विस्तार से बात रखी। दूसरा सत्र ‘हबीब का देश’ शीर्षक से था। इस सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व कला समीक्षक परवेज अहमद ने कहा कि हबीब तनवीर ने अपने नाटकों में खूब प्रयोग किए जिसका सीधा प्रभाव मंच पर दिखता था। साहित्यकार आनंद हर्षुल ने हबीब तनवीर पर केंद्रित आलेख का वाचन किया। 
    समीक्षक आशीष त्रिपाठी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि रंगमंच की शीर्षस्थ हस्ती हबीब तनवीर की जन्मशताब्दी पर केंद्रित कोई बड़ा आयोजन सरकारी स्तर पर हो रहा है, ऐसी जानकारी नहीं है। लेकिन जन संगठनों को इसके लिए आगे आना चाहिए। खुशी की बात है कि लखनऊ में एक आयोजन हुआ है। उम्मीद है, आगे भी ऐसे आयोजन होंगे। 
रंग हबीब का दो दिवसीय आयोजन राजधानी में शुरू, कला, संस्कृति से जुड़ी प्रख्यात हस्तियां जुटी

    दोपहर में तीसरा सत्र ‘उर्दू हिंदी छत्तीसगढ़ी के हबीब’ विषय पर हुआ। इस सत्र को महमूद फारूकी और राजकमल नायक ने संबोधित किया। वहीं ‘दास्तानगोई’ विधा अंतर्गत महमूद फारुकी और दारैन सिद्दीकी ने हबीब तनवीर पर केंद्रित एक प्रस्तुति दी। चौथा सत्र ‘नाटककार हबीब’ पर केंद्रित था’ जिसमें ऋषिकेश सुलभ, अनूप रंजन पांडे और बसंत त्रिपाठी ने वक्तव्य दिया। पांचवा और अंतिम सत्र ‘कुछ बातें, कुछ गीत-100 के हबीब’ शीर्षक से क्लैप थियेटर के बैनर तले राणा प्रताप सेंगर की नाट्य प्रस्तुति हुई।

    आज ‘भारत की खोज वाया हबीब’ और कई विषयों पर वक्ता रखेंगे अपनी बात 

    आयोजन के दूसरे व अंतिम दिन, 2 सितंबर की सुबह 10:30 बजे सत्र की शुरूआत ‘भारत की खोज, वाया हबीब’ शीर्षक से होगी जिसमें वक्तव्य सदानंद मेलन, भारत रत्न भार्गव और अमितेश कुमार देंगे। इसके उपरांत ‘हबीब की कला’ विषय पर आयोजित सत्र में देवेंद्र राज अंकुर, महावीर अग्रवाल, अंजना पुरी और परवेज अख्तर वक्तव्य देंगे। दोपहर आठवां सत्र ‘हबीब का जीवन दर्शन’ विषय पर होगा जिसमें उदयन वाजपेयी, ओम थानवी और आशीष पाठक अपना वक्तव्य देंगे।

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