02 जिल हज्ज 1444 हिजरी
बुध, 21 जून 2023
अकवाले जरीं
‘अगर चाहते हो रिज्क में बरकत और उम्र दराज हो तो अपने रिश्तेदारों से नेक सुलूक करो।’
- बुखारी शरीफ
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि हज यात्रा मजहबी अमल के दायरे में आती है और उसे आईन हिंद की आर्टीकल 25 के तहत तहफ़्फुज हासिल है।  |
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जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि हज यात्रा और इसमें शामिल तकरीबात (समारोह) मजहबी अमल के दायरे में आते हैं, जिसे हिन्दोस्तान के आईन ने तहफ़्फुज दिया है। मजहबी आजादी जदीद तरीन (नवीनतम) हिन्दुस्तानी जमहूरीया के बानियों (संस्थापक) के विजन के मुताबिक आईन (कानून) के तहत जमानत दिए गए सबसे ज्यादा प्यारे हुकूक में से एक है। आईन हिंद की आर्टीकल 25 के तहत फर्द की मजहबी आजादी की जमानत दी गई है। अदालत ने ये मुशाहिदा मुख़्तलिफ प्राईवेट हज ग्रुप आर्गेनाईजर्ज की 25 मई को मर्कजी हुकूमत के जरीया हज 2023 के लिए हज कोटा मुखतस (रिजर्व) करने की मुत्तफिका फेहरिस्त में शाइआ उनके रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट और कोटे की मुअत्तली (निरस्तीकरण) को चैलेंज करने वाली दरखास्तों के मामले की समाअत करते हुए किया। अदालत ने हज ग्रुप के मुंतजमीन (प्रबंधकों) के खिलाफ मुत्तफिका फेहरिस्त में दी गई आॅब्जर्वेशन को रोक दिया ताकि इस बात को यकीनी बनाया जा सके कि आजमीन को उनकी हज की अदायगी से रोका ना जाए। अदालत ने हुक्म दिया कि उसके मुताबिक, इस बात को यकीनी बनाने के लिए कि आजमीन को अपना सफर मुकम्मल करने और हज अदा करने में कोई रुकावट ना आए, 25 मई 2023 को जवाब दहिंदा (उत्तरदाता) के जरीया हज 2023 के लिए हज कोटा मुखतस करने की जामा फेहरिस्त में जारी करदा नोट, जिसका हवाला दिया गया है। रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट और शिकायत के मुआमले में कार्रवाई को हतमी (अंतिम) शक्ल देने तक रोके हुए कोटे को रोक दिया गया है। अदालत का अव्वलीन नजरिया था कि अगरचे रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेटस और हज ग्रुप के मुंतजमीन को मुखतस कोटा के इजरा पर पाबंदियां और शराइत आइद की जा सकती हैं, लेकिन इन आजमीन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए जिन्होंने ऐसे मुंतजमीन से हज अदा करने की इजाजत ली है।
अदालत ने कहा कि इस अदालत का ख़्याल है कि इस तरह की कार्रवाई मौजूदा हज पालिसी के मकसद को खत्म कर देगी और ये आईन हिंद आर्टीकल 25 की तौहीन है। आईन हिंद आर्टीकल 25 तमाम शहरियों को जमीर की आजादी और हक की जमानत देता है। पेशे, अमल और इजहार की आजादी की जमानत देता है। जस्टिस सिंह ने कहा कि मुतबादिल (विकल्प, बदलाव) को लागू किया जाना चाहीए ताकि कानून अच्छी नीयत वाले शहरीयों के लिए रुकावट ना बने जो हज करना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि मौजूदा दरखास्त में, अदालत इस मरहले पर बुनियादी तौर पर इन आजमीन से मुताल्लिक है, जो हज पर जाने का इरादा रखते हैं और उन्होंने दरखास्त गुजार को इसके लिए पेशगी अदायगी की है।